प्रदेश के 19 जिलों की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के रुझान कुछ देर में आने शुरू हो जाएंगे। इन परिणामों से तय होगा कि भाजपा का कमल खिला रहेगा या फिर कमलनाथ सत्ता में आएंगे। वोटों की गिनती सुबह 8 बजे पोस्टल बैलेट के साथ शुरू हो गई है। इसके बाद 8:30 बजे से ईवीएम से मतों की गिनती होगी। अब तक पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी नहीं होने पर ईवीएम की मतगणना का अंतिम राउंड रोक दिया जाता था, लेकिन इस बार यह नियम हटा दिया गया है। राज्य में 3 नवंबर को मतदान हुआ था।
सबसे जल्दी रिजल्ट अनूपपुर जिले से आने की उम्मीद है। यहां 18 राउंड में काउंटिंग होगी। सबसे लेट ग्वालियर के रिजल्ट आएंगे। यहां 32 राउंड काउंटिंग होगी। उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी प्रमोद शुक्ला ने बताया कि इस बार सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए प्रत्येक राउंड में 14-14 टेबल होंगी।
प्रदेश में 46619 पोस्टल बैलेट डाले गए हैं। सबसे ज्यादा 3675 मेहगांव में और सबसे कम 491 करैरा में पड़े हैं। अनूपपुर में सबसे कम 18 राउंड हैं, इसलिए यहां नतीजा सबसे पहले, जबकि 32 राउंड वाली ग्वालियर पूर्व सीट का सबसे बाद में आ सकता है।
28 सीटों पर 12 मंत्री और 2 पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
शिवराज सरकार के 12 मंत्रियों और 2 पूर्व मंत्रियों ( तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत पद से इस्तीफा दे चुके) की किस्मत का फैसला भी आज होगा। जानकार मानते हैं कि यदि मंत्री को हार का सामना करना पड़ा, तो भाजपा में उनकी राह आसान नहीं होगी। अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि इससे पहले चौधरी राकेश सिंह और प्रेमचंद गुड्डू को राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए कांग्रेस में वापसी करनी पड़ी थी।
सीटों की संख्या के मायने
शिवराज सिंह चौहान: भाजपा को 20 से ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो शिवराज का कद तो बढ़ेगा, लेकिन सत्ता और संगठन में सिंधिया का दखल ज्यादा होने से उन्हें फैसले लेने की पूरी आजादी नहीं होगी। 10 से 15 के बीच सीटें आती हैं, तो सरकार में फैसले करने में शिवराज पर संगठन का ज्यादा दबाव रहेगा।
ज्योतिरादित्य सिंधिया: भाजपा के खाते में 20 से अधिक सीटें आती हैं, तो सिंधिया की प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर धमाकेदार एंट्री होगी और भाजपा में बड़े नेता के तौर पर उभर सकते हैं। यदि 10 से 15 के बीच सीटें आती हैं, तो प्रदेश की राजनीति में कम, केंद्र में सक्रियता ज्यादा रहेगी।
कमलनाथ: कांग्रेस यदि सिंधिया के गढ़ को धराशायी कर 20 से ज्यादा सीटें हासिल कर लेती है, तो कमलनाथ का कद कांग्रेस में और बढ़ जाएगा। दूसरा पहलू यह है कि यदि वे सरकार बनाने में कामयाब न हो सके और 10 से 15 सीटें ही मिलीं, तो प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में से एक पद छोड़ने का दबाव बढ़ जाएगा।
दांव पर 'सरकार': जीत का गणित
विधानसभा की कुल सीटें 230
(दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी के इस्तीफा देने के बाद एक सीट और रिक्त हो गई है)
- अब कुल संख्या: 229
- उपचुनाव: 28 सीटें
- भाजपा: 107, (बहुमत के लिए 9 सीटें चाहिए)
- कांग्रेस: 87 (बहुमत के लिए 28 सीटें चाहिए)
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