मध्य प्रदेश के गुना में दलित दंपती से पुलिस की बेरहमी का एक वीडियो चार-पांच दिन पहले वायरल हुआ था, जिस पर मध्य प्रदेश से लेकर नई दिल्ली तक से तीखी प्रतिक्रिया आई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बसपा प्रमुख मायावती से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्विटर पर वीडियो शेयर कर शिवराज सरकार को घेरा था। इसके बाद सरकार को ग्वालियर आईजी, गुना एसपी और कलेक्टर को रातोंरात हटाना पड़ा था।
14 जुलाई की यहघटना अगले दिन ट्विटर पर दिनभरटॉप ट्रेंड में रही। उस वीडियो में पुलिस दलित युवक राजकुमार पर डंडे बरसा रही हैऔर एक महिला उसे बचाने की कोशिश कर रही है। वह राजकुमार की मां गीता बाई अहिरवार हैं। वे दैनिक भास्कर से बातचीत मेंउस दिन की घटना को बताते-बताते सिहर उठीं। उन्हीं के शब्दों में पढ़िए...
सर जी, मैं राजकुमार की मां बोल रही हूं। मोड़ा-मोड़ी ठीक नाए हैं, अस्पताल में भर्ती हैं दूनऊं। उनका दिमाग घूम रयो है, उठ-उठके भग जात हैं, किसी को पहचानत नहीं हैं। लड़का थोड़ा बहुत बतरा लेत है, बहू तो बिलकुल नहीं बतरा पा रई है। थोरी-थोरी मदद मिल रही है आप लोगन ही दे रहे हैं। एक मेडम आई थीं भूपाल से वो डेढ़ लाख रुपए दे गई थीं। सरकार से कोई मदद नहीं देखा रई है सर जी। नेता लोगन ही थोरी मदद दे रहे हैं। सरकार ने कुछ नई दियो। मोड़ा-मोड़ी पर पुलिस ने मुकदमा किया है, ये मोहे नाए पता।
उस दिन पुलिस वाले गाड़ी लेके आए, दो-तीन मारुति भी आईं। कम से कम 60-70 आदमी थे। हमसे बोले कि हमतो नपती कर रयो। मैंने कई कि नपती कर लेयो। फिर वो नपती करके स्कूल में बैठे और फिर जेसीबी की फोन लगा दिओ। चार जेसीबी बुलाने के लिए। फिर बाद में जेसीबी चार तो नहीं आ पाईं, नगर पालका की एकै आ पाई। हमने खेत में सोयाबीन, मक्का और ज्वार बोया था सर जी।
स्कूल में पचासन बीघा जमीन है। बंटाई पर लिया था, दो साल से खेती कर रयो हैं, यहां पर। पिछले साल भी परेशानी भई थी, ये हांकबे (हटाने) आए रयो थे, मुझे भी धर ले गए। दो-चार महीना जमीन खाली पड़ी रई, फिर इनने न स्कूल बनाबे आए और न हांकबे। जब फसल बो दी तो बिना बताए हांकबे आ गए और पुलिस नेहमाय साथ भेरंट (बहुत) मारपीट करी है। देखी होगी आपने, तो गरीबन के साथ इतना अत्याचार क्यों हो रहोगे?
मैं खुद खेती कर रई थी। कोई कागत (कागज) नहीं भेजा। ये झूठ बोल रयो हैं, न कोई कागत वाय भेजा, न मुझे भेजा। महिला पुलिस भी हती और जेंटस भी हते, वोडंडे मार रहे थे, और मैं उसे (बेटे को)बचा रही थी। हाथ जोड़कर विनती कर रहे थे सरजी, एक अधिकारी गाड़ी में बैठे थे। हमने उनको निवेदन किया था कि दो महीने रुक जाओ, इसके बाद तुम हमैं उठाकर ले जइयो कोई मतलब नाय है। लेकिन वोमाने नई और गाली देकर बोले- यहां न गिड़गिड़ाओ, कलट्टरसाहब के यहां जाओ, हमें उनका आदेश है। फिर जेसीबी चलान लगे।
मोड़ा ने मना किया और हाथ जोड़कर विनती करी कि या फसल मत गिराओ, मोपे कर्जा भारी है। कोई ठिकाना नई है। फिर उसको गाली देने लगे और डंडा मारा। मोड़ा बोला- तुम नई मान रयो तो मैं दवाई पीकर मर जाऊंगा और दवाई पीने लगा। इस पर पुलिस वाले बोले, मरत है तो मरन देओ सारे को, हमैं तो ऊपर से आदेश मिलो है। जेसीबी चलांएंगे।
मोड़े के चार लड़कियां और दो लड़के हैं छोटे-छोटे। एक तो छह महीने का है। पुलिस वालेन ने उसे घर से बाहर फेंक दिए रहो। पुलिस वाले कह रहे थे, मरने दे सालेन को, क्या होगा। गाड़ी में रखके अस्पताल ले जा रहे थे, टांगकर। जब मोड़ा तैयार नहीं हुआ तो उस पर डंडे बरसाने लगे। फिर मैं उसे बचाने लगी तो लातों से मारा, मेरे कपड़े भी फाड़ दिए। का बताऊं शरम की बात है। पुलिस वाले भारी चेंटे थे। हम तो घबरा गए थे। मैं बेटे के ऊपर लेट गई तो मुझे डंडा मारने लगे। उनसे विनती करते रहे, लेकिन वोरुके नाय।
मैं नानाखेड़ी की रहने वाली हूं, वहां ठिकाने का घर नहीं था, छपरा बनाकर रह रहे थे। इसलिए यहां आ गए। यहां पर भी मजदूरी करते थे, दो साल से यहां पर खेती कर रहोगे। जहर न पिएं तो अऊर क्या करें, पुलिस की मार खा रहेहैं। अब बताओ क्या करें?अब यहां आए और छपरा बनाकर रहने लगे। मजदूरी है और क्या है मेरे पास। कर्जा वाले चेंटेंगे (झगड़ा करेंगे)। मेरे पास यई है और का है। दो लाख रुपइया कर्जा हती। इसी को लेकर जी रहे हैं, मर रहे हैं।
(जैसाउन्होंने सुमित पांडेय को बताया।)
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