शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

तहसीलदार ने ‘विवाहित नहीं ’ बताकर लौटाया तो युवक बारात लेकर पहुंचा, बोला- राशनकार्ड दें या शादी करवा दें

(महेश बेदरे) तहसील दफ्तर में राशनकार्ड का आवेदन लेकर पहुंचे युवक को ‘आप शादीशुदा नहीं हैं’ कहकर राशनकार्ड देने से मना कर दिया गया। तहसील के कई चक्कर लगाने के बाद भी सफलता नहीं मिली तो उसने ऐसी तरकीब निकाली कि तहसीलदार को राशनकार्ड तुरंत बनाकर देना पड़ा।

घटना बीड जिले के पाटोदा तालुका के धनगरजवड़का की है। यहां अमित घनश्याम आगे नामक युवक ने तहसील कार्यालय में राशनकार्ड के लिए आवेदन किया था। वह उच्च शिक्षित है, लेकिन फिलहाल बेरोजगार है। उसने राशनकार्ड के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया था, लेकिन आवेदन निरस्त कर दिया गया।

अधिकारी बोला- राशनकार्ड बनाकर नहीं दिया जा सकता

वजह पूछने पर संबंधित अधिकारी ने कारण बताया कि वह शादीशुदा नहीं है। बात यहीं खत्म नहीं हुई। तहसील कार्यालय से उसे लिखकर भी दिया कि वह परिवार की व्याख्या में फिट नहीं बैठता। इसलिए उसे राशनकार्ड बनाकर नहीं दिया जा सकता।

अमित ने तर्क दिया कि उच्च शिक्षित होने पर भी उसे नौकरी नहीं मिल रही है। नौकरी ही नहीं है तो लड़की कौन देगा। इस कारण वह लगातार राशनकार्ड की मांग करता रहा। अधिकारी उसे टालते रहे, लेकिन अमित ने हार नहीं मानी। गुरुवार को वह दूल्हा बनकर घोड़ी पर बैठकर बैंड-बाजे के साथ तहसील के दफ्तर पहुंच गया।

तहसीलदार समेत पूरा महकमा बैंड की आवाज सुनकर चौंका

बैंड की आवाज सुनकर तहसीलदार समेत पूरा महकमा चौंक गया। तहसीलदार के सामने आते ही अमित ने मांग रखी- ‘आप मुझे राशनकार्ड दीजिए, अन्यथा कोई सुशील लड़की देखकर मेरी शादी करवा दीजिए। शादी होने पर मेरा परिवार भी होगा और राशनकार्ड भी मिल जाएगा।’

मांग सुनकर तहसीलदार सकते में आ गए। तहसीलदार का संकेत मिलते ही सब कर्मचारी हरकत में आ गए। आनन-फानन में राशनकार्ड बनाया और हाथोहाथ युवक को थमा दिया गया।

राशन के लिए टशन: शेरवानी किराए पर ली, दोस्त बने बाराती
अमित के मुताबिक, सरकारी सिस्टम को झुकाने के लिए उन्हें काफी खर्च करना पड़ा। दूल्हे की शेरवानी किराए पर ली। यही नहीं, घोड़ी और बैंड की भी व्यवस्था करनी पड़ी। गांधीगीरी वाली बारात के लिए दोस्तों को बुलाया। गुरुवार को बारात कई इलाकों से होकर तहसील कार्यालय पहुंची। जब लोगों को पता चला कि यह बारात नहीं, बल्कि आंदोलन था, तो वे भी आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सके।



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अमित के मुताबिक, सरकारी सिस्टम को झुकाने के लिए उन्हें काफी खर्च करना पड़ा। दूल्हे की शेरवानी किराए पर ली। यही नहीं, घोड़ी और बैंड की भी व्यवस्था करनी पड़ी।


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