मंगलवार, 23 जून 2020

महाराष्ट्र ने 5 हजार करोड़ के चीनी करार रोके; गोवा में भी ऐसी तैयारी, 7 राज्यों में चीन का निवेश, सबसे ज्यादा 28 हजार करोड़ रु. गुजरात में

लद्दाख में चीनी सेना के साजिशन हमले में 20 भारतीय जवानों की शहादत के खिलाफ देशभर में आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को चीन की कंपनियों के साथ 5,020 करोड़ रु. के तीन बड़े समझौते रोक दिए हैं। वहीं, गोवा सरकार ने 1,400 करोड़ की लागत से जुआरी नदी पर बन रहे 8 लेन के पुल के प्रोजेक्ट से चीनी कंसल्टेंट कंपनी को हटाने के संकेत दिए हैं।

दूसरी तरफ, करीब 7 करोड़ छोटे दुकानदारों के संगठन कैट ने सोमवार को दिल्ली के करोल बाग में चीनी सामान की होली जलाई। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि केंद्र सरकार से मशविरे के बाद ही समझाते रोके गए हैं। विदेश मंत्रालय ने भविष्य में भी चीनी कंपनियों के साथ कोई समझौता नहीं करने को कहा है।

महाराष्ट्र में 16 हजार करोड़ के समझौते हुए थे

हाल में हुए ऑनलाइन इवेंट मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0 में विभिन्न कंपनियों के साथ 16 हजार करोड़ के समझौते हुए थे। पुणे के तालेगांव में ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने के लिए ग्रेट वॉल मोटर्स के साथ 3,770 करोड़, फोटोल (चीन) और पीएमआई इलेक्ट्रो के साथ 1,000 करोड़ और हेंगलु इंजीनियरिंग के साथ 250 करोड़ रु. के समझौते हुए थे, जिन पर सरकार ने रोक लगा दी। हालांकि, इन्हें रद्द करने के बारे में अभी कुछ नहीं कहा है।

2010 में चीन ने 1 हजार करोड़ रु. निवेश किए थे, अब दो साल में ही 85 हजार करोड़ रु. लगाए

चिंता की 2 बातें
1. दूसरे देशों के जरिए होने वाला चीनी निवेश पकड़ में नहीं आ पाता
भारत के टेक्नोलॉजी सेक्टर में चीन के कुल निवेश का अंदाजा लगाना मुश्किल है, क्योंकि कई निवेश हांगकांग, सिंगापुर या किसी तीसरे देश के जरिए हुए हैं। उदाहरण के लिए शाओमी चीनी कंपनी है, लेकिन भारत के सरकारी आंकड़ों में इसका जिक्र नहीं है। क्योंकि, शाओमी की सब्सिडियरी कंपनी ने सिंगापुर से 3500 करोड़ रु. निवेश किए हैं।

2. सभी चीनी टेक्नोलॉजी कंपनियां डेटा चोरी करअपनी सरकार को देती हैं'
चीन में अलीबाबा जैसी निजी कंपनियों पर भी सरकारी नियंत्रण है। ब्रूकिंग्स इंडिया में प्रकाशित अनंत कृष्णन के शोध के मुताबिक, चीनी कंपनियों का भारत में निवेश डराने वाला है, क्योंकि चीनी सरकार सर्विलांस से लेकर सेंसरशिप तक जैसे सभी काम इन्हीं कंपनियों से कराती है। इसीलिए यूरोपीय देशों ने चीनी कंपनियों पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं, जो भारत में नहीं हैं।

टेक्नोलॉजी सेक्टर में सबसे ज्यादा निवेश

भारत में सबसे बड़ी डील फुसान ग्रुप ने की थी। इसने साल 2017 में ग्लैंड फार्मा में 8,284 करोड़ रु. में 74% हिस्सेदारी खरीदी। इसके अलावा अधिकतर निवेश टेक्नोलॉजी सेक्टर में है। 2017 में ई-कॉमर्स और फिन-टेक सेक्टर के स्टार्टअप में चीन ने 53,200 करोड़ रु. लगाए।

देश में कार्यरत 30 बड़े स्टार्टअप में से 18 में लगा है चीन का पैसा
देश में 75 से ज्यादा कंपनियों में चीनी निवेश हैं। 30 यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर यानी 7600 करोड़ रु. से अधिक वैल्यू के स्टार्टअप) में से 18 में चीनी निवेश है। यानी इनमें 60% स्टार्टअप में चीन की सरकारी और निजी कंपनियों का पैसा लगा हुआ है।

ये कंपनियां चीनी नहीं, पर पैसा चीन का भी

स्नैपडील, स्विगी, ओला, पेटीएम डॉट कॉम, फ्लिपकार्ट, बिग बास्केट, जोमैटो, हाइक, पेटीएम मॉल, ओयो, बायजू, मेक माई ट्रिप, पॉलिसी बाजार, क्विकर आदि।



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Maharashtra stopped Chinese agreements worth 5 thousand crores; Such preparation also in Goa, China's investment in 7 states, maximum 28 thousand crores. In gujarat


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