मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

टाटा vs मिस्त्री पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई; जानें क्या है पूरा विवाद और कितना बड़ा है टाटा ग्रुप?

सुप्रीम कोर्ट में आज टाटा बनाम सायरस मिस्त्री विवाद की आखिरी सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने 8 दिसंबर का दिन सिर्फ इसी मामले की सुनवाई के लिए तय किया है। ये मामला पिछले साल 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटाने को गलत बताया था।

NCLAT ने मिस्त्री को दोबारा चेयरमैन बनाने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ टाटा सन्स सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। अब क्या है ये पूरा विवाद? 4 साल में इस विवाद को लेकर क्या-क्या हुआ? कितना बड़ा है टाटा ग्रुप? आइए जानते हैं...

पहले बात सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स से क्यों हटाया?
24 अक्टूबर 2016 को टाटा ग्रुप ने सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिया था। उनकी जगह रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया था। टाटा सन्स का कहना था, मिस्त्री के कामकाज का तरीका टाटा ग्रुप के काम करने के तरीके से मेल नहीं खा रहा था।

इसी वजह से बोर्ड के सदस्यों का मिस्त्री पर से भरोसा उठ गया था। मिस्त्री को हटाने के बाद 12 जनवरी 2017 को एन चंद्रशेखरन टाटा सन्स के चेयरमैन बनाए गए। टाटा के 150 साल से भी ज्यादा के इतिहास में सायरस मिस्त्री छठे ग्रुप चेयरमैन थे।

सायरस मिस्त्री कब से टाटा सन्स के चेयरमैन थे?

  • दिसंबर 2012 को रतन टाटा ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से रिटायरमेंट ले लिया। उसके बाद सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स का चेयरमैन बनाया गया। मिस्त्री टाटा सन्स के सबसे युवा चेयरमैन थे। मिस्त्री परिवार की टाटा सन्स में 18.4% की हिस्सेदारी है। वो टाटा ट्रस्ट के बाद टाटा सन्स में दूसरे बड़े शेयर होल्डर्स हैं।
  • टाटा सन्स में मिस्त्री परिवार की एंट्री 1936 में हुई। टाटा सन्स में टाटा परिवार के कारोबारी मित्र सेठ इदुलजी दिनशॉ के पास 12.5% हिस्सेदारी थी। 1936 में दिनशॉ के निधन के बाद सायरस मिस्त्री के दादा शापूरजी पलोंजी मिस्त्री ने उनके 12.5% शेयर खरीद लिए। इसी साल जेआरडी टाटा की बहन सायला और भाई दोराब ने भी अपने कुछ शेयर शापुरजी को बेच दिए। इससे टाटा सन्स में उनकी हिस्सेदारी 17.5% हो गई।
  • शापुरजी के बाद 1975 में उनके बेटे पलोंजी शापूरजी टाटा सन्स में शामिल हुए। 2005 में सायरस मिस्त्री डायरेक्टर बनकर टाटा सन्स में आए। अभी टाटा सन्स में मिस्त्री परिवार और उनकी कंपनियों की कुल हिस्सेदारी 18.4% है। वो टाटा ट्रस्ट के बाद टाटा सन्स में दूसरे बड़े शेयर होल्डर्स हैं। टाटा सन्स में टाटा ट्रस्ट की हिस्सेदारी 66% है।

अब समझते हैं टाटा सन्स क्या है? और ये टाटा ग्रुप से कितना अलग है?

  • अक्सर लोग टाटा सन्स और टाटा ग्रुप को एक ही समझ लेते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। दोनों अलग-अलग है। टाटा सन्स, टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। टाटा ग्रुप के बारे में कहा जाता है कि वो सुई से लेकर हवाई जहाज तक बनाता है। टाटा ग्रुप में 100 से ज्यादा कंपनियां हैं। इन सभी का कंट्रोल टाटा सन्स के पास ही है। ग्रुप की सभी प्रमुख कंपनियों में टाटा सन्स की हिस्सेदारी 25 से लेकर 73% तक है। सबसे ज्यादा 73% हिस्सेदारी टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन में है।
  • 1887 में जमशेदजी टाटा ने टाटा एंड सन्स की स्थापना की। 1904 में उनके निधन के बाद उनके बेटे सर दोराब, सर रतन और चचेरे भाई आरडी टाटा ने टाटा कंपनी को मर्ज कर टाटा सन्स बनाई। 1919 में सर रतन टाटा का निधन हो गया। टाटा सन्स में उनकी 40% हिस्सेदारी सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) के पास चली गई।
  • 1932 में सर दोराब टाटा का निधन हो गया और उनकी भी 40% हिस्सेदारी सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) के पास आ गई। इस तरह टाटा सन्स में टाटा ट्रस्ट की हिस्सेदारी 80% हो गई।
  • 1991 में रतन टाटा को टाटा सन्स का चेयरमैन अपॉइंट किया गया। 1996 में टाटा सन्स में ट्रस्ट की हिस्सेदारी घटकर 66% हो गई। टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा हैं।

4 साल से ट्रिब्यूनल और कोर्ट में चल रहा है मामला
24 अक्टूबर 2016 को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को हटा दिया गया। उन्होंने दिसंबर 2016 में कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में इसके खिलाफ याचिका दायर की। जुलाई 2018 में NCLT ने मिस्त्री की याचिका खारिज कर दी और टाटा सन्स के फैसले को सही बताया। इसके खिलाफ मिस्त्री कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) गए। दिसंबर 2019 में NCLAT ने मिस्त्री को दोबारा टाटा सन्स का चेयरमैन बनाने का आदेश दिया। इसके खिलाफ टाटा सन्स ने जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की।

जमशेदजी ने 21 हजार रुपए से कारोबार शुरू किया
1868 में जमशेदजी टाटा ने 21 हजार रुपए में एक दिवालिया तेल मिल खरीदी और वहां रूई का कारखाना शुरू किया। जमशेदजी ने चार लक्ष्य तय किए। पहला- एक आयरन और स्टील कंपनी खोलना। दूसरा- एक वर्ल्ड क्लास इंस्टीट्यूट शुरू करना। तीसरा- एक होटल खोलना और चौथा- एक हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट स्थापित करना।

हालांकि, जमशेदजी अपने जीवन में सिर्फ ताजमहल होटल (मुंबई) ही शुरू कर पाए। बाद में उनकी पीढ़ियों ने उनके सभी लक्ष्य पूरे किए। मार्च 2020 तक टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का रेवेन्यू 7.92 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था। जबकि, इनकी मार्केट कैप मार्च 2019 तक 11.09 लाख करोड़ रुपए थी।



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Cyrus Mistry Ratan Tata | Cyrus Mistry Vs Tata Group At The Supreme Court; A Look Into The Controversy


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