भारतीय नाैसेना के 76 साल पुराने ऐतिहासिक जंगी जहाज आईएनएस विराट का विसर्जन 28 सितंबर को होगा। भास्कर टीम इसके विसर्जन की अंतिम गवाह बनी और मौके पर पहुंची। 2017 में इसे रिटायर करने के बाद कोच्चि में सबसे पहले इसके इंजन, जनरेटर निकाले गए।
बाद में वायरिंग को निष्क्रिय कर पंखे, नेविगेशन उपकरण, रडार, ब्रिज रूम सहित दोबारा उपयोग में आने वाले तमाम उपकरण निकाल लिए गए हैं। 1944 में बने इस जहाज की प्लेट, डेक-रन-वे आज भी मजबूत स्थिति में है। बिजली नहीं होने के कारण अपर डेक से ग्राउंड डेक तक इसके तमाम फ्लोर पर अंधेरा पसरा हुआ है।
अंदरूनी हिस्से में निचली डेक पर लाइब्रेरी, नेवी के कर्मचारियों के आवासीय कैबिन सब अस्त-व्यस्त है। इसमें जिम, अस्पताल, मैस रूम आदि हैं। भावनगर के एंकरेज क्षेत्र में पिरम आईलैंड की दक्षिण दिशा में खड़े इस जहाज में तैनात रहे लेफ्टिनेंट कमांडर आईएस चीमा और संजय कार्वे कहते हैं कि इसे विसर्जित करने की बजाय अगर म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाता तो ज्यादा बेहतर होता। यह भारतीय मैरिटाइम इतिहास के जीवंत स्वरूप से लोगों को हमेशा रूबरू करवाते रहता।
विसर्जन से पहले सभी सरकारी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी
आईएनएस विराट को ऑनलाइन नीलामी में खरीदने वाले मुकेश पटेल ने बताया कि 28 सितंबर से अलंग के गहरे समुद्र क्षेत्र में इसके विसर्जन का काम शुरू होगा। गुरुवार से कस्टम, गुजरात मैरिटाइम बोर्ड (जीएमबी), गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) और एईआरबी सहित प्राधिकरण की जरूरी औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा।
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