आने वाले समय में घर पर ब्रॉडबैंड लगवाना सस्ता हो सकता है। सरकार घरेलू ब्राॅडबैंड पर लाइसेंस फीस प्रति घर 1 रुपए करने पर विचार कर रही है। फिलहाल, ब्राॅडबैंड सर्विस देने वाली कंपनियों से लाइसेंस फीस के तौर पर उनकी समायोजित सकल आय (एजीआर) का 8% हिस्सा लिया जाता है। इस कदम का सीधा फायदा रिलायंस जियो और एयरटेल जैसी कंपनियों को होगा।
दूरसंचार मंत्रालय सहित सभी संबंधित मंत्रालयों से इस सुझाव पर राय मांगी गई है। सरकार को उम्मीद है कि टेलीकॉम कंपनियां यह फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएंगी और ब्रॉडबैंड सर्विस सस्ती होगी। कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर भी बढ़ा है। लिहाजा ब्रॉडबैंड कनेक्शन सस्ता होता है तो घर से काम करना भी सस्ता हो जाएगा।
प्रस्ताव में 2019 की इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इसके मुताबिक अगर फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड की पहुंच 10% बढ़ती है तो इससे संबंधित देश की जीडीपी में 1.9% की बढ़ोतरी होती है।
सरकार को मिलते हैं 880 करोड़ रु.
एजीआर की 8% लाइसेंस फीस की माैजूदा दर के आधार पर सरकार को 880 करोड़ रुपए मिलते हैं। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि ऐसे किसी नियम से सरकार को पांच साल में 5,927 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।
लेकिन, आम लोगों के बीच डिजिटल एक्सेस बढ़ने से जॉब के मौके बढ़ेंगे और यह किसी भी नुकसान की भरपाई के लिए काफी होगा। इस नियम से जियो इन्फोकॉम, भारती एयरटेल और वोडाफोन जैसी कंपनियों को फायदा होगा। कॉमर्शियल उपभोक्ताओं को ब्रॉडबैंड सर्विस मुहैया कराने के एवज में ली जाने वाली लाइसेंस फीस में कोई कटौती नहीं की जाएगी।
ब्राॅडबैंक मार्केट में किसकी कितनी हिस्सेदारी
कंपनी | हिस्सेदारी |
रिलायंस जियो | 56.58% |
भारती एयरटेल | 20.59% |
वोडाफोन-आइडिया | 18.05% |
बीएसएनएल | 3.49% |
एट्रिया कन्वर्जेंस | 0.24% |
अन्य | 1.04% |
सोर्स :ट्राई
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