अगर कोई लॉटरी का टिकट या शराब बेचते पकड़ा गया, तो उसे सात हजार रुपए जुर्माना और जो इन चीजों को खरीदेगा उसे 2 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा। वहीं, दुकान पर टीवी चलाने और देखने वालों को भी एक हजार का जुर्माना भरना होगा।
कैरम खेलने और मोबाइल पर गाने सुनने वालों पर भी कोई रहम नहीं है। ऐसा करते जो पकड़े जाएंगे उन्हें भी एक हजार रुपए का जुर्माना देना होगा। यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं है, बल्कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के कुछ गांवों की हकीकत है। जहां समाज सुधार के नाम पर फतवा जारी किया गया है।
जिस संगठन ने फतवा जारी किया है, उसमें सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के कम से कम तीन स्थानीय नेता भी शामिल हैं। हालांकि, टीएमसी इसे उनका निजी मसला बता रही है। लेकिन, अब पूरे मामले को लेकर सियासत शुरू हो गई है।
झारखंड की सीमा से लगे रघुनाथगंज सब डिवीजन के अद्वैतनगर और उससे सटे दो गांवों में आखिर ऐसा फतवा क्यों जारी किया गया, इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले इस इलाके का भूगोल समझना जरूरी है।
दरअसल, बरसात के सीजन में उफनती बांसलाई नदी ने इन गांवों को मुख्य शहर से अलग कर दिया है। इससे इन गांवों तक पुलिस प्रशासन नहीं पहुंच पा रहा है। उधर गांव वाले भी छोटी-मोटी बातों के लिए टूटे हुए पुल पार करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते। इसी मजबूरी का फायदा यहां के कुछ कथित समाज सुधारक उठा रहे हैं। वे लोग फतवे भी जारी कर रहे हैं और उसे लागू भी करवा रहे हैं।
मामला उजागर होने के बाद पुलिस ने कहा है कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि आखिर पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर करने की हिम्मत कौन करेगा? नतीजतन न तो किसी ने इसकी शिकायत की है और न ही अब तक कोई कार्रवाई हुई है।
अद्वैतनगर समेत इन तीनों गांवों की आबादी 12 हजार से ज्यादा है। हाल में बनी समाज संस्कार (समाज सुधार) समिति ने अपने फतवे में उन कामों की एक सूची जारी की है, जो उनके मुताबिक गंभीर अपराध हैं। इस सूची के मुताबिक ही आरोपियों से जुर्माना वसूला जाएगा।
इस सूची में लॉटरी और शराब की खरीद-बिक्री के अलावा चाय की दुकानों पर टीवी चलाना, मोबाइल और कंप्यूटर पर गाने सुनना, नशीली वस्तुओं का सेवन करना, पब्लिक प्लेस पर कैरम और जुआ खेलना शामिल है।
इनमें से किस अपराध के लिए कितना जुर्माना देना होगा, इसकी बाकायदा लिस्ट बना कर घर-घर बांटी गई है। जुर्माने की यह रकम 500 से 7 हजार रुपए तक है। सबसे कम 500 का जुर्माना कैरम खेलने पर है और सबसे ज्यादा 7 हजार लॉटरी की टिकटें और शराब बेचने पर है।
इतना ही नहीं जो लोग ऐसा करते पकड़े जाएंगे उन्हें जुर्माने के साथ माफी भी मांगनी होगी और कान पकड़कर उठक-बैठक भी करनी होगी। इसके अलावा इन लोगों के बारे में सूचना देने वालों के लिए 200 लेकर एक हजार रुपए तक का इनाम भी रखा गया है।
इस कमेटी में तृणमूल कांग्रेस के तीन ग्राम पंचात सदस्यों के अलावा स्थानीय इमाम, मौलवी और कांग्रेस का एक सदस्य भी शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि कमेटी के अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता अजहरुल शेख इन फैसलों का बचाव भी करते हैं।
उनका कहना है, हमने इलाके के युवकों के हित में ही यह फतवा जारी किया है और इसका पालन करना जरूरी है। इसका मकसद युवकों को गलत राह पर जाने से बचाना है। शेख कहते हैं कि घर में बैठकर टीवी देखने को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। लेकिन, शाम के समय पढ़ने के बजाय जो युवक चाय की दुकानों पर टीवी देखेंगे, उन्हें जुर्माना भरना होगा और माफी भी मांगनी होगी।
शेख बताते हैं कि इस सप्ताह गांजा और सिगरेट पीने वाले दो युवकों को सिर्फ माफी मांगने के बाद छोड़ दिया गया। लेकिन, आगे से इन नियमों को कड़ाई से लागू किया जाएगा। फतवे में कहा गया है कि शराब बेचने वाले को जुर्माना तो भरना ही होगा। इसके साथ ही सिर मुंडवाकर उसे पूरे गांव में भी घुमाया जाएगा। इसी तरह शराब पीने वालों को कान पकड़ कर उठक-बैठक करनी होगी।
कमेटी के सदस्य और कांग्रेस नेता बाबूल अख्तर कहते हैं कि सरकार ने भले अनुमति दी हो, लेकिन लॉटरी एक जुआ है। हम जो भी कर रहे हैं वह युवा समाज के भले के लिए कर रहे हैं। उनका सवाल है कि अगर हम नहीं देखेंगे तो युवाओं के भविष्य की चिंता कौन करेगा? साथ ही वह कहते हैं कि समिति सामाजिक है, राजनीतिक नहीं। राजनीति से इसका कोई लेना-देना नहीं है।
कमेटी के अध्यक्ष अब्दुल रऊफ कहते हैं, समाज में फैलती अनैतिकता पर रोक लगाने के लिए कैरम खेलने, टीवी पर कुसंस्कृति फैलाने वाली चीजें देखने और मोबाइल पर गाने सुनने जैसी बातों पर पाबंदी लगाई गई हैं। इन गांवों के लोगों ने भी फतवा जारी होने की पुष्टि की है।
अद्वैतनगर के एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि फतवे को लेकर गांव में पर्चे बांटे गए हैं और लाउडस्पीकर के जरिए इसकी सूचना भी दी गई है।
जंगीपुर के पुलिस अधीक्षक वी. रघुबंशी बताते हैं कि उन्होंने पुलिस की एक टीम मौके पर भेजी थी। अगर कोई अवैध काम हो रहा है, तो उसे बंद कर दिया जाएगा। स्थानीय थाने के ओसी के. विशोई ने कमेटी के लोगों से बात की है और उन लोगों ने गलती के लिए माफी मांग ली है। साथ ही भविष्य में ऐसा नहीं करने की बात कही है।
शमसेरगंज ब्लाक के बीडीओ जयदीप चक्रवर्ती का कहना है कि अगर कोई कानून हाथ में लेने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उधर गांव वालों का आरोप है कि इस मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस कमेटी के लोगों को गिरफ्तार करने के बजाय मामले की लीपापोती करने की कोशिश कर रही है।
शायद कमेटी में तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों की वजह से ही मामले को दबाया जा रहा है। पुलिस का दावा है कि अब यह मामला निपटा लिया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो कमेटी अब भी फतवे के मुताबिक लोगों को सजा दे रही है। हां, पुलिस के दबाव में फिलहाल उसने जुर्माने की वसूली रोक दी है, लेकिन माफी और कान पकड़ कर उठक-बैठक की सजा अब भी जारी है।
अब्दुल रऊफ कहते हैं, हमने फिलहाल जुर्माने की वसूली रोक दी है। जो कुछ रुपए जुर्माने के तौर पर मिले हैं, उसे पंचायत के दफ्तर के लिए सामान खरीदने में खर्च किया गया है। दूसरी ओर अब यह मामला राजनीतिक रंग लेने लगा है। तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय विधायक अमीर उल हक कहते हैं कि हम इस फतवे का समर्थन नहीं करते, इस मामले में कानून अपना काम करेगा।
दूसरी ओर, भाजपा ने ऐसे फतवों के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। मुर्शिदाबाद उत्तर के जिला भाजपा अध्यक्ष सुजित दास कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल को तालिबानी राज्य बना दिया है। यहां कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। उनकी दलील है कि जिन गांवों में यह फतवा जारी किया गया है, वहां की ग्राम पंचायतों पर तृणमूल का कब्जा है। ऐसे में जाहिर है कि इस तरह की हरकतों को पार्टी का सपोर्ट है। पुलिस को तत्काल ऐसे लोगों को गिरफ्तार करना चाहिए।
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