खेती से जुड़े तीन कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को दो हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन विरोध कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। किसान तीनों ही कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। जबकि, सरकार इसमें किसानों के हिसाब से संशोधन करने के लिए तैयार है। सरकार खुद को किसानों का हितैषी भी बताती है। सरकार ने 2022 तक किसानों की कमाई दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन, ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि किसान की कमाई कितनी है?
ये जानने के लिए हमने मोदी सरकार और मनमोहन सरकार के समय हुए दो सर्वे की मदद ली। इन दोनों ही सर्वे के आंकड़ों से पता चला कि मनमोहन सरकार में भी किसानों की कमाई कुछ ज्यादा नहीं थी और मोदी सरकार में भी नहीं। मनमोहन सरकार में हुए सर्वे में किसानों की हर महीने की कमाई 6,426 रुपए बताई गई थी। जबकि, मोदी सरकार में हुए सर्वे में किसानों की कमाई 8,931 रुपए बताई। यानी, मनमोहन से लेकर मोदी सरकार तक किसानों की महीने की कमाई महज 2 हजार 505 रुपए ही बढ़ी।
इतना ही नहीं देश के 22.5% किसान गरीबी रेखा से नीचे आते हैं, यानी हर 10 में से 2 किसान। इनमें सबसे ज्यादा 45.3% किसान झारखंड के हैं। पंजाब के 0.5% किसान ही गरीबी रेखा से नीचे हैं, जबकि हरियाणा में ये आंकड़ा 4.3% है।
अब आते हैं मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में हुए सर्वे के नतीजों पर, क्योंकि विरोध मोदी सरकार में हो रहा है इसलिए पहले मोदी सरकार का सर्वे।
मोदी सरकार का सर्वेः हर महीने की कमाई 8,391 रुपए
केंद्र सरकार का एक बैंक है, नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट। इसे NABARD भी कहते हैं। इस बैंक को खेती से जुड़ा लेन-देन ही देखता है। इस बैंक की अगस्त 2018 में एक रिपोर्ट आई। इस रिपोर्ट में 2016-17 में हुए सर्वे के आंकड़े थे। इसमें किसान हर महीने कितना कमाते हैं और कितना खर्च करते हैं, इसकी जानकारी थी।
कमाईः 2016-17 में किसान परिवारों की हर महीने की कमाई 8 हजार 931 रुपए थी। यानी, सालाना 1 लाख 7 हजार 172 रुपए। इनमें भी सबसे ज्यादा कमाई पंजाब और हरियाणा के किसान परिवारों की ही होती है। पंजाब में किसान हर महीने 23 हजार 133 रुपए और हरियाणा में 18 हजार 496 रुपए कमाई करते हैं।
खर्चः देशभर के किसानों ने 2016-17 में हर महीने कमाई तो की 8 हजार 931 रुपए की, लेकिन इसमें से 6 हजार 646 रुपए तो खर्च ही कर दिए। हालांकि, ये 6 हजार 646 रुपए का खर्च किसान और गैर-किसान दोनों परिवारों का है। फिर भी इसे देखें तो जितना कमाया, उसमें से 75% का खर्च भी हो गया। फिर सेविंग तो हो ही नहीं पाई। सबसे ज्यादा 11 हजार 707 रुपए पंजाब के ग्रामीण परिवारों ने खर्च किए। जबकि, सबसे कम 5 हजार 249 रुपए पश्चिम बंगाल के परिवारों ने खर्च किए।
मनमोहन सरकार का सर्वेः हर महीने की कमाई 6,426 रुपए
केंद्र सरकार की एक और एजेंसी है नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी, NSSO। इसने जनवरी से दिसंबर 2013 के बीच किसानों की कमाई और खर्च पर एक सर्वे किया था। हालांकि, ये रिपोर्ट मोदी सरकार में अप्रैल 2016 को रिलीज की गई थी। इसके आंकड़े देखते हैं।
कमाईः उस वक्त 2013 में किसानों की हर महीने की कमाई 6 हजार 426 रुपए थी। यानी, साल भर में 77 हजार 112 रुपए की कमाई। उस समय भी सबसे ज्यादा कमाई पंजाब और हरियाणा के किसानों की ही होती थी। पंजाब के किसान उस वक्त हर महीने 18 हजार 59 रुपए और हरियाणा के 14 हजार 434 रुपए कमाते थे।
खर्चः 2013 में किसानों की हर महीने की कमाई थी 6 हजार 426 रुपए और खर्च था 6 हजार 223 रुपए। यानी बचत हुई सिर्फ 203 रुपए की। उस वक्त सबसे ज्यादा खर्च के मामले में पंजाब और केरल के किसान आगे थे। पंजाब के किसान हर महीने 13 हजार 311 रुपए और केरल के किसान 11 हजार 8 रुपए खर्च करते थे। जबकि, यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों के किसान कमाई से ज्यादा खर्च करते थे।
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