पुणे शहर के फरगुसन कॉलेज रोड पर इन दिनों 22 साल का एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट एक प्लेकार्ड लेकर खड़ा रहता है। जिस पर लिखा होता है, ‘आप मुझे अपनी स्टोरी बताइए, मैं आपको 10 रुपए दूंगा।’ उसे देखकर वहां से गुजरने वाले लोगों की निगाहें कुछ सेकेंड के लिए उस पर ठहर जाती हैं और कदम खुद-ब-खुद रुक जाते हैं। जब लोग पास जाते हैं, तब उन्हें पूरी कहानी समझ में आती है।
प्लेकार्ड लेकर खड़े रहने वाले इस शख्स का नाम है राज डागवार, जो पुणे के ही PRCT कॉलेज में कम्प्यूटर इंजीनियरिंग फाइनल ईयर का स्टूडेंट है। मूलत: नागपुर से ताल्लुक रखने वाले राज की फैमिली दुबई में रहती है और वो यहां रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोगों को यह पहल काफी पसंद आ रही है।
राज कहते हैं, 'हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग हैं, जो अकेले पड़ चुके हैं। घर में रहकर वह अपनी बात किसी अपने से शेयर नहीं कर पाते हैं और अंदर ही अंदर घुट रहे होते हैं। लॉकडाउन के दौरान हालात और भी बिगड़े हैं। कई लोग अकेलेपन की वजह से डिप्रेशन में चले गए।'
राज कहते हैं, 'हर इंसान अपने दिल की बात कहने के लिए किसी खास शख्स को ढूंढता है। जिससे वे सबकुछ शेयर कर सकें, ताकि मन का बोझ कुछ हल्का हो सके और सही सलाह मिल सके। लेकिन, जरूरी नहीं कि हर कोई इतना लकी हो कि उसके पास अच्छे दोस्त या कोई ऐसा हो, जिसके सामने वे अपना दिल खोलकर बात कर सके।'
इंस्टाग्राम पर ऐसी ही एक पोस्ट देखकर पुणे में की शुरुआत
राज बताते हैं, '4 दिसंबर की रात जब मैं इंस्टाग्राम पर स्क्रॉल कर रहा था, तो मैंने एक पेज पर एक पोस्ट देखी। जहां लिखा था, ‘टेल मी योर स्टोरी, एंड आई विल गिव यू वन डॉलर।’ मुझे ये कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा लगा और मैंने उसे शेयर करते हुए यह तय किया कि अगले दिन मैं भी ऐसा ही करूंगा। बस, फिर क्या था, मैंने एक प्लेकार्ड तैयार किया और शाम को स्ट्रीट पर जाकर खड़ा हो गया। मैं शाम 6 बजे से रात 10-11 बजे तक वहां खड़ा रहता हूं लोगों की कहानियां सुनता हूं।'
वो कहते हैं, 'आज रोजाना करीब 15 से 20 लोग मुझे अपनी कहानी बताने के लिए रुकते हैं। कुछ लोग तो सिर्फ ये जानने के लिए रुकते हैं कि मैं ऐसे क्यों खड़ा हूं। कुछ लोगों को तो लगता है कि मैं 10 रुपए मांग रहा हूं और वो मुझे पैसे देकर चले जाते हैं। तब मैं उन्हें आराम से समझाता हूं कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं।'
राज कहते हैं, ‘मैं भी अपनी लाइफ में डिप्रेशन से गुजरा हूं। साल 2019 में मेरी भी हालत ऐसी होती थी कि मैं अपनी बात किसी से शेयर नहीं कर पाता था। मेरी एक कॉलेज टीचर ने मेरे व्यवहार को देखकर समझा कि मैं डिप्रेशन में हूं, तो उन्होंने मेरी मदद की। उन्होंने मुझे एक मनोचिकित्सक के पास भेजा, मैंने उन्हें अपनी पूरी बात बताई और उसके बाद मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ।'
वो कहते हैं, 'जब मैंने सड़कों पर जाकर लोगाें की कहानियां सुनना शुरू किया था, तब मैंने अपने पेरेंट्स को इस बारे में नहीं बताया था। लेकिन, कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया और आर्टिकल के जरिए उनको पता लगा, तो उनका काफी अच्छा रिस्पॉन्स रहा।
राज कहते हैं, 'अभी तो प्रिपरेशन लीव चल रही है, इसलिए रोजाना पांच घंटे लोगों की मदद करने के लिए उनकी कहानियां सुनता हूं। आगे चलकर मैं इसे हर वीकेंड करुंगा और मेरे साथ और भी लोग जुड़ेंगे।'
राज का कहना है, 'यह इनिशिएटिव काफी आगे जाने वाला है। अभी तो मैंने सिर्फ पुणे में यह शुरू किया है, लेकिन मुझे देश भर से लाेग इंस्टाग्राम पर मैसेज कर रहे हैं कि वे भी अपने शहर में यह शुरू करना चाहते हैं। मुझे यह जानकर अच्छा लगा कि मेरे इनिशिएटिव के चलते बाकी लोगों में भी मेंटल हेल्थ को लेकर अवेयरनेस आ रही है और वो लोगों की मदद करना चाहते हैं।'
उन्होंने कहा, 'मैं लोगों से बस इतना ही कहना चाहता हूं कि हमारे आसपास बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हें वास्तव में मदद की जरूरत है। अगर आपको ऐसा कोई भी व्यक्ति दिखता है जो मेंटल स्ट्रेस या डिप्रेशन से गुजर रहा है, तो प्लीज उससे बात कीजिए। आप बस उसे अपनी लाइफ के पांच मिनट दीजिए और देखिए कैसे आप एक शख्स की लाइफ बदल सकते हैं। करके देखिए, अच्छा लगता है...'
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