बात अगस्त 2018 की है। अयोध्या के दोस्त। नाम सुल्तान और रोहित। इसी साल जब भारत की बड़ी टेलीकॉम कंपनियों वोडाफोन और आइडिया का मर्जर हुआ तो बहुत से लोगों की नौकरी पर बन आई। 12 साल से वोडाफोन में काम कर रहे सुल्तान खान टॉप परफॉर्मर थे। सुल्तान और उन्हीं के साथ काम करने वाले उनके दोस्त रोहित उस लिस्ट में शामिल हो गए जिन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। कुछ दिन तो वो दोनों यही सोचते रहे कि अब आखिर करें क्या?
फिर उन्होंने अयोध्या में घर से ही टिफिन बिजनेस शुरू किया और अब दो साल बाद वो तीन रेस्त्रां के मालिक हैं। सुल्तान और रोहित की जोड़ी के अब अयोध्या-फैजाबाद में दो हज़ार वर्गफीट में तीन रेस्त्रां हैं। उन्होंने तीन दर्जन लोगों को रोजगार दिया है जिनमें कई लोग ऐसे हैं जो उनके साथ टेलीकॉम सेक्टर में ही काम करते थे और बेरोजगार हो गए थे।
सारी सेविंग खर्च की, लोन लेना पड़ा
सुल्तान कहते हैं- हमने अपने टिफिन सेंटर का नाम रखा ‘घर जैसा'। शुरुआत मुश्किल थी। हम लोगों से मिलकर उन्हें समझाते थे। फिर कहीं जाकर ऑर्डर मिलते थे। हमने अपनी पूरी सेविंग काम शुरू करने में लगा दी थी। शुरुआत में रेस्पॉन्स बहुत अच्छा नहीं था। हमारी सेविंग खत्म हो रही थी। घर का महीने का खर्च भी चलाना था। दोस्तों तक से मदद लेनी पड़ी। दोनों दोस्तों ने शुरू में अपने बिजनेस में दस लाख रुपए इंवेस्ट किए। बाद में उन्हें लोन भी लेना पड़ा। फर्नीचर-बिजली आदि का काम दोस्तों से कराया जिनका बिल वो अभी तक धीरे-धीरे चुका रहे हैं।
सुल्तान और रोहित दोनों ही अच्छी सैलरी पर काम करते थे। वो कंपनी में मैनेजर स्तर पर थे। अपनी इनकम के बारे में सुल्तान कहते हैं, 'हमारा जितना वेतन था अब हम उससे ज्यादा कमा रहे हैं। लेकिन असली खुशी इस बात की है कि हमने दर्जनों लोगों को रोजगार दिया। उन लोगों को काम पर लगाया जिनका काम छूट गया था।’
टिफिन सर्विस से अनुभव लेकर सुल्तान और रोहित ने घर जैसा नाम से ही अपना पहला रेस्त्रां शुरू किया। ये फैजाबाद के नाका रोड पर सिर्फ 80 वर्गफीट की एक दुकान में था। यहां आसपास कोई रेस्त्रां भी नहीं था। सुल्तान कहते हैं, 'ये इलाका ट्रांसपोर्ट के लिए जाना जाता है। यहां सिर्फ ट्रक खड़े रहते थे। हमें अपनी पहचान बनाने में बहुत मेहनत करनी पड़ी। वो कहते हैं, 'हम सर्विस इंडस्ट्री से आए थे और जानते थे कि अगर बेहतर सर्विस दी जाए तो बिजनेस को बढ़ाया जा सकता है। इसलिए हमने पूरा जोर सर्विस और ब्रांडिंग पर दिया।'
सोशल मीडिया पर की ब्रांडिंग
रोहित अपने बिजनेस की कामयाबी का श्रेय सोशल मीडिया को देते हैं। वो कहते हैं, 'हमने क्रिएटिव तरीके से सोशल मीडिया पर अपने रेस्त्रां को प्रोमोट करने की स्ट्रेटजी तैयार की। हमने अपने दोस्तों से पोस्ट करवाए। जब हम लोगों को दिखने लगे तो ग्राहक भी आने लगे।'
सोशल मीडिया से ब्रैंड प्रोमोशन की स्ट्रेटजी पर सुल्तान कहते हैं, 'हमने फेसबुक पर पेज बनाया। दोस्तों से रिक्वेस्ट करके अपनी रेसिपी शेयर करवाईं। गूगल बिजनेस पर अपने आप को रजिस्टर्ड किया। इंस्टाग्राम पर तस्वीरें शेयर की। इससे हमारा रेस्त्रां सोशल मीडिया पर लोगों को दिखने लगा।'
सुल्तान और रोहित ने शुद्ध शाकाहारी रेस्त्रां खोलने की भी एक खास वजह है। वो कहते हैं- ‘हमने देखा कि लोग नॉन वेज को शौक से खाते हैं और कई बार नॉन वेज खाने के लिए ही वो घर से बाहर जाते हैं। लेकिन लोग नॉन वेज रोज नहीं खाते और सब लोग नॉन वेज नहीं खाते। ऐसे में हमने तय किया कि हम वेज खाने को ऐसे परोसेंगे कि लोग सिर्फ खाना खाने के लिए घर से बाहर निकलें।’
यूट्यूब से सीखीं रेसिपी, नए प्रयोग किए
वो कहते हैं, 'दिल्ली और पंजाब में सोया चाप काफी फेमस है। लेकिन हमारे अयोध्या-फैजाबाद में कोई सोया चाप नहीं बेच रहा था। हमने सोया चाप में मुगलई टेस्ट देने का प्रयोग किया। ये फ्यूजन फूड लोगों को पसंद आया। हमने आठ राज्यों के फूड को अलग तरीके से पेश किया।'
सुल्तान और रोहित दोनों को ही फूड इंडस्ट्री का कोई अनुभव नहीं था। ये कमजोरी ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गई। उन्होंने इस इंडस्ट्री को समझने के लिए खूब रिसर्च की। कहते हैं, 'हमने यूट्यूब से रेसिपी देखीं। उन्हें ट्राई किया। और उनमें अपनी ओर से कुछ बदलाव किए जो लोगों को बहुत पसंद आए। शुरू में हमने चार लोगों को काम पर रखा था। इनमें दो लोग हमारी कंपनी से ही थे जो हाल ही में बेरोजगार हुए थे। वो ब्रांडिंग करना जानते थे। वो रेस्त्रां में काम करने के अलावा हमारी ब्रांडिंग भी करते थे। इससे भी हमें पहचान बनाने में मदद मिली।
पहला रेस्त्रां चल जाने के बाद रोहित और सुल्तान की जोड़ी ने जो दो नए रेस्त्रां खोले उनमें एंबिएंस और एक्सपीरियंस पर जोर दिया गया। सुल्तान कहते हैं, 'हमने ऐसी जगह बनाने की कोशिश की जहां आकर लोग अच्छा वक्त बिताना चाहे। हमने सेल्फी जोन बनाई और लोगों को तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिए प्रोत्साहित किया।’
सुल्तान और रोहित की जोड़ी के रेस्त्रां खूब चल रहे थे कि लॉकडाउन हो गया। वो कहते हैं, "हमारे सामने बेहद मुश्किल हालात थे। अनलॉक वन हुआ तो हमें पैकिंग और डिलीवरी की अनुमति मिल गई। हमारा बिजनेस पटरी पर आने लगा। अब हम पहले जैसी ही स्थिति में आ गए हैं।’
बेरोजगारों को काम देने की खुशी
रोहित बताते हैं, "हमारे तीनों रेस्त्रां में करीब तीन दर्जन लोग काम करते हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो हमारी पुरानी कंपनी में काम करते थे और बेरोजगार हो गए थे। मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। मैं सुबह दस बजे से रात एक बजे तक काम करता हूं। मैं बमुश्किल पांच-छह घंटे ही सो पाता हूं। लेकिन थकता नहीं, बल्कि मुझे मजा आता है।’
हिंदू और मुसलमान दोस्तों के साथ पर हैरानी
सुल्तान और रोहित के धर्म को लेकर भी कई बार लोग सवाल करते हैं। लोगों को अच्छा भी लगता है कि एक हिंदू और एक मुसलमान दोस्त साथ मिलकर काम कर रहे हैं। रोहित कहते हैं, 'कई बार लोग हमारी पार्टनरशिप पर हैरान होते हैं। लेकिन सच ये है कि अयोध्या-फैजाबाद धार्मिक सौहार्द के शहर हैं। जब लोगों को हमारे नाम पता चलते हैं तो उन्हें अच्छा लगता है। कई लोग ये भी पूछते हैं कि हम साथ कैसे हैं।'
सुल्तान कहते हैं, 'हमारे बीच विश्वास और प्यार है। यही असली धर्म है। जात-पात धर्म से बढ़कर इंसानियत और भाईचारा है। हमारे रेस्त्रां में कर्मचारियों के प्रार्थना करने के लिए छोटा सा मंदिर भी हैं। हम एक दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं।'
ये अब अपने बिजनेस को अयोध्या से बाहर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। वो फ्रेंचाइजी मॉडल पर जाकर और रेस्त्रां खोलना चाहते हैं। वो कहते हैं, 'हम अपनी कामयाबी को दूसरे के साथ बांटना चाहते हैं। और लोगों को रोजगार देना चाहते हैं। इसके लिए अब हम अयोध्या से बाहर निकलने की योजना बना रहे हैं।’
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