आज हार्ट-डे है। यानी हमारे दिल का दिन है। इस साल हमारा दिल सबसे ज्यादा आहत और डैमेज हुआ है। वजह- कुछ और नहीं कोरोनावायरस ही है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल की रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से उबरने वाले 80 फीसदी लोगों में दिल से जुड़ी दिक्कतें देखी गई हैं। यह रिसर्च मई-जून में हुई थी।
कोरोना से हमारा दिल कितना कमजोर हुआ है? इस पर देश के जाने-माने ह्रदय रोग विशेषज्ञ और एम्स दिल्ली में डीएम कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं कि हालिया जो रिसर्च आई हैं, उसके मुताबिक 2.6% से 6% कोरोना मरीजों के दिल पर ही वायरस का असर हुआ है।
पहले कुछ रिसर्च और स्टडी हुई थीं, जिनमें यह आंकड़ा ज्यादा था। हालांकि, अब ये संख्या कम हो गई है। इसमें भी वे लोग ज्यादा हैं, जिन्हें हार्ट की समस्या पहले से है या वे लोग हैं जो हाई रिस्क ग्रुप में हैं या पहले कोई ऑपरेशन हो रखा है।
इसके अलावा जिन्हें कैंसर हो चुका है, जिनकी पहले एंजियोप्लास्टी हो रखी है, जिसे डायबिटीज है, हाई ब्लड प्रेशर है, मोटापा है, फेफड़े की क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस या एम्फसीमा है। ऐसे लोगों को ज्यादा रिस्क है।
देश में 6 करोड़ से ज्यादा दिल के मरीज हैं
हालांकि, कोरोना के अलावा भी कई चीजें हैं, जिनसे हमारे दिल को खतरा रहता है। इसमें हमारी लाइफ स्टाइल और रोजमर्रा की जिंदगी शामिल है। दिल की बीमारी के 15 प्रमुख कारणों में 10 हमारे खान-पान से जुड़ी हैं। देश में दिल के मरीजों की संख्या 6 करोड़ से ज्यादा हैं। इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपने दिल को चुस्त और दुरुस्त रखें। आइए जानते हैं कि कोरोना के दौर में हम दिल की देखभाल कैसे करें।
कोरोना से दिल मरीजों को कितना खतरा है?
- डॉक्टर संजय कहते हैं कि कोविड-19 आने के बाद शुरुआती महीनों में कोरोना का दिल पर असर ज्यादा हो रहा था। ऐसा इसलिए भी था, क्योंकि डॉक्टर्स को कोरोना के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था। इसलिए शुरू में ऐसी दवाएं भी दीं, जिनका दिल पर गहरा असर पड़ता है। इसमें हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन भी ही है। लेकिन, अब ऐसा नहीं है।
- समय के साथ जैसे-जैसे इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारियां सामने आई हैं, डॉक्टरों ने कोरोना मरीजों को नई दवाएं देना शुरू की हैं, जो पहले से ज्यादा कारगर हैं। इनमें रेमडेसिविर और डेक्सामेथासोन भी है। अब नए ट्रीटमेंट में दिल को ज्यादा दिक्कत नहीं है। इसलिए बिना डॉक्टर के सलाह के आप ऐसी कोई भी दवा न लें, जिससे दिल को खतरा पैदा हो। कोरोना का असर दिल के मरीजों के दिल पर ज्यादा पड़ सकता है।
कोविड के दौर में दिल का ख्याल कैसे रखें?
- डॉक्टर संजय कहते हैं कि वैसे तो हमें इस समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। लेकिन, यदि किसी वजह से निकलना पड़ रहा है तो मास्क जरूर पहनें। मास्क को सही तरीके से पहनें। इसे कभी भी नाक के नीचे न करें। कान पर भी न लटकाएं। आपका बचाव आपके हाथ में ही है। घर के बाहर मास्क को वैक्सीन की तरह इस्तेमाल करें। इसके अलावा कुछ और बातों का भी ध्यान रखें।
- कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा सांस से निकली ड्रॉपलेट्स से हैं। इसलिए किसी से बातचीत के दौरान मास्क पहनना बेहद जरूरी हैं। आप खुद के साथ दूसरे का ध्यान रखने के लिए भी मास्क पहनें, क्योंकि हो सकता है कि आप युवा हैं और कोरोना से बच जाएं। लेकिन, सामने वाला व्यक्ति यदि हाई रिस्क कैटेगरी में है या उम्रदराज है तो उसकी जान को ज्यादा खतरा हो सकता है। इसके अलावा किसी दरवाजे को खोलने बंद करने के बाद भी हाथ को जरूर सैनिटाइज करें, क्योंकि दरवाजा दूसरे लोग सबसे ज्यादा छूते हैं।
- डॉक्टर संजय के मुताबिक, कपड़े और मेडिकल मास्क सामान्य लोगों के लिए कुछ हद तक तो ठीक हैं, लेकिन यदि आप हाई रिस्क ग्रुप में हैं तो बाहर निकलने के दौरान थ्री लेयर मास्क या एन-95 मास्क जरूर पहनें।
यदि किसी और बीमारी से पीड़ित हैं तो क्या करें?
डॉक्टर संजय के मुताबिक, यदि आपको पहले से कोई बीमारी है तो आप कोरोना के डर को मन से निकालकर हॉस्पिटल जरूर जाएं। वहां डॉक्टर से उचित सलाह लें, क्योंकि लंबे समय तक डॉक्टर के संपर्क में नहीं रहने से जान को खतरा बढ़ सकता है।
दिल के मरीजों के लिए जरूरी सलाह?
डॉक्टर संजय कहते हैं कि यदि आप हाई रिस्क ग्रुप में हैं और पहले एंजियोप्लास्टी या कोई ऑपरेशन हो चुका है तो डॉक्टर आपको सेकेंडरी प्रिवेंशन के तौर पर इन्फ्लुएंजा वैक्सीन दे सकते हैं। दिल के मरीज कोई भी जरूरी इलाज जैसे एंजियोप्लास्टी आदि को कोरोना की वजह से न टालें। आजकल रेडिएल एंजियोप्लास्टी, जो कि कलाई से की जाती हैं। इसमें अस्पताल में कम समय के लिए रुकना पड़ता है।
दिल को इमोशनली कैसे मजबूत बनाएं?
साइकोलॉजिस्ट और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉक्टर निशा खन्ना बता रही हैं वो 5 तरीके जिनके जरिए आप इस मुश्किल दौर में अपने दिल को इमोशनली मजबूत बना सकते हैं...
1. पॉजिटिव सोचें- बुरे से बुरे दौर में खुद को खुश रखें। हमेशा सकारात्मक चीजों के बारे में सोचें। वो काम करें, जिससे करने से आप में पॉजिटिविटी आती है।
2. मोटिवेट रहें- हर चीज में अच्छा देखें। अपने मोटिवेशनल लेवल को हमेशा हाई रखें। अपने फ्यूचर ड्रीम के बारे में सोचें। कुछ ऐसा करने की कोशिश करें, जिससे मोटिवेट हों।
3. खुशी ढूंढें- जब भी कोई काम करें या कहीं आएं-जाएं तो छोटी सी छोटी बातों में खुशी ढूंढ़ने की कोशिश करें।
4. पॉजिटिव लोगों से मेल-जोल बढ़ाएं- ऐसे लोगों से मेल-जोल बढ़ाने की कोशिश करें, जो पॉजिटिव सोच रखते हैं। जिससे मिलने से आप में पॉजिटिविटी आए, वो आपको मोटिवेट करे। आपकी भी कोशिश होनी चाहिए कि उससे पॉजिटिव बातें करें।
5. अच्छा सोचें- हमारा ध्यान निगेटिविटी की ओर ज्यादा जाता है, खासकर कोरोना के दौर में। इसलिए हमारे साथ पहले जो कुछ अच्छा हुआ है, उसके बारे में सोचें, इससे पॉजिटिविटी आएगी।
ब्रिटेन में हुई स्टडी में 15% मरीजों में डिसऑर्डर देखने को मिला
अमेरिकन जनरल में जो रिसर्च छपी है, उसके शोधकर्ता क्लायड डब्ल्यू येंसी के मुताबिक, रिसर्च में सामने आया कि 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। वहीं, ब्रिटेन में हुई एक और ऐसी ही स्टडी में सामने आया कि कोरोना के 1216 मरीजों में संक्रमण के बाद दिल से जुड़े डिसऑर्डर दिखे। 15% मरीजों में ऐसे कॉम्प्लीकेशंस सामने आए जो बेहद गंभीर थे और जान का जोखिम बढ़ाने वाले थे।
कोरोना सीधे फेफड़े पर अटैक करता है, इससे दिल के टिश्यू कमजोर होने लगते हैं
मरीजों पर लंबे समय तक कोरोना के साइडइफेक्ट क्यों दिखते हैं, वैज्ञानिक इसका पता लगाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि कोरोना सीधे तौर पर मरीजों के फेफड़े पर असर करता है। जिससे शरीर में ऑक्सीजन का लेवल प्रभावित होता है। इस स्थिति में हृदय को ब्लड दूसरे अंगों तक पहुंचाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। लगातार दबाव बने रहने पर हार्ट के टिश्यू कमजोर होने लगते हैं और हृदय रोगों से जुड़े मामले सामने आते हैं।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3cCEcFJ
https://ift.tt/3jcrPSZ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubt, please let me know.