बुधवार, 10 जून 2020

पर्सनलाइज्ड लर्निंग में बिग डाटा एनालिसिस बड़ा रोल प्ले करेगा, स्टूडेंट्स की जरूरतों को देखकर टीचर पढ़ाने का तरीका बदल सकते हैं

कोविड-19 के इस संकट भरे दौर में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आया है। यूनेस्को के अनुसार लॉकडाउन में शैक्षणिक संस्थाएं बंद कर देने से दुनिया भर के 90% छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई। ऐसे में ऑनलाइन एजुकेशन की महत्ता सामने आई है।

हालांकि स्टूडेंट्स हमेशा से ही ऑनलाइन लर्निंग के तरीकों को अपनाने के लिए तैयार रहते थे, लेकिन अब पैरेंट्स की सोच में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। बच्चों के डिजिटल स्क्रीन पर पढ़ाई को लेकर चिंतित अभिभावक अब इसके फायदे देख रहे हैं। सिर्फ पैरेंट्स ही नहीं, टीचर्स का भी ऑनलाइन लर्निंग के प्रति झुकाव बढ़ा है। स्मार्ट डिवाइस और इंटरनेट की आसान पहुंच के चलते ऑनलाइन लर्निंग पढ़ाई की मुख्यधारा में शामिल हो गई है।

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा के-12 एजुकेशन सिस्टम (किंडरगार्डन और 12 साल बेसिक एजुकेशन) है, लेकिन यह स्टूडेंट्स में परीक्षाओं का डर भरता है और सभी को एक ही तराजू में तौलता है। मौजूदा परिस्थितियों में यह सुखद बात है कि पूरा एजुकेशन सेक्टर ही ऑनलाइन की तरफ देख रहा है।

कई शिक्षण संस्थाएं ऑफलाइन से ऑनलाइन टीचिंग को तवज्जो दे रही हैं। हालांकि ये बदलाव समय की जरूरत के कारण किए गए हैं, ऐसे में शिक्षण संस्थाओं ने सिर्फ डिलीवरी मॉडल को ऑफलाइन से ऑनलाइन किया है। लेकिन स्टूडेंट्स को इसमें सीखने के लिए स्तरीय चीज़ें नहीं मिल पा रही हैं। आप एक पारंपरिक क्लासरूम को देखिए, जहां बीच में एक टीचर मुख्य किरदार होता है और स्टूडेंट्स ग्रुप में पढ़ रहे होते हैं। वहीं ऑनलाइन लर्निंग अगर सही तरीके से की जाए, तो टीचिंग का यह मॉडल बिल्कुल उल्टा हो जाता है, यहां स्टूडेंट्स सेंटर में आ जाते हैं।

कोरोना के कारण यह चर्चा बढ़ गई है, लेकिन तकनीक आधारित शिक्षा ही अब हमारी एजुकेशन का भविष्य है। यह वर्ल्ड क्लास टीचर्स, वीडियो लेसन, इंटरेक्टिव गेम्स को खास अंदाज में पिरोकर छात्रों के लिए जिंदगीभर ना भूलने वाले अनु‌भव बना देती है।

ऑनलाइन लर्निंग में कठिन से कठिन कॉन्सेप्ट्स, विज्ञान की जटिल व्याख्याओं को जिंदगी के अनुभवों से जोड़कर बताने से ये कॉन्सेप्ट्स छात्र अच्छी तरह समझ जाते हैं। तकनीक के सहारे स्टूडेंट्स कठिन माने जाने वाले कॉन्सेप्ट को आसपास की चीज़ों से जोड़ते हैं, उन्हें विजुलाइज करते हैं। आइए, कुछ और चीज़ें देखते हैं कि कैसे तकनीक ने टीचिंग की दुनिया को आसान बनाया है।

अध्ययन कहते हैं कि बच्चे सीखने के लिए अपनी इंद्रियों का इस्तेमाल करते हैं, इसमें 75% भूमिका हमारी देखने की क्षमता की होती है। स्कूल जाने से बहुत पहले बच्चे सिर्फ देखकर ही चीज़ें सीख जाते हैं। डिजिटल माध्यम बस यही सुविधा प्रदान कर रहे हैं, जहां छात्र इन कॉन्सेप्ट को देखकर इसे विजुलाइज कर रहे हैं और इन्हें आसपास की चीज़ों से जोड़कर कॉन्सेप्ट्स से दोस्ती बढ़ा रहे हैं। एक अच्छे वीडियो कंटेंट की ताकत यही है कि बच्चों को यह लर्निंग सिर्फ एग्जाम तक नहीं, बल्कि जीवनभर याद रहे।
तकनीक और अच्छे टीचर्स की मदद से कठिन से कठिन लगने वाले कॉन्सेप्ट्स छात्रों को आसान और प्रभावी तरीके से समझ आते हैं। यहां तक कि ऑनलाइन लर्निंग में छात्रों को इंगेज रखने में टीचर की भूमिका बढ़ जाती है। जरूरत ऐसे टीचर्स की है जो कॉन्सेप्ट्स को फनी और आसान से अंदाज में समझा दें, स्टूडेंट्स भी टीचर के उदाहरणों के साथ खुद को जोड़ पाएं।

टीचिंग में तकनीक की मदद से देश के किसी भी कोने में रहने वाले बेस्ट टीचर की क्लास अटेंड करने का मौका मिलता हैै। हर छात्र की सीखने की क्षमता और तरीका अलग होता है, ऐसे में तकनीक की मदद से हरेक छात्र की जरूरतों को देखते हुए अलग और बिल्कुल विशेष छात्र के हिसाब से लर्निंग का अनु‌भव दिया जा सकता है। पर्सनलाइज्ड लर्निंग में बिग डाटा एनालिसिस बड़ा रोल प्ले कर सकता है। हर स्टूडेंट्स की जरूरतों को देखकर टीचर अपना पढ़ाने का तरीका उस हिसाब से बदल सकते हैं।

गेम डिजाइन के नियमों में इंसान के मनोविज्ञान, उसके व्यवहार और कुछ प्रतिक्रियाओं का ख्याल रखा जाता है। इसी तरह ऑनलाइन लर्निंग में गेमिफिकेशन यानी किसी कॉन्सेप्ट को खेल जैसा बनाने से स्टूडेंट्स उसमें ज्यादा रुचि दिखाते हैं। इससे उनकी सीखने की क्षमता एकतरफा न होकर इंटरेक्टिव होती है। इससे उनके ध्यान देने का समय (अटेंशन स्पान) भी बढ़ता है और चीजें ताउम्र याद रहती हैं।

हर चुनौती एक अवसर देती है। कोरोना का यह कठिन दौर एजुकेशन के लिए बदलाव का दौर है। जहां हम शिक्षा के इस ऑनलाइन तरीके (ऑनलाइन लर्निंग, इंटरेक्शन आदि) को बढ़ते हुए देख रहे हैं।

नई जेनरेशन के लिए डिजिटल स्क्रीन ही अब उनका दुनिया से वास्ता करा रही हैं। इससे लर्निंग के इस नए मॉडल के इस्तेमाल में बढ़ोतरी होगी। हम देखेंगे कि क्लासरूम सेटिंग में भी तकनीक आधारित शिक्षा का ही महत्व बढ़ेगा। मौजूदा दौर की व्यवस्था, जिसमें एक टीचर कई स्टूडेंस्ट को पढ़ाता है से आगे बढ़कर हम वन ऑन वन लर्निंग की तरफ बढ़ रहे हैं। जहां हरेक स्टूडेंट का अपना सीखने का अनुभव होगा।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
बायजू रवींद्रन, लर्निंग एप Byju’s के संस्थापक और सीईओ


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2YkxddF
https://ift.tt/2YnGjGw

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt, please let me know.

Popular Post