मंगलवार, 2 जून 2020

टेलीकॉम कंपनियां 1 जीबी डेटा 4 से बढ़ाकर 35 रुपए तक, नए सिम 75 रुपए में बेचना चाहती हैं, फ्री एप को भी बंद करने की तैयारी

दिसंबर 2019 में 30% तक कीमत बढ़ाने वाली टेलीकॉम कंपनियां फिर से डेटा की कीमत में इजाफा करना चाहती हैं। टेलीकॉम कंपनियों के संगठन सीओएआई का दावा है कि अभी कंपनियों को घाटा हो रहा है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियां चाहती हैं कि अभी एक जीबी डेटा के अधिकतम 4 रुपए लगते हैं उसकी कीमत 35 रुपए तक हो। यानी करीब 775% अधिक।

इतना ही नहीं, रिपोर्ट में हर सुविधा का एक निश्चित न्यूनतम रेट (फ्लोर प्राइस) फिक्स करने और बढ़ाने को कहा गया है। नई सिम खरीदने पर सबस्क्रिप्शन चार्ज, न्यूनतम फिक्स वॉयस कॉल चार्ज, फ्री एप की सुविधा बंद करने जैसी मांग भी रखी गई है।

टेलीकॉम कंपनियां चाहती है कि कीमत को ट्राई बढ़ाए, जिससे उनके बीच आपसी प्रतिस्पर्धा से नुकसान न हो। हालांकि, कोरोना के कारण इस पर ट्राई ने कोई मीटिंग नहीं की है।

फ्लोर प्राइस से सुनिश्चित होगा कि ये सेक्टर कितना टिकेगाः सीओएआई

सेलुलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के डायरेक्टर जनरल राजन एस मैथ्यूज का कहना है कि टेलीकॉम सेक्टर के ऊपर सबसे ज्यादा वित्तीय दबाब है। ये तथ्य है कि भारतीय टेलीकॉम सर्विस का एवरेज रेवेन्यू प्रति यूजर (एआरपीयू) और टेरिफ दुनिया में सबसे सस्ता है। फ्लोर प्राइस से सुनिश्चित होगा कि ये सेक्टर कितना टिकेगा।

हम इस स्थिति में आ पाएं कि स्पेक्ट्रम और एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू(एजीआर) की उधारी चुका पाएं। टेलीकॉम इंडस्ट्री चाहती है कि इन सभी मुद्दों पर जल्द निर्णय हो।

टेलीकॉम ऑपरेटर्स को रेट बढ़ाने के लिएअनुमति की जरूरत नहींः ट्राई

रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस जियो 20 रुपए, भारती एयरटेल 30 रुपए एवं वोडाफोन आइडिया लिमिटेड एक जीबी डेटा का 35 रुपए न्यूनतम मूल्य करना चाहती हैं। अभी प्रति जीबी डेटा का अधिकतम चार्ज 4 रुपए है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के सचिव सुनील के गुप्ता ने भास्कर से कहा कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स को रेट बढ़ाने के लिए किसी तरह की अनुमति की जरूरत नहीं है।

ये अलग बात है कि वो रेट बढ़ाते हैं, तो उन्हें स्पर्धा का सामना करना पड़ता है। जहां तक मुझे याद है कि सीओएआई का चर्चा के लिए एक पत्र आया था। अभी कई जरूरी काम हैं। समय निश्चित करके उनसे बात की जाएगी। ये तो सोचने की बात है कि तीनों टेलीकॉम कंपनी कहें कि उन्हें घाटा हो रहा है, फिर भी वो घाटा उठाती रहें तो ये समझ से परे है। क्या लंबे समय तक कोई घाटा उठा सकता है? हमें तथ्यों को देखना चाहिए।

  • एयरटेल, वोडाफोन आइडिया का प्रस्ताव है कि सब्स्क्रिप्शन फीस 40-75 रु. के बीच में होना चाहिए। अनलिमिटेड वॉयस कॉल चार्ज 60 रु. प्रतिमाह होना चाहिए। जियो के अनुसार, वॉयस कॉल का न्यूनतम शुल्क यूनिट बेसिस पर हो। ये कम से कम 6 पैसे प्रति मिनट होना चाहिए।
  • फ्लोर प्राइस को एयरटेल दो साल और रिलायंस जियो 3 साल के लिए लागू करने के बाद समीक्षा की बात कह रहे हैं। वहीं आइडिया सालाना समीक्षा चाहती है।
  • जियो ने प्रस्ताव दिया है कि अतिरिक्त सेवाओं का चार्ज लिया जाए, जो कम से कम उसके वास्तविक मूल्य के बराबर हो। इनमें वीडियो ऑन डिमांड एवं अन्य एप भी शामिल हैं, जिन पर मुफ्त का ऑफर है।
  • एयरटेल और वोडाफोन का कहना है कि टैरिफ ऐसे हों कि कम से कम 15% आरओसीई (नियोजित पूंजी पर वापसी) निकल सके। सभी ऑपरेटर्स ने कॉस्ट बेस्ड केल्कुलेशन को पुरातन बताते हुए खारिज कर दिया।
  • बीएसएनएल भी नियमानुसार न्यूनतम दर पर सहमत है। कंपनियों की योजना है कि अगर ट्राई दाम बढ़ाने पर निर्णय नहीं लेती हैं तो वे पैक की वैलिडिटी कम कर सकते हैं।

फायदा: इससे स्पीड और बेहतर होगी
अभी तक कंपनियां आपसी स्पर्धा के कारण एकतरफा टैरिफ नहीं बढ़ा पा रही हैं। प्रस्तावित फ्लोर प्राइस 5 गुना बढ़ा दी जाती है तो सर्विस में भी सुधार होगा, क्योंकि लोग आवश्यकता अनुसार डेटा का इस्तेमाल करेंगे, जिससे बेहतर डेटा स्पीड मिलेगी।

  • रिपोर्ट में बताए गए फ्लोर प्राइस के अनुसार, यह बढ़ाेतरी टेलीकॉम कंपनियों के लिए गेमचेंजर होगी। इससे ये अपने स्ट्रक्चर को नए सिरे से बना सकती हैं। फ्लोर प्राइस में तय दर से नीचे कोई भी कंपनी सस्ता प्लान नहीं दे सकती है।


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रिपोर्ट में टेलीकॉम कंपनियों द्वारा हर सुविधा का एक निश्चित न्यूनतम रेट (फ्लोर प्राइस) फिक्स करने और बढ़ाने को कहा गया है। -प्रतीकात्मक फोटो


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