इंटरनेट के इस्तेमाल पर पिछले साल 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आया था। ये फैसला कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आया था। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट के इस्तेमाल को संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत जन्मसिद्ध अधिकार माना था। साथ ही ये भी कहा था कि लंबे समय तक इंटरनेट पर रोक लगाना मौलिक अधिकारों का हनन है।
लेकिन एक सच ये भी है कि भारत दुनिया का पहला देश है, जहां इंटरनेट पर सबसे ज्यादा घंटों तक रोक लगी रही। डिजिटल प्राइवेसी और साइबर सिक्योरिटी पर काम करने वाली टॉप-10 VPN वेबसाइट ने सालाना रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में हमारे देश में 8,927 घंटों तक इंटरनेट पर पाबंदी रही। इस पाबंदी से देश को 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान भी उठाना पड़ा।
सबसे ज्यादा घंटों तक इंटरनेट पर रोक लगाने के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। इस मामले में भारत 2019 में तीसरे नंबर पर था। इस साल देश में 4 हजार 196 घंटे इंटरनेट बंद रहा था।
अकेले जम्मू-कश्मीर में ही 8,799 घंटों तक इंटरनेट बंद
10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद 25 जनवरी से कश्मीर में 2G इंटरनेट शुरू कर दिया गया। हालांकि, सोशल मीडिया पर बैन जारी रहा। 4 मार्च को सरकार ने इस बैन को भी हटा दिया। वहां अब भी 2G इंटरनेट ही चल रहा है।
टॉप-10 VPN की रिपोर्ट बताती है कि 2020 में जम्मू-कश्मीर में 8 हजार 799 घंटों तक इंटरनेट प्रभावित रहा। इसमें से एक हजार 527 घंटों तक तो इंटरनेट पूरी तरह बैन रहा। जबकि, 7 हजार 272 घंटों तक इंटरनेट प्रभावित रहा। यानी, वहां इंटरनेट सिर्फ नाम के लिए ही चला। जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर रोक होने की वजह से 2.7 अरब डॉलर यानी 20 हजार 317 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है।
जम्मू-कश्मीर के अलावा 2020 में अरुणाचल, मणिपुर और मेघालय के भी कुछ हिस्सों में 128 घंटों तक इंटरनेट बंद रहा। इससे इन तीनों राज्यों को करीब 54 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
भारत के बाद म्यांमार दूसरे नंबर पर, लेकिन नुकसान बेलारूस को ज्यादा
रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा घंटों तक इंटरनेट बंद करने के मामले में भारत के बाद म्यांमार दूसरे और चाड तीसरे नंबर पर रहा। म्यांमार में 8 हजार 808 घंटे और चाड में 4 हजार 608 घंटों तक इंटरनेट बंद रहा। इससे म्यांमार को 1,400 करोड़ और चाड को 170 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
लेकिन नुकसान के मामले में बेलारूस भारत के बाद दूसरे नंबर पर है। बेलारूस में 2020 में 218 घंटों तक इंटरनेट पर रोक रही। इससे उसे करीब ढाई हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इंटरनेट पर पाबंदी की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वाले 5 देशों में भारत और बेलारूस के अलावा यमन, म्यांमार और अजरबैजान शामिल हैं। इन पांचों देशों में 27 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा नुकसान हुआ।
इंटरनेट पर रोक लगाने के पीछे वजह क्या रही?
पिछले साल दुनिया के 21 देशों में 27 हजार 165 घंटे तक इंटरनेट पर रोक रही। इसमें से 21 हजार 613 घंटे इंटरनेट पर और 5 हजार 552 घंटे सोशल मीडिया पर पाबंदी रही। इससे इन देशों को 30 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट पर रोक के पीछे जो दो सबसे बड़ी वजहें थीं, उनमें पहली राजनीतिक और दूसरी तनाव के हालात। इसमें भी सबसे ज्यादा 11 हजार 970 घंटे तक इंटरनेट पर रोक तनाव के हालात की वजह से रही।
इंटरनेट पर रोक लगाने के मामले में भारत सबसे आगे
डिजिटल राइट्स पर काम करने वाली संस्था एक्सेस नाउ की 2019 की रिपोर्ट बताती है कि इंटरनेट पर रोक लगाने के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है। 2019 में भारत में 121 बार इंटरनेट बंद किया गया था। 2018 में भी भारत पहले नंबर पर ही था। उस साल 134 बार इंटरनेट पर रोक लगी थी। इंटरनेट बंद करने के मामले में वेनेजुएला दूसरे नंबर पर था, जहां 2019 में सिर्फ 12 बार इंटरनेट पर पाबंदी लगी थी।
इंटरनेट पर रोक लगाने पर क्या कहता है भारतीय कानून?
CRPC 1973 और इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के तहत सरकारी एजेंसियों को भारत के राज्यों या जिलों में इंटरनेट बंद करने का अधिकार है। इसके अलावा टेम्परेरी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक एमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) रूल्स 2017 के आधार पर भी सरकार टेलीकॉम कंपनियों को अपनी सेवाएं निलंबित करने को भी कह सकती है।
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