देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 17 लाख के पार हो चुका है। महज 6 महीने में कोरोना मरीजों की संख्या 1 से बढ़कर 17.50 लाख तक पहुंच गई। संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी को आया था। इसके बाद 24 मार्च तक 571 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। बढ़ते मामलों को रोकने के लिए 25 मार्च से केंद्र सरकार ने देश में लॉकडाउन लगा दिया। ये दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन कहा गया, क्योंकि एक साथ 138 करोड़ की आबादी को घरों में कैद रहने का हुक्म था। 31 मई तक ये लॉकडाउन 4 अलग-अलग फेज में लगा।
आंकड़े बताते हैं कि 30 जनवरी से लेकर लॉकडाउन के आखिरी फेज यानी 31 मई तक देश में 1.90 लाख संक्रमित थे। लॉकडाउन खुलते ही हाहाकार मच गया। एक जून से देश में अनलॉक 1 लागू हुआ। इस दौरान सरकार ने कई गतिविधियों में छूट दे दी। बाजार और दुकानों को खोलने की मंजूरी थी। नॉन कंटेनमेंट जोन में आवाजाही और इंटर डिस्ट्रिक्ट मूवमेंट करने तक की अनुमति दे दी गई। सभी दफ्तर खुल गए।
इसका नतीजा रहा कि देखते ही देखते दो महीने के अंदर संक्रमण के मामले 1.90 लाख से बढ़कर 17.50 लाख तक पहुंच गए। मतलब लॉकडाउन तक मिले कुल केस के 9 गुना ज्यादा मरीज केवल जून और जुलाई में मिले। जून में 3 लाख 95 हजार 144 केस सामने आए तो जुलाई यानी अनलॉक 2.0 में 11 लाख 11 हजार 262 नए मामले सामने आए। इस बीच 19 हजार लोगों की जान गई।
पहले से 5 लाख केस होने में 148 दिन लगे, अगले 12 लाख मामले केवल 34 दिन में हो गए
30 जनवरी को देश में संक्रमण का पहला मामला मिला। इसके 148 दिन में मरीजों की संख्या 5 लाख तक पहुंच गई। तब हर दिन करीब 10 हजार मामले आते थे। लेकिन इसके अगले 34 दिनों में संक्रमितों की संख्या 5 लाख से बढ़कर 17.50 लाख से ज्यादा हो गई। मतलब इन 34 दिनों में 12.50 लाख से ज्यादा नए केस सामने आए।
लॉकडाउन से पहले रिकवरी रेट 7% से भी कम था, अब 65% के पार
लॉकडाउन लगने और लॉकडाउन खुलने के बाद एक तरफ मरीजों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। हालांकि, अच्छी बात ये भी रही कि ठीक होने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ती रही। लॉकडाउन से पहले तक कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट सिर्फ 6.86% था, जो अब 65.46% तक पहुंच गया है।
लॉकडाउन-1 में रिकवरी रेट बढ़कर 11% के ऊपर आ गया। लॉकडाउन-2 में 27% से ऊपर और लॉकडाउन-3 में 38% के ऊपर पहुंचा। जबकि, लॉकडाउन-4 में मरीजों का रिकवरी रेट 48% के पार पहुंच गया। अनलॉक-1 में तो रिकवरी रेट करीब 60% के आसपास आ गया। अब देश में कोरोना मरीजों की संख्या भले ही 17 लाख के ऊपर आ गई हो, लेकिन रिकवरी रेट भी 65.46% पहुंच गया है। मतलब 100 मरीजों में 65 लोग ठीक हो रहे हैं।
डेथ रेट कम, लेकिन मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही
देश में संक्रमण के चलते मरने वालों की संख्या भी अब 37 हजार के पार हो गई है। हर रोज 700-800 लोग जान गंवा रहे हैं। लॉकडाउन और उसके बाद की तुलना करें तो डेथ रेट में जरूर कमी आई है। केंद्र सरकार के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान संक्रमण से डेथ रेट 3.35% थी जो अब कम होकर 2.15% हो गई है। हालांकि, मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत अब दुनिया का 5वां देश हो गया है, जहां कोरोना का चलते सबसे ज्यादा लोगों ने जान गंवाई। इस मामले में अमेरिका पहले और ब्राजील दूसरे नंबर पर है।
देश में सबसे संक्रमित राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और कर्नाटक
भारत में कुल संक्रमितों में 27.35% लोग महाराष्ट्र से ही हैं। मौत के आंकड़ों को देखें तो अब तक हुई कुल मौतों में 44.85% लोग इसी राज्य से थे। देश का दूसरा सबसे संक्रमित राज्य तमिलनाडु है। 11 लाख संक्रमितों में 15.82% लोग यहीं से हैं। देश की राजधानी दिल्ली के 13.38% संक्रमित हैं। देश में सबसे ज्यादा संक्रमित शहरों में मुंबई, ठाणे, पुणे, चेन्नई, अहमदाबाद और बेंगलुरु हैं। यहां संक्रमण के चलते सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
अब हर 10 लाख की आबादी में 14,017 लोगों का टेस्ट हो रहा
भारत में अब तक 1.88 करोड़ लोगों का कोरोना टेस्ट हो चुका है। इनमें 9.04% लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अब देश में हर 10 लाख की आबादी में 14,017 लोगों की जांच हो रही है। इनमें 1,236 लोग संक्रमित मिले हैं। जबकि इतनी ही आबादी में 27 लोगों की मौत हो रही है। ये आंकड़े बाकी बड़े देशों के मुकाबले काफी कम है।
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