सोमवार, 24 अगस्त 2020

73 साल में 13 गैर गांधी अध्यक्ष रहे, आम चुनावों में इनका सक्सेस रेट 57%; गांधी परिवार से राजीव-सोनिया-राहुल ही ऐसे, जिनके अध्यक्ष रहते पार्टी हारी

2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों में अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई थी। पहली पार्टी थी भाजपा, जिसके अध्यक्ष अमित शाह लोकसभा चुनाव जीत चुके थे और गृह मंत्री बन गए थे। तब पार्टी को लगा था कि एक व्यक्ति दो जिम्मेदारियां नहीं संभाल सकता। दूसरी पार्टी थी कांग्रेस। क्योंकि, लोकसभा चुनाव में बुरी हार के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी।

उसके बाद हुआ ये कि जेपी नड्‌डा के रूप में भाजपा ने तो अपना नया अध्यक्ष चुन लिया। लेकिन, राहुल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस को दोबारा सोनिया गांधी की शरण में जाना पड़ा। पिछले साल अगस्त में जब सोनिया गांधी फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनीं, तो सवाल यही उठा कि क्या कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा किसी और को अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता। कांग्रेस में अक्सर गैर गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग उठती रही है।

एक बार फिर से कांग्रेस में बदलाव की मांग तेज हो गई है। खुद प्रियंका गांधी ने भी एक किताब को दिए इंटरव्यू में कहा है कि अब किसी गैर-गांधी को पार्टी का नेतृत्व संभालना चाहिए।

आजादी के बाद सबसे ज्यादा समय तक गांधी परिवार से ही अध्यक्ष ही रहे
1885 में बनी कांग्रेस पार्टी के अब तक 88 अध्यक्ष रह चुके हैं। इनमें से 18 अध्यक्ष आजादी के बाद बने हैं। आजादी के बाद इन 73 सालों में से 38 साल नेहरू-गांधी परिवार ही पार्टी का अध्यक्ष रहा है। जबकि, 35 साल गैर नेहरू-गांधी परिवार ने कमान संभाली है।

आजादी के बाद 1951 से लेकर 1954 तक जवाहर लाल नेहरू अध्यक्ष रहे। उनके बाद 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष बनीं। फिर 1978 से 1984 तक इंदिरा दोबारा अध्यक्ष रहीं। इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1985 से 1991 तक राजीव गांधी अध्यक्ष बने। राजीव गांधी की मौत के 7 साल बाद 1998 में सोनिया गांधी अध्यक्ष बनीं, जो 2017 तक इस पर रहीं। उसके बाद राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद अगस्त 2019 से सोनिया गांधी दोबारा अध्यक्ष हैं। राहुल गांधी दिसंबर 2017 से अगस्त 2019 तक अध्यक्ष रहे थे।

अब बात उनकी, जो गांधी परिवार से नहीं थे
कांग्रेस पार्टी में आखिरी अध्यक्ष सीताराम केसरी थे, जो गांधी परिवार से नहीं आते थे। सीताराम केसरी 1996 से 1998 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे। उनके बाद से 22 साल हो गए, तब से कांग्रेस की कमान गांधी परिवार के हाथ में ही है।

आजादी के बाद से अब तक गैर गांधी परिवार से आने वाले 13 अध्यक्ष बने हैं। इन 13 अध्यक्षों ने 35 साल कांग्रेस की कमान संभाली है। आजादी के बाद कांग्रेस के पहले अध्यक्ष जेबी कृपलानी थे, जो गांधी परिवार से इतर थे।

आम चुनावों में प्रदर्शन : गांधी परिवार v/s गैर गांधी परिवार
आजादी के बाद पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव हुए थे और शुरुआती 25 सालों तक कांग्रेस के सामने कोई मजबूत विकल्प ही नहीं था। हालांकि, 1975 में आपातकाल लगाने के बाद 1977 के चुनावों में कांग्रेस को पहली बार हार देखनी पड़ी। इस चुनाव में कांग्रेस 153 सीट पर सिमट गई। इस हार के बाद इंदिरा गांधी दोबारा अध्यक्ष बनीं और 1980 के चुनाव में 351 सीटें जीतकर दोबारा कांग्रेस की सरकार बनाई।

आजादी से लेकर अब तक देश में 17 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें से 10 चुनावों के वक्त कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से रहा है, जबकि 7 बार गैर गांधी परिवार से। गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष रहते कांग्रेस ने तीन चुनाव हारे हैं, जबकि गांधी परिवार से अध्यक्ष रहते पार्टी चार चुनाव हार चुकी है। इस हिसाब से देखा जाए तो आम चुनावों में गैर गांधी परिवार का सक्सेस रेट 57% रहा है।

जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक, 5 बार आम चुनावों में कांग्रेस का अध्यक्ष गैर गांधी परिवार से रहा और 1977 के चुनावों को छोड़कर सभी चुनावों में कांग्रेस सत्ता में आई। जबकि, राजीव गांधी से लेकर सोनिया गांधी के बीच सिर्फ दो चुनाव के वक्त ही गैर गांधी परिवार से अध्यक्ष रहा और दोनों ही बार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

गांधी परिवार से सिर्फ राजीव-सोनिया और राहुल ही, जिनके अध्यक्ष रहते पार्टी को हार मिली
इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1985 में राजीव गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने और प्रधानमंत्री भी। उसके बाद 1989 में चुनाव हुए और पार्टी चुनाव हार गई। कारण ये था कि राजीव गांधी के 5 साल के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। बोफोर्स मामला तभी उजागर हुआ।

गांधी परिवार से राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही ऐसे हैं, जिनके अध्यक्ष रहते पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। राजीव गांधी 1985 में अध्यक्ष बने और पार्टी 1989 का चुनाव हार गई। 1998 में सोनिया गांधी अध्यक्ष बनीं और अगले ही साल 1999 का चुनाव कांग्रेस हार गई। इसके बाद 2014 के चुनाव में भी सोनिया गांधी ही अध्यक्ष थीं। इस चुनाव में कांग्रेस को अपने इतिहास की सबसे कम 44 सीटें ही मिलीं।

सोनिया के बाद दिसंबर 2017 में राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने। अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पहला चुनाव 2019 में लड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 52 सीटें ही जीत सकीं। आलम तो ये भी रहा कि राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी से भी हार गए।

अब तक 20 से ज्यादा बार टूट चुकी है कांग्रेस
कांग्रेस की स्थापना आजादी से 62 साल पहले 28 दिसंबर 1885 में स्कॉटलैंड के रिटायर्ड अधिकार एओ ह्यूम ने की थी। कांग्रेस की स्थापना के बाद पार्टी में सबसे बड़ा बंटवारा 1907 में हुआ। उस समय पार्टी गरम दल और नरम दल में बंट गई थी।

आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस 20 से ज्यादा बार टूट चुकी है। कांग्रेस से टूटकर बनीं पार्टियों का बाद में या तो कांग्रेस में ही मर्जर हो गया या फिर कांग्रेस के साथ गठबंधन हो गया। आजादी के बाद पहली बार 1951 में कांग्रेस टूटी। उस समय जेबी कृपलानी ने कांग्रेस से अलग होकर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बना ली। इसी साल एनजी रंगा ने भी हैदराबाद स्टेट प्रजा पार्टी बनाई थी। उसी साल सौराष्ट्र खेदुत संघ नाम से नई पार्टी कांग्रेस से अलग होकर बनी।

इंदिरा गांधी के समय कांग्रेस दो बार टूटी। पहली बार 1969 में, जब कांग्रेस ने इंदिरा गांधी को बर्खास्त कर दिया था। तब इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (रिक्वीजिशन) बनाई। उसके बाद 1977 में कांग्रेस में फिर बंटवारा हो गया। इस बार इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (आई) नाम से अलग पार्टी बनाई और इसका इलेक्शन सिम्बल पंजे का निशान रखा। इसमें आई का मतलब इंदिरा से था।

आजादी से लेकर अब तक कांग्रेस में जितनी बार भी बंटवारा हुआ है, उनमें से ज्यादातर समय अध्यक्ष गांधी परिवार से ही रहा है। कांग्रेस में आखिरी बड़ा बंटवारा 2016 में हुआ। तब छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होकर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी बनाई।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
13 non-Gandhi presidents in 73 years, with a success rate of 57% in general elections; Rajiv-Sonia-Rahul are the only ones from the Gandhi family who lost the party while president


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/34sZGTs
https://ift.tt/3j64DWg

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt, please let me know.

Popular Post