BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली को हाल ही में माइनर हार्ट अटैक आया था। इसके बाद उन्हें कोलकाता के वुडलैंड्स हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, यहां उनकी प्राइमरी एंजियोप्लास्टी की गई। गांगुली अभी 48 साल के हैं और पूरी तरह से फिट थे। उन्होंने जिंदगी के करीब 38 साल तक क्रिकेट खेला है। रिटायरमेंट के बाद भी वह रोज जिम जाते थे और योग करते थे। ऐसे में गांगुली जैसे फिट व्यक्ति को हार्ट अटैक आने की खबर से हर कोई हैरान है। आखिर अटैक की वजह क्या है और यह क्यों आया?
शुरू में कहा गया कि गांगुली को माइल्ड कार्डियक अरेस्ट आया है, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी ट्वीट करके यही बात बताई। लेकिन गांगुली को माइल्ड हार्ट अटैक आया था।
कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में फर्क होता है
पद्मश्री और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉक्टर केके अग्रवाल कहते हैं कि कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में फर्क होता है, कार्डियक अरेस्ट का मतलब है कि दिल रुक गया और हार्ट अटैक का मतलब होता है कि दिल का एक हिस्सा काम नहीं कर रहा है। कार्डियक अरेस्ट को टेंपररी डेथ भी कहा जाता है, जिसमें सीपीआर दिया जाता है।
गांगुली को हल्का अटैक आया था। इसमें सीने के बीचोंबीच तेज दर्द होता है, दबाव और घुटन महसूस होती है, सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। ऐसी स्थिति में जो ऑर्टरी बंद हो जाती है, उसे खोल दिया जाता है। इसी को एंजियोप्लास्टी कहते हैं और ऑर्टरी में स्टेंट लगा देते हैं, ताकी दोबारा एन्क्रोचमेंट न हो। हार्ट अटैक के बाद जिंदगी भर एस्पिरिन और सालभर कुछ दवाएं चलती हैं।
कैसे पता करें की हार्ट अटैक का रिस्क है या नहीं?
सबसे जरूरी होता है ये पता करना कि हॉर्ट अटैक क्यों आया? क्या कोई फैमिली हिस्ट्री है यानी आपके परिवार में पहले किसी को हार्ट की बीमारी रही है? गांगुली के पिता को दिल की बीमारी थी। इसके साथ ही आपको अपना CRP (सी रिएक्टिव प्रोटीन) लेवल पता करना चाहिए। CRP 1 और 3 के बीच में है तो हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। CRP 3 से 10 के बीच है तो हार्ट अटैक की आशंका बहुत ज्यादा होती है।
LDL कोलेस्ट्रॉल भी चेक कराएं। CRP भी ज्यादा है और LDL कोलेस्ट्रॉल भी ज्यादा है तो आपको हार्ट अटैक की आशंका ज्यादा है। यदि CRP ज्यादा है और LDL कोलेस्ट्रॉल कम है या CRP कम और LDL कोलेस्ट्रॉल ज्यादा है तो आपको हार्ट अटैक का रिस्क बीच में है।
LDL कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए?
LDL कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल का लेवल 200 mg/dl से कम होना ठीक रहता है। LDL यानी बैड कोलेस्ट्रॉल 100 mg/dl से कम, एलडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल 60 mg/dl से ज्यादा और ट्राईग्लिसराइड 150 mg/dl से कम होना बेहतर होता है।
क्या है एंजियोप्लास्टी?
एंजियोप्लास्टी सर्जिकल प्रक्रिया है, इसमें हृदय की मांसपेशियों तक ब्लड सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाओं को खोला जाता है। इन रक्त वाहिकाओं को कोरोनरी ऑर्टरीज भी कहते हैं। दिल का दौरा या स्ट्रोक के बाद इलाज के लिए डॉक्टर एंजियोप्लास्टी का ही सहारा लेते हैं।
हार्ट अटैक आने पर कोरोनरी धमनी संकुचित या ब्लॉक हो जाती है। मतलब हृदय की मांसपेशियों तक खून की सप्लाई घट जाती है और पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इसी से सीने में दर्द या हार्ट अटैक आता है।
एंजियोप्लास्टी 3 तरीके की होती है
एक से डेढ़ घंटे के भीतर इलाज जरूरी
एंजियोप्लास्टी में कोरोनरी ऑर्टरी स्टेंट भी रक्त वाहिकाओं में डालते हैं। ये स्टेंट नसों में ब्लड फ्लो को फिर से दुरुस्त करने का काम करता है। दिल का दौरा पड़ने के बाद एक से दो घंटे के भीतर मरीज की एंजियोप्लास्टी हो जानी चाहिए। यह जितना जल्दी होगी, मरीज के हार्ट फेल होने का खतरा उतना कम होता है।
हार्ट की नसों तक पहुंचने के लिए दो ही रास्ते
एम्स, नई दिल्ली से डीएम कार्डियोलॉजी डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं कि एंजियोप्लास्टी में स्टेंट (स्प्रिंग जैसा छल्ला है, जो नस को बंद होने से रोकता है) जरूर लगाते हैं। हार्ट की नसों तक पहुंचने के लिए दो ही रास्ते हैं। पहला हाथ के रास्ते, दूसरा जांघ के रास्ते।
जांघ की तुलना में हाथ के रास्ते एंजियोप्लास्टी करने से हार्ट अटैक के मरीज के बचने की संभावना 50% तक बढ़ जाती है। मैं अपने मरीजों की एंजियोप्लास्टी उसके हाथ के जरिए से ही करता हूं। जांघ से करने पर ब्लीडिंग का रिस्क ज्यादा रहता है और लाइफ का भी रिस्क ज्यादा होता है।
एंजियोप्लास्टी किन वजहों से की जाती है
एंजियोप्लास्टी दिल की सर्जरी है, जिसे 5 कारणों से किया जाता है-
- अथेरोस्क्लेरोसिस का इलाज- डॉक्टर एंजियोप्लास्टी कराने की सलाह उस व्यक्ति को भी देते हैं, जो अथेरोक्लेरोसिस (धमनियों का सख्त होना) की बीमारी से पीड़ित होता है।
- हार्ट अटैक का रिस्क कम करना- दिल की सर्जरी से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों की जान बचाने के लिए एंजियोप्लास्टी की जाती है।
- डायबिटीज का इलाज- जब डायबिटीज काफी खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है तो ऐसी स्थिति में दिल की सर्जरी करनी पड़ती है।
- दिल की धमनियों में ब्लॉकेज होने पर- हार्ट अटैक आने पर मरीज की एंजियोप्लास्टी की जाती है, ताकी दिल की धमनियों में मौजूद ब्लॉकेज को ठीक किया जा सके।
- एंजाइना का इलाज करना- सीने में दर्द को एंजाइना कहते हैं, ये ह्रदय में पर्याप्त खून नहीं पहुंच पाने के कारण होता है। जिस व्यक्ति को एंजाइना की समस्या होती है, उसके लिए एंजियोप्लास्टी बेहतर इलाज साबित होती है।
एंजियोप्लास्टी का रिस्क किन लोगों को ज्यादा है-
डॉक्टर संजय के मुताबिक, एंजियोप्लास्टी 99.5% तक सेफ रहता है, लेकिन यदि केस कॉम्पलेक्स है तो रिस्क रहता है। अगर उम्र ज्यादा है, बीमारियां ज्यादा हैं, डायबिटीज है, किडनी खराब है, फेफड़ों में पानी है, दिल कमजोर है, ब्लड प्रेशर कम है, नस की बनावट जटिल है, नस में ब्लॉकेज या कैलशियम ज्यादा है तो रिस्क है।
हार्ट अटैक के मरीज का दिल कमजोर होने के साथ अक्सर ब्लड प्रेशर कम होता है और फेफड़ों में पानी भी होता है। इसलिए जब जांघ के जरिए एंजियोप्लास्टी करते हैं तो ब्लीडिंग ज्यादा होने का रिस्क रहता है। हाथ से एंजियोप्लास्टी करने पर रिस्क कम होता है। लेकिन भारत में हार्ट अटैक के मरीजों में ज्यादातर एंजियोप्लास्टी जांघ के जरिए ही होती है, क्योंकि हाथ से करने वाले रेडियल एक्सपर्ट कम हैं।
एंजियोप्लास्टी कराने में कितनी खर्च आती है?
डॉक्टर संजय चुघ कहते हैं कि एंजियोप्लास्टी का खर्च जगह पर निर्भर करता है यानी आप किस शहर और किस अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। स्टेंट 3 कैटेगरी में आते हैं। सबसे महंगा स्टेंट 33 हजार रुपए का है। इनके दाम सरकार ने फिक्स कर रखे हैं।
सरकारी अस्पतालों में एंजियोप्लास्टी का खर्च करीब 1 लाख रुपए तक आता है। प्राइवेट हॉस्पिटल एंजियोप्लास्टी के लिए करीब 1.40 लाख से 1.70 लाख रुपए के बीच प्रोसीजर चार्ज लेते हैं। कुल खर्च 2 लाख रुपए तक जा सकता है। छोटे शहरों में और सस्ता है। हालांकि, ये हॉस्पिटल के इंफ्रास्ट्रक्चर और फैसिलिटी पर निर्भर करता है।
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