अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार का बयान सामने आया है। पवार ने तंज कसते हुए कहा कि आशा है कि इस जांच के परिणाम डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच जैसे न हो, जिसका अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया। 30 अगस्त 2013 को पुणे में डॉ. दाभोलकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड को पूरे सात साल का समय होने जा रहा है।
शरद पवार ने ट्वीट कर कहा- ‘सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। मुझे यकीन है कि महाराष्ट्र सरकार इस निर्णय का सम्मान करेगी और जांच में पूरी तरह सहयोग करेगी।’
मुझे आशा है, इस जांच के परिणाम डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच जैसे न हो।
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) August 20, 2020
२०१४ में #CBI द्वारा शुरू की गई #drnarendradabholkar हत्या की जांच का अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है।
दाभोलकर के परिवार ने कहा- यह पीड़ादायक है कि सीबीआई सात साल में भी जांच पूरी न कर पाई
इस बीच बुधवार को डॉ. दाभोलकर की बेटी मुक्ता और बेटे डॉ. हमीद दाभोलकर ने कहा- ‘हत्या के सात साल पूरे हो गए। हत्या के बाद शुरुआती नौ महीने महाराष्ट्र पुलिस ने जांच ठीक से नहीं की। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया था। यह बेहद पीड़ादायक है कि सीबीआई जैसी प्रतिष्ठित एजेंसी अब तक जांच पूरी नहीं कर पाई।’
बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर बयानबाजी: देशमुख
इससे पहले बुधवार को महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा था कि बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर कुछ नेता एक्टर सुशांत सिंह की मौत पर बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संवैधानिक विशेषज्ञों को देश के संघीय ढांचे का भी ख्याल रखना चाहिए।
क्या है डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड?
अंधविश्वास और अघोरी प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की पुणे के महर्षि विट्ठल रामजी ब्रिज (ओंकारेश्वर पुल) पर 20 अगस्त 2013 को दो अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। जांच में सामने आया था कि वारदात से 47 मिनट पहले ही हत्यारे ओंकारेश्वर पुल पर पहुंच चुके थे और महज तीन मिनट में घटना को अंजाम दे फरार हो गए। पुलिस पर हत्यारोपियों को तलाशने के लिए तांत्रिक की मदद लेने का भी आरोप लगा। डॉ. दाभोलकर की हत्या के बाद पूरे महाराष्ट्र में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए। उनकी हत्या के बाद सरकार को अंधविश्वास के खिलाफ कानून बनाने को मजबूर होना पड़ा। सीबीआई ने मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है और इनमें से पांच के खिलाफ आरोप-पत्र भी दाखिल किया है।
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