बुधवार, 22 जुलाई 2020

लद्दाख पर अमेरिकी संसद में भारत के समर्थन में प्रस्ताव एकमत से पास, अमेरिकी सांसद बोले- भारतीय क्षेत्र पर कब्जे की कोशिश में चीन

अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने लद्दाख गतिरोध को लेकर भारत के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर दिया है। भारतवंशी एमी बेरा और एक अन्य सांसद स्टीव शैबेट राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) में संशोधन का प्रस्ताव लाए थे। इसे सदन ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी।

प्रस्ताव में कहा गया है कि चीन ने गलवान घाटी में आक्रामकता दिखाई। उसने कोरोना पर ध्यान बंटाकर भारत के क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की। भारत-चीन की एलएसी, दक्षिण चीन सागर ओर सेनकाकु द्वीप जैसे विवादित क्षेत्रों में चीन का विस्तार और आक्रामकता गहरी चिंता के विषय हैं।

चीन दक्षिण चीन सागर में अपना क्षेत्रीय दावा मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। वह 13 लाख वर्ग मील दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे इलाके को अपना क्षेत्र बताता है। चीन इस क्षेत्र के द्वीपों पर सैन्य अड्डे बना रहा है। जबकि इन इलाकों पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी दावा करते हैं।

सांसद का दावा :एलएसी पर 5000 चीनी सैनिक थे, कई भारत में घुसे

सांसद शैबेट ने प्रस्ताव की प्रमुख बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि एलएसी पर 15 जून को 5000 चीनी सैनिक जमा थे। माना जा रहा है कि उनमें से कई ने 1962 की संधि का उल्लंघन कर विवादित क्षेत्र को पार कर लिया था। वे भारतीय हिस्से में पहुंच गए थे। हम चीन की आक्रामक गतिविधियों के खिलाफ भारत के साथ खड़े हैं।

एक और प्रस्ताव:चीन को चेतावनी- बल से सीमा विवाद हल न करें

भारतीय-अमेरिकी राजा कृष्णमूर्ति और 8 अन्य सांसद भी सदन में प्रस्ताव लाए हैं। इसमें कहा गया है कि चीन बल से नहीं, राजनयिक ढंग से सीमा पर तनाव कम करे। प्रस्ताव पर बुधवार को वोटिंग होगी। भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधु ने भी ट्रम्प प्रशासन को पत्र लिखकर लद्दाख मामले में चीनी अफसरों की शिकायत की है।

मानवाधिकार हनन:अमेरिका ने चीन की 11 कंपनियों पर लगाया बैन

अमेरिका ने चीन की 11 कंपनियों पर व्यापार प्रतिबंध लगा दिए हैं। कंपनियों पर आरोप है वे चीन के शिनजियांग में उइगर मुसलमानों के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में शामिल रही हैं। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने कहा, ‘सुनिश्चित करेंगे कि चीन असहाय मुस्लिमों के खिलाफ अमेरिकी सामान का इस्तेमाल न करे।’

अमेरिका का रुख भारत के हित में, इससे टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का रास्ता आसान होगा; अन्य देश भी साथ

भास्कर एक्सपर्ट: (शशांक, पूर्व विदेश सचिव)अमेरिका का मौजूदा रुख बेशक भारत के हित में है। सरहद पर चीनी धौंस के खिलाफ दुनिया के बड़े देश भारत का साथ दे रहे हैं। यह वाकई सकारात्मक है। अमेरिका के इस रुख से भारत के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का रास्ता भी आसान होगा। रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के संबंधों में भी तेजी आएगी।

ताजा घटनाक्रम से साफ है कि अमेरिका उन सभी देशों का समर्थन खुलकर कर रहा है, जो चीन के दबाव में हैं। हांगकांग से लेकर वियतनाम और भारत तक को ट्रम्प प्रशासन ने समर्थन दिया और एक तरह से चीन को साफ कर दिया कि उसकी क्षेत्र में वर्चस्व कायम करने की मंशा कामयाब नहीं होने दी जाएगी।

यह ठीक है कि अमेरिका ने अभी अपनी उन कंपनियों पर रोक नहीं लगाई है जो चीन में अपना कारोबार कर रही हैं, लेकिन डिप्लोमेटिक स्तर पर दिया जा रहा यह समर्थन आखिरकार अमेरिकी कंपनियों तक भी पहुंचेगा। अमेरिकी समर्थन भारत के दीर्घकालिक हितों में है। चीनी निर्माण कंपनियों पर निर्भरता खत्म करने का यह उचित समय है। अमेरिका इस काम में भारत की काफी मदद कर सकता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
अमेरिकी संसद में कहा गया कि भारत-चीन की एलएसी, दक्षिण चीन सागर ओर सेनकाकु द्वीप जैसे विवादित क्षेत्रों में चीन का विस्तार और आक्रामकता गहरी चिंता के विषय हैं। फाइल फोटो


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/39f0jAm
https://ift.tt/2WGzTT6

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt, please let me know.

Popular Post