रविवार, 6 सितंबर 2020

राष्ट्रपति ने इच्छामृत्यु की मांग खारिज की तो बीमार व्यक्ति ने फेसबुक पर मौत की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की

फ्रांस के डीजोन शहर में रहने वाले 57 साल के अलाइन कोक लाइलाज बीमारी से परेशान हैं। इलाज नहीं मिलने पर उन्होंने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई। लेकिन, राष्ट्रपति ने कोक की मांग खारिज कर दी। कोक ने अब खाना-पीना छोड़ दिया है। साथ ही शनिवार सुबह से फेसबुक पर अपनी मौत की लाइव स्ट्रीमिंग भी शुरू कर दी है।

कोक ने कहा- ‘‘मैं एक हफ्ते से ज्यादा जी नहीं पाऊंगा। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, वैसे ही मुझे बेचैनी हो रही है।" कोक ने राष्ट्रपति को चिट्ठी में लिखा था- "मैं ऐसी बीमारी से ग्रसित हूं, जिसका इलाज नहीं हो पा रहा है। मेरे असहनीय दर्द को शांत करने के लिए कुछ ऐसी चीज दी जाए, जिससे मैं शांत होकर मर सकूं।’’

इस पर राष्ट्रपति मैक्रों ने उन्हें समझाते हुए इच्छामृत्यु देने से इनकार कर दिया। मैक्रों ने कहा- ‘‘फ्रांस के कानून के मुताबिक मुझे इसकी इजाजत नहीं है, क्योंकि मैं कानून से बड़ा नहीं हूं। इसलिए मैं आपकी अपील नहीं मान सकता।’’

‘बीमारी से जूझ रहे लोगों को पीड़ा से बाहर लाना चाहता हूं’
राष्ट्रपति का जवाब मिलने पर कोक ने शुक्रवार को मौत की लाइव स्ट्रीमिंग करने की घोषणा की और शनिवार से शुरू भी कर दी। इस बारे में कोक ने कहा- "अपनी मौत की लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए लोगों में जागरूकता लाना चाहता हूं। बीमारी से जूझ रहे लोगों की पीड़ा को बाहर लाना चाहता हूं ताकि उन्हें इच्छामृत्यु की अनुमति मिल सके।"

फ्रांस उन यूरोपीय देशों में से एक है, जो इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं देते। 2016 में बनाए गए एक कानून के मुताबिक, अपने अंतिम पलों के दौरान मरीजों को इच्छामृत्यु नहीं दी जाती है। लेकिन, ऐसे मरीजों को सिर्फ बेहोश करके रखा जा सकता है।

कोक ने कहा- शायद मेरे कदम से कानून में बदलाव की गुंजाइश बने
कोक पिछले 34 साल से बीमार हैं। बीमारी की वजह से उन्हें बिस्तर पर ही रहना पड़ता है। उन्होंने लाइव स्ट्रीमिंग करने पर कहा- ‘‘अपनी मौत को यादगार बनाना चाहता हूं। इच्छा है कि मेरी मौत को पूरी दुनिया याद रखे। शायद इससे फ्रांस के कानून में बदलाव की गुंजाइश बने। इस पर राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा-‘इस इच्छा का सम्मान करते हैं।’’



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57 साल के अलाइन कोक लाइलाज बीमारी से परेशान हैं। वे चाहते हैं कि फ्रांस के कानून में बदलाव हो और गंभीर बीमारी का दर्द झेलने वालों को इच्छामृत्यु की इजाजत मिल सके।


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