देश में पिछले दो साल में कुल वन क्षेत्र 3,976 वर्ग किमी बढ़ गया है। घने जंगलों का दायरा भी 1,212 वर्ग किमी बढ़ा है। इनमें सबसे आगे रहने वाले तीन राज्य महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान हैं। पर्यावरण मंत्रालय की मंगलवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बीते एक साल के दौरान जंतुओं की 39 और पौधों की 12 नई प्रजातियां खोजी गई हैं। जंतुओं की 39 नई प्रजातियों में से सबसे ज्यादा 24 किस्में कीटों की हैं, जो हिमालयन क्षेत्र और अंडमान-निकोबार द्वीप में पाई गईं हैं। बंगाल की खाड़ी में मछलियों की 4 नई प्रजातियां मिली हैं।
सबसे ज्यादा कीट-पतंगों की किस्में मिली
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने स्थापना से अब तक 114 वर्षों में इन 39 प्रजातियों सहित कुल 5017 नई प्रजातियों की खोज की है। संस्था के निदेशक कैलाश चंद्र ने बताया कि देश में 1,01,682 किस्म के जंतु पाए जाते हैं। देश के विभिन्न इलाकों में सर्वे के जरिए हर वर्ष इनका रिकॉर्ड इकट्ठा किया जाता है।
बीते साल कुल 55 जंतुओं के सर्वे किए गए, जिनमें 6,866 किस्म के जंतुओं की पहचान हुई, जिनमें 39 किस्में बिल्कुल नई हैं। सबसे ज्यादा कीट-पतंगों की किस्में मिली हैं। उत्तर-पूर्व इलाके में मेढ़क की तीन नई प्रजातियों की पहचान हुई है। पश्चिमी घाट की ओर झींगों की दो नई प्रजातियां मिली हैं।
जंतुओं की 109 किस्में विलुप्ति की ओर
सर्वे में यह भी पाया गया कि देश में जंतुओं की 109 किस्में विलुप्ति की ओर बढ़ रही हैं। जंतुओं की नए किस्म की खोज एक जटिल व लंबी प्रक्रिया है। फील्ड सर्वे में जंतु का नमूना एकत्र किए जाने के बाद लैब में उसकी विस्तृत जांच होती है। फिर अब तक उपलब्ध उस किस्म की प्रजातियों से मिलान कर उसका अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया से नामकरण होता है।
यह ब्योरा इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजा जाता है। मिसाल के लिए अरुणाचल प्रदेश के तवांग में मिली झींगुर की प्रजाति का नाम ई. तवांगेनसिस रखा गया है। मोर सरीखे नीले रंग का यह झींगुर ई. रिनोसिरोस से काफी मिलता-जुलता है लेकिन इसके अनेक लक्षण उससे भिन्न हैं, इसलिए इसे एक नई प्रजाति माना गया।
देश में सबसे ज्यादा जंतुओं की किस्में हिमालयन क्षेत्र में
देश की कुल 1,01,682 जंतुओं की किस्मों में से 30,377 किस्में अकेले हिमालयन क्षेत्र में पाई जाती हैं। अंडमान-निकोबार जैसे छोटे से इलाके में 11,009 जंतुओं की प्रजातियां पाई जाती हैं। 20,444 प्रजातियां समुद्र में पाई जाती हैं, जबकि बाकी प्रजातियां जमीन पर मिलती हैं। बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया में बीते साल 12 पौधों की किस्मों को बिल्कुल नया माना गया।
एशियाई शेरों की संख्या 5 सालों 29 प्रतिशत बढ़ी
गुजरात का गौरव एशियाई शेरों की संख्या पिछले पांच सालों में 29 प्रतिशत बढ़ गई है। वर्ष 2015 की गणना में सिंहों की संख्या 523 थी जो 2020 में बढ़कर 674 पहुंच गई है। सिंहों की आबादी में अब तक की यह सबसे बड़ी वृद्धि है। हर पांच साल में सिंहों की गणना की जाती है।
इस साल पांच -छह जून को होने वाली थी लेकिन कोरोना वायरस संकट के कारण इसकी जगह पूनम अवलोकन पद्धति के जरिए सिंहों की गणना की गई। इस बार पिछली बार की तुलना में सिंहों की आबादी 28.87 प्रतिशत बढ़ गई है। कुल 674 सिंहों में 161 नर, 260 मादा हैं। अल्प व्यस्क सिंहों की संख्या 94 है इनमें 45 नर और 49 मादा हैं। शावकों की संख्या 137 और अचिन्हित लिंग वाले 22 शेर हैं।
वन क्षेत्र में हुई 36 प्रतिशत बढ़ा
गुजरात में2015 में गिर वन तथा आसपास में पहले शेरों के पदचिह्न पाए जाने का कुल क्षेत्र पांच जिलों में 22000 वर्ग किमी का था जो इस बार 36 प्रतिशत की वृद्धि के साथ नौ जिले तथा 30000 वर्ग किमी हो गया है। 1990 में सिंहों का विचरण क्षेत्रफल 6600 वर्ग किमी था।
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