रविवार, 2 अगस्त 2020

जो सिलते हैं रामलला की ड्रेस, जो भेजते हैं हर दिन 20 बीड़ा स्पेशल पान, जो बनाते हैं माला और जो भेजते हैं दूध-दही और खुरचन पेड़ा

श्रीराम जन्मभूमि से जुड़े राजनीतिक चेहरों को आप सभी पहचानते हैं। आज हम आपको रामलला से जुड़े 5 उन चेहरों से मिलवाते हैं, जो आमलोगों के लिए अनजान चेहरे हैं। यह 5 लोग पीढ़ियों से रामलला की सेवा करते आ रहे हैं। हालांकि, इनको इसका मेहनताना मिलता है, लेकिन इन्होंने कभी कम या ज्यादा की शिकायत नहीं की। ये लोग खुद को रामलला का सेवक ही मानते हैं।

पहली कहानी : तीन पीढ़ियों से रामलला को पहना रहे हैं फूलों की माला, 1985 में मुन्ना माली के दादा को यह काम मिला था

राम जन्मभूमि से सटे दोराही कुंवा मोहल्ले में एक पतली सी गली में छोटे से मकान में मुन्ना माली की मां सूई धागा लेकर फूल की मालाएं तैयार कर रही हैं। साथ में उनकी बेटी भी उनका साथ दे रही हैं। पूछने पर मुन्ना माली की मां सुकृति देवी गर्व से बताती हैं कि हम तीन पीढ़ियों से रामलला को माला पहुंचाते हैं। पहले हमारे ससुर यह काम करते थे, फिर मुन्ना के पिता ने काम संभाला। उनकी मौत हो गई तो मुन्ना ने काम संभाल लिया। सुकृति कहती हैं कि रोजाना सुबह 10 बजे 20 माला मंदिर में भेजी जाती थी।

मुन्ना भगवान रामलला के लिए माला तैयार करते हैं। इसके लिए उन्हें 11 सौ रुपए प्रति महीना मिलता है।

कभी-कभी हमें भी जाना होता है। इसके अलावा अयोध्या के कुछ प्रमुख मंदिरों में भी माला जाती है। हनुमानगढ़ी के गेट पर एक डलिया में फूल लेकर खड़े मुन्ना बताते हैं कि हमें महीने का 1100 रुपए मिलता है। लेकिन, हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है। मुन्ना ने बताया कि 1985 में मेरे दादा को यह काम मिला था। तब से चला आ रहा है। हालांकि, मुन्ना को उम्मीद है कि अब राममंदिर बन रहा है तो उनके दिन भी लौटेंगे।

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सुकृति देवी की तीन पीढ़ियां भगवान राम के लिए माला तैयार करने का काम कर रही है।

दूसरी कहानी : रोज 20 बीड़ा स्पेशल पान जाता है रामलला के लिए, पान झूठा न हो इसलिए सभी मसालों के डिब्बे अलग रखे हैं

अयोध्या का जैन मंदिर चौराहे के पास ही दीपक चौरसिया की पान की दुकान है। वैसे तो दुकान पर कोई बोर्ड नहीं लगा है, लेकिन राम जन्मभूमि से जुड़े होने के कारण लोग इनके नाम से ही दुकान का पता बता देते हैं। दीपक कहते हैं कि मेरे पिता जी भोग के लिए पान का बीड़ा मंदिर तक पहुंचाया करते थे। हम लोग भी छोटे-छोटे थे, तब उनके साथ कभी-कभी जाते थे। उनकी जाने के बाद हमारे ऊपर यह जिम्मा आ गया। पिता जी हमेशा सेवा भाव से ही जुड़े रहे। दीपक ने बताया चूंकि भगवान के लिए पान लगाना होता है, इसलिए सुबह 8 बजे मैं दुकान पहुंच जाता हूं।

दीपक चौरसिया रोज भगवान राम के लिए मीठा पान तैयार कर ले जाते हैं। इसके लिए उन्हें हर महीने 700 रु मिलते हैं।

8.30 से 9 बजे के बीच मैं भगवान के लिए 20 बीड़ा मीठा पान तैयार कर फ्रिज में अलग रख देता हूं। तकरीबन 10.30 बजे उसे मंदिर पहुंचा देता हूं। दीपक बताते है कि भगवान का पान झूठा न हो इसलिए उनके लिए सभी मसालों का डिब्बा अलग रख रखा है। दीपक कहते है कि भगवान के लिए मीठा पान लगता है, उसमें कत्था, चुना, सुपारी, गरी, सौंफ, लौंग, गुलकंद, चेरी, मीठा मसाला, मीठी चटनी डाल कर बनाते हैं।

उन्होंने बताया कि महीने में 2 एकादशी पड़ती है, जब भगवान व्रत रहते हैं। तब पान नहीं ले जाते हैं। 5 अगस्त के लिए दीपक ने विशेष तैयारी कर रखी है। उन्होंने स्पेशल मसाले रखे हैं जोकि उस दिन पान में डाले जाएंगे, जिसमें बनारसी बड़ा पान, केसर, इत्र, खजूर और मीठा करौंदा डाला जाएगा। बहरहाल, दीपक को महीने का 700 रुपया मिलता है।

तीसरी कहानी : 30 साल से हर रोज खुरचन वाले पेड़े का भोग लगता है रामलला को, हर दिन भेजते हैं सुबह शाम 1-1 किलो पेड़ा
अयोध्या की मुख्य सड़क पर चंद्रा मिष्ठान भंडार है। यहां हमें रंजीत गुप्ता मिले। चंद्रा की दो पीढ़ियां भगवान के लिए मिठाई भेजने का काम कर रही हैं। रंजीत ने बताया कि हम भगवान के लिए सुबह और शाम को एक-एक किलो खुरचन वाले पेड़े भेजते हैं। पिता ने लगभग 30 साल से पेड़े भेजने शुरू किए थे।

अब हम उस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। रोजाना लगभग 2 किलो पेड़ा जाता ही जाता है। कभी आर्डर बढ़ गया तो बढ़ा दिया जाता है। यह पेड़ा 80 रुपए किलो है, लेकिन हमने कभी रुपए के बारे में नहीं सोचा। यह हमारे और पूरे देशवासियों के लिए सौभाग्य है कि रामलला का मंदिर बन रहा है। रामलला की कृपा से ही हमारी तीन- तीन दुकानें हो गई हैं। हम हमेशा रामलला की सेवा में रहना चाहते हैं।

रंजीत गुप्ता मिठाई की दुकान चलाते हैं, वे भगवान राम के लिए हर रोज मिठाई पहुंचाते हैं।

चौथी कहानी : तीन पीढ़ियों से सिल रहे हैं रामलला की ड्रेस, 5 अगस्त के लिए तैयार हुई रामजी के लिए दो अलग रंग की ड्रेस
प्रमोद वन मोहल्ला में भगवत प्रसाद टेलर की दुकान चलाते हैं। एक छोटे से कमरे में जोकि कपड़ों से भरा हुआ है, उसमें तीन सिलाई मशीन रखी हुई है। चारो तरफ से रंगबिरंगे कपड़ों से दबे हुए भगवत प्रसाद बताते हैं कि यह दुकान हमारे पिता बाबूलाल टेलर के नाम से प्रसिद्ध है।

लगभग 60 साल के भगवत प्रसाद टेलर इस समय काफी प्रसिद्ध हो चुके हैं। जब हम उनके पास पहुंचे तो एक भक्त अपनी पत्नी के साथ भगवान रामलला की ड्रेस सिलाने के लिए पहुंचे थे। उसी समय एक दरोगा जी किसी व्यक्ति के साथ रामलला की ड्रेस सिलाने के लिए पहुंचे। वह 6 अगस्त को रामलला को ड्रेस पहनाने वाले हैं।

इसलिए भगवत प्रसाद ने उन्हें पीले रंग का वस्त्र दिखाया और बताया पर्दे के साथ 2500रु और बगैर पर्दे का थोड़ा कम हो जाएगा। उन्होंने एडवांस दिया और नाम नोट कराकर चले गए। भगवत ने कहा कि मैं आपके साथ भगवान दर्शन को खुद चलूंगा। जहां रामलला आपकी ड्रेस पहनेंगे। जब भगवत प्रसाद हमसे मुखातिब हुए तो उन्होंने बताया हम तीन पीढ़ियों से रामलला की ड्रेस सिल रहे हैं।

इस समय डिमांड इतनी बढ़ गयी है कि सांस लेने की फुरसत नहीं है। उन्होंने 5 अगस्त को पहनाई जाने वाली रामलला की ड्रेस भी दिखाई। उन्होंने बताया कि 5 अगस्त के लिए रामादल ट्रस्ट के कल्कि राम महाराज की तरफ से ड्रेस बनाई जा रही है। यह हरे रंग की होगी और नवरत्न जड़ित होगी। उन्होंने बताया कि राम जन्मभूमि पर रामलला, लक्ष्मण, भारत और शत्रुघ्न के साथ साथ बालरूप में और बड़े रूप में हनुमान जी भी हैं।

भगवत प्रसाद टेलरिंग का काम करते हैं, वे लंबे समय से रामलला के लिए ड्रेस तैयार कर रहे हैं।

इसलिए भगवान के लिए हरे रंग का एक पर्दा जो कि पीछे लगेगा। जबकि एक बड़ा बिछौना, फिर 5 छोटे बिछौने और फिर 5 ड्रेस और 6 दुपट्टे बनाए गए हैं। भगवत प्रसाद ने ड्रेस का दाम बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सब राम की कृपा है।

उन्होंने यह भी बताया कि ट्रस्ट बनने से पहले सरकार साल में 7 ड्रेस भगवान के लिए बनवाती थी जोकि सोमवार के दिन सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम, शनिवार को नीला और रविवार को गुलाबी होता था। जब से रामजी टाट से ठाट में आए हैं तब से भक्त भी ड्रेस भी देने लगे हैं। भगवत प्रसाद ने बातचीत में बताया कि हम प्रभु के लिए केसरिया रंग का ड्रेस भी बना रहे हैं।

ऐसा क्यों के सवाल पर वह कहते हैं कि यदि किसी को हरे रंग की ड्रेस न समझ आई तो केसरिया रंग का ड्रेस भी पहनाया जा सकता है। हालांकि उन्होंने कहा इसे बस सावधानी के लिए बनाया गया है। जबकि दिन बुधवार के हिसाब से भगवान को हरे रंग का ही ड्रेस पहनाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि हमारे पिता जी ने यह काम किया और हमारे साथ- साथ अब हमारे लड़के भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारा भाई शंकरलाल भी इसी दुकान में बैठता है। उन्होंने कहा कि हमने अभी तक रामलला की सेवा की है उम्मीद है कि अब हमारे बेटे सेवा करेंगे। बेटों को कुछ और कराने के सवाल पर भगवत प्रसाद कहते हैं कि रामलला की सेवा से बेहतर क्या है। उन्हीं की कृपा रही आगे भी बढ़िया होगी।
पांचवी कहानी : 60 साल से दूध- दही पहुंचा रहे हैं, जब से रामलला की मूर्तियां गर्भगृह मे मिलीं तब से दूध- दही वहां जाता है

सीताराम की दूध- दही की दुकान है। उनका परिवार भगवान रामलला के लिए 60 साल से दूध-दही पहुंचा रहा है।

राम जन्मभूमि के पास रामकोट मोहल्ला पड़ता है। यहां सीताराम की दूध- दही की दुकान है। दुकान में बहुत भीड़ नहीं है। काउंटर पर लगभग 60 साल के सीताराम खड़े हैं, पूछने पर बताते हैं कि यही वह दुकान है जहां से रामलला के लिए दूध- दही जाता है। वह बताते है कि जब से रामलला की मूर्तियां गर्भगृह में मिली तब से दूध- दही वहां जाता है। पहले पिता जी ले जाते थे,उसके बाद मैं ले जाता हूं।

उन्होंने बताया कि तीज त्योहार पर घी, कु़ट्टू का आटा, पेड़ा वगैरह भी जाता है। उन्होंने बताया कि पहले राम जन्मभूमि के बगल में ही दुकान थी। जब 1992 में बाबरी विध्वंस हुआ तो बड़े पैमाने पर फसाद हुआ। उसी के बाद हमने वहां से दुकान हटा दी। फिर रामकोट मोहल्ले में दुकान खोली। तब से यहीं है। सीताराम कहते हैं कि मंदिर बन जाए फिर रुपया पैसा का लेनदेन होता रहेगा।



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Those who sew Ramlala's dress, who send 20 Beeda special paan every day, who make garlands and those who send milk-curd and Khurachan Peda


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