गुरुवार, 30 जुलाई 2020

कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 36% की कमी, 6 महीने के भीतर सुरक्षाबलों ने 4 टॉप टेररिस्ट कमांडर सहित 138 आतंकवादी मार गिराए

भारत सरकार के गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद आतंकी गतिविधियों में कमी आई है। यह डेटा जम्मू कश्मीर पुलिस, इंडियन आर्मी और सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्सेज के कंपाइल रिपोर्ट से तैयार किया गया है। 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया था। इस साल उसकी पहली एनिवर्सरी है।

पिछले साल शुरू के 7 महीने में आतंकी हमलों की 188 घटनाएं हुईं थीं, इस साल आंकड़ा घटकर 120 हो गया है। 138 से ज्यादा आतंकी इस साल मारे जा चुके हैं। इनमें से एक दर्जन से ज्यादा वो हैं जिन्हें इंडियन आर्मी ने नॉर्थ कश्मीर के एलओसी पर मार गिराया है। पिछले साल आर्टिकल 370 हटने के पहले सिर्फ 126 आतंकी मारे गए थे। जबकि 75 सुरक्षाकर्मियों की जान भी गई थी। इस साल अब तक 35 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं।

पिछले साल सितंबर में 15 चिनार कॉप्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई जो करना चाहे कर ले। हम उन्हें ऐसा सबक सिखाएंगे कि उनकी पीढ़ियां याद रखेंगी। हम 1971 से भी बेहतर सबक सिखाएंगे। उनकी चेतावनी का ही यह परिणाम है कि कश्मीर में पाकिस्तान के टॉप आतंकवादी मारे गए।

इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, 300 से अधिक आतंकवादी सीमा पार से भारत में घुसपैठ की फिराक में हैं, लेकिन इंडियन आर्मी और बीएसएफ की मुस्तैदी के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

इस साल अब तक हिजबुल मुजाहिदीन के 50, लश्कर के 20 और आईएसजेके और अनसार गजवत उल हिंद के 14 आतंकी मारे जा चुके हैं। इनमें हिजबुल कमांडर रियाज नायकू, लश्कर कमांडर हैदर, जैश कमांडर कारी यासिर और अंसर का बुरहान कोका शामिल है।

गृह मंत्रालय का दावा है कि इस साल स्थानीय स्तर पर आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या में 40 फीसदी कमी आई है। 2019 के पहले 6 महीने के मुकाबले इस साल 67 युवा आतंकी बने हैं। इनमें से ज्यादातर अनट्रेंड हैं, इनका ब्रेन वॉश किया गया है, इसलिए 30 दिन से ज्यादा ये नहीं टिक सकते हैं।

इस साल 110 स्थानीय आतंकी मारे गए हैं जो पाकिस्तान के लिए चिंता की बात है। इसके साथ ही अलग- अलग आतंकी ऑपरेशनों में दो दर्जन से ज्यादा पाकिस्तानी आतंकी भी मारे जा चुके हैं। पिछले सात महीनों में जम्मू कश्मीर पुलिस ने 22 आतंकी और उनके 300 सहयोगियों को गिरफ्तार किया है।

साथ ही इनके 22 ठिकानों का खुलासा भी हुआ है, जहां ये हथियार और एम्युनेशन रखते हैं। इस साल 190 से ज्यादा हथियार बरामद किए गए हैं। इनमें से 120 अलग-अलग एनकाउंटर साइट से बरामद किए गए।

इस साल मई महीने में सुरक्षाबलों ने हिजबुल के कमांडर रियाज नायकू को मार गिराया था।

सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि पिछले साल की तुलना में इस साल कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 36 फीसदी की कमी आई है। पिछले साल 51 ग्रेनेड अटैक हुए थे जबकि इस साल सिर्फ 21 हुए हैं। 2019 में 6 आईईडी अटैक हुए थे जिनमें एक पुलवामा भी था जहां सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। इस साल अभी तक सिर्फ एक आईईडी अटैक हुआ है।

इस साल अलगाववादियों में फूट भी सामने आई है, जिसके बारे में पिछले साल सोचा भी नहीं जा सकता था। सैयद अली शाह गिलानी ने खुद को हुर्रियत से अलग कर लिया है, जो कश्मीरी कट्टरपंथी और अलगाववादियों के लिए सबसे बड़ा झटका है।

इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, 300 से अधिक पाकिस्तानी आतंकवादी पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में सीमा पार से भारत में घुसपैठ की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इंडियन आर्मी और बीएसएफ की मुस्तैदी के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर आर्टिकल 370 के हटने के बाद अलगाववादियों और आतंकियों के लिए कश्मीर में आगे की राह मुश्किल हो गई है।

इस साल अब तक हिजबुल मुजाहिदीन के 50, लश्कर के 20 और आईएसजेके और अनसार गजवत उल हिंद के 14 आतंकी मारे जा चुके हैं।

जम्मू कश्मीर पुलिस की उपलब्धियों को लेकर आदित्य राज कौल ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार के साथ विशेष बातचीत की....

1. आपको क्या लगता है कि पिछले साल की तुलना में कश्मीर में आतंकी हमले काफी कम हुए हैं?

छोटी-मोटी आतंकी घटनाएं सामने आईं हैं, लेकिन बड़ी घटनाओं पर रोक लगी है। एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन के साथ ही हम लोग इंटेलिजेंस पर फोकस कर रहे हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और रॉ हमें खुफिया जानकारी उपलब्ध करा रही हैं। बड़ी संख्या में आतंकी संगठनों के ग्राउंड वर्कर गिरफ्तार किए गए हैं, उनके कई मॉड्यूल्स का खुलासा हुआ है। ऐसा पहली बार है जब कश्मीर में जंग-ए-बदर की पूर्व संध्या पर कोई घटना नहीं हुई।

2. क्या आतंकवादी और उनके ग्राउंड वर्कर इस समय कमजोर पड़ गए हैं, उनका मनोबल गिर गया है?

ऐसा सच होता दिख रहा है। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में यह पहली बार है कि चार मुख्य आतंकी संगठनों- हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए- मुहम्मद और अंसर गजवत- उल-हिंद के टॉप कमांडर चार महीने के भीतर मारे जा चुके हैं। इन आतंकी संगठनों की लीडरशिप कमजोर पड़ गई है।

हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टर-बॉय जुनैद सेहराई और जैश-ए-मुहम्मद के आईईडी एक्सपर्ट फौजी भाई के मारे जाने के बाद इन्हें काफी नुकसान पहुंचा है। कई ओवर ग्राउंड वर्कर्स और अशरफ सेहराई जैसे टॉप अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया गया है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने कहा कि एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन के साथ ही हम लोग इंटेलिजेंस पर फोकस कर रहे हैं, ताकि आतंकी गतिविधियों पर कंट्रोल किया जा सके।

3. पत्थरबाजी की घटनाएं यहां पिछले कई सालों से चुनौती रही हैं, एक साल से भी कम समय में आपने इन पर कैसे अंकुश लगाया?

हमने ओवर ग्राउंड वर्कर्स और पत्थरबाजी करने वालों को गिरफ्तार किया। सभी एनकाउंटर साइट्स पर पहले से लॉ एंड ऑर्डर को संभालने का काम किया। जैसे ही कोई एनकाउंटर शुरू होता था, हम उसके एक्सेस पॉइंट को ब्लॉक कर देते थे ताकि पास के गांव से पत्थर बाज नहीं पहुंच सकें।

हमने जियो फेंसिंग और ड्रोन कैमरे की मदद से इनकी पहचान की और फिर गिरफ्तार किया। हमारा लक्ष्य कॉलैटरल डैमेज को कम करना था, यही कारण है कि अब तक किसी भी सिविलियन की एनकाउंटर साइट पर मौत नहीं हुई।

हमारी कोशिश रही कि एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन के दौरान धार्मिक स्थलों को नुकसान नहीं पहुंचे। आतंकी पुलवामा में मस्जिद में छिपे थे, लेकिन हमने मस्जिद को नुकसान नहीं पहुंचाया। साथ ही हमने एनकाउंटर साइट पर आतंकियों के पैरेंट्स से अपील भी करवाई कि वे सरेंडर कर दें। हमने यह भी सुनिश्चित किया कि इसमें कोई राजनीतिक दखल नहीं हो।

4. अगले छह महीनों में कश्मीर में आप किन चुनौतियों को देखते हैं?

सुरक्षाबलों और सरकार के खिलाफ ऑनलाइन प्रोपगेंडा हमारे लिए पहली चुनौती है। दूसरी चुनौती आतंकियों की नई भर्ती और तीसरी पाकिस्तानी आतंकियों का कम मारा जाना है। हम इन चुनौतियों से निपटने के लिए एडवांस प्लानिंग कर रहे हैं। हमें बेहतर परिणाम भी मिल रहे हैं।



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जम्मू कश्मीर से पिछले साल 5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाया गया था। गृह मंत्रालय का दावा है कि पिछले एक साल में कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी आई है। कई आतंकी संगठनों की लीडरशिप कमजोर पड़ गई है। -फाइल फोटो


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