अमेरिका के अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं। कई लोग स्वस्थ होकर घर जा रहे हैं, लेकिन दिल तब रोता है, जब सामने किसी युवा मरीज की जान जाते देखते हैं। अस्पताल के पीछे शवों को ले जाने के लिए बड़े-बड़े ट्रॉले खड़े हैं। लगता है, मरीज को उस ओर न जाने दें, किसी तरह ठीक कर अस्पताल के आगे के रास्ते से घर भेजें।
मौत के चंद मिनट पहले मरीज की परिजन से वीडियो कॉल लगाकर बात कराते हैं। एक केस भूल नहीं पाते कि दूसरा सामने आ जाता है। पिछले हफ्ते 31 साल के एक युवक की मौत से पहले उसकी पत्नी और डेढ़ साल के बच्चे से वीडियो कॉल पर बात कराई थी। वह दृश्य चाहकर भी नहीं भूल पाता हूं। यहां कई मरीज किताब पढ़ते हैं। टैब पर गेम्स खेलते हैं। कुछ लोग सुडोकू भी खेलते हैं।
यहां ज्यादा संक्रमण की वजह लॉकडाउन में देरी है
मार्च के पहले हफ्ते में अमेरिका ने कोरोना संक्रमण को कम्युनिटी ट्रांसमिशन मान लिया था। वैसे यहां ज्यादा संक्रमण की वजह लॉकडाउन में देरी है। कम उम्र के लोगों की मौत का बड़ा कारण मोटापा है। इधर वैज्ञानिकों ने ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित कर ली है, जिसमें मुंह से लार लेकर आरटी-पीसीआर जांच की जा सकेगी।
अब संदिग्ध सैंपल को छोटे जार में ले जाकर लैब में दे सकता है
एफडीए ने इसकी अनुमति भी दे दी है। अब जो भी संदिग्ध कोरोना की जांच कराना चाहेगा, वह अपने सैंपल को घर से ही छोटे जार में ले जाकर लैब में दे सकता है। अभी तक नाक या गले के निचले हिस्से से स्वाब निकाल कर जांच होती है। यह कष्टदायक है।
अमेरिका में अब जो चाहे वह जांच करा सकता है
इस दौरान खांसी भी होती है, जिससे आसपास संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। अमेरिका में अब जो चाहे वह जांच करा सकता है। देश में भारी संख्या में पीपीई किट और वेंटिलेटर डोनेशन में मिली। इन्हें बड़े उद्योगपतियों और कंपनियों ने दिया।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2WXJeoE
https://ift.tt/3dG4G8v
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubt, please let me know.