कोरोना के कहर के बीच एक और परेशान करने वाली खबर है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अगले पांच साल में कैंसर के मामले 12% बढ़ जाएंगे। अभी देश में कैंसर के 13.9 लाख केस हैं। 2025 तक बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंचने की बात रिपोर्ट में कही गई है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 तक पुरुषों में 6.8 लाख केस और 2025 तक 7.6 लाख तक होने का अनुमान है। वहीं महिलाओं की बात करें तो 7.1 लाख और 2025 तक 8 लाख होने का अनुमान है।
डेटा की मानें तो देशभर में सबसे ज्यादा मामले टोबैको से जुड़े हैं, करीब 27 फीसदी। उसके बाद गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट से रिलेटेड 19.7 फीसदी। नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में टोबैको रिलेटेड मामले सबसे ज्यादा हैं। अरुणाचल प्रदेश में 74 साल की उम्र के हर चार में से एक व्यक्ति कैंसर पीड़ित है या होने के आसार है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर दिन टोबैको कैंसर से 3500 लोगों की मौत होती है। 2018 में इस कैंसर से करीब 3 लाख लोगों की जान गई है। लंग कैंसर, माउथ कैंसर, स्टमक और ओएसोफैगस कैंसर पुरुषों में कॉमन है, जबकि महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर कॉमन है। मेट्रो सिटीज में सबसे अधिक ब्रेस्ट कैंसर के मामले मिले हैं।
इंडिया अगेंस्ट कैंसर के डेटा के मुताबिक, 2018 में कैंसर से 7.4 लाख लोगों की जान गई है। इसमें 4.1 लाख पुरुष और 3.7 लाख महिला शामिल है। 75 साल से कम उम्र में कैंसर से मरने वालों में 7 फीसदी पुरुष और 6 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।
डेटा के मुताबिक, हर 8 मिनट में भारत में सर्वाइकल कैंसर से एक महिला की मौत होती है। जबकि, ब्रेस्ट कैंसर वाली हर दो महिला में से एक की मौत होती है। कैंसर इंडिया डॉट ओआरजी की रिपोर्ट बताती है कि कैंसर से मरने वाले पुरुषों में 25 फीसदी की मौत ओरल कैविटी और लंग कैंसर से होती है, जबकि महिलाओं में 25 फीसदी मौत ब्रेस्ट कैंसर और ओरल कैविटी से होती है।
जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी 2017 के मुताबिक, भारत में कैंसर से मरने वालों की दर विकसित देशों से लगभग दोगुनी है। भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है, जबकि विकसित देशों में यह संख्या 3 या 4 है। भारत में 2000 कैंसर मरीजों पर महज एक डॉक्टर है। अमेरिका में 100 पर एक। यानी भारत से 20 गुना बेहतर।
कैंसर के स्टेज
- पहले और दूसरे स्टेज में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है। आस-पास के टिश्यूज की गहराई में जाकर नहीं फैलता है।
- तीसरे स्टेज में कैंसर डेवलप हो चुका होता है। ट्यूमर का साइज बड़ा हो जाता है। दूसरे अंगों में फैलना शुरू हो जाता है।
- चौथा स्टेज आखिरी स्टेज होता है, इसमें कैंसर दूसरें अंगों में फैल चुका होता है। इसे मेटा-स्टेटिक कैंसर कहा जाता है।
कैंसर के कुछ प्रमुख ऐसे लक्षण जिसकी आमतौर पर चर्चा कम होती है। (कैंसर पर रिसर्च करनेवाली कीले यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार)
- पेशाब में आने वाले खून
- कुछ निगलने में परेशानी होना
- मीनोपॉज के बाद खून आना
- खून की कमी की बीमारी एनीमिया
- शौच में आने वाला खून
- खांसी के दौरान खून का आना
- स्तन में गांठ
कैंसर से कैसे बचें
- हरी पत्तेदार सब्जियां, चना और फल खाने में शामिल करना। सब्जियों और फलों में फाइबर मौजूद होता है जो रोगों से लड़ने में हेल्प करता है।
- शक्कर का सेवन कम से कम करें।
- खाने के तेल में ऑलिव ऑयल या फिर कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल भोजन पकाने में करें।
- कैंसर के लक्षण हो तो कोशिश करें कि इलेक्ट्रॉनिक चीजों का इस्तेमाल कम हो।
- गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल लम्बे समय तक न करें। गर्भनिरोधक के ज्यादा लम्बे समय तक प्रयोग करने से औरतों में स्तन कैंसर या लिवर कैंसर होने का खतरा रहता है।
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