गर्मी इस बार महज तीन महीने में ही खत्म हो गई। मार्च से शुरू होकर 15 जून तक गर्मी का असर रहता है लेकिन इस बार 1 जून से ही प्री-मानसून सक्रिय हो गया। अब जून के बचे हुए दिनों में भी तापमान सामान्य से कम ही रहने वाला है। पिछले 10 सालों में यह दूसरा मौका है जब मध्यप्रदेशइंदौर मेंगर्मी इतनी जल्दी खत्म हो गई। उधर, चक्रवाती तूफान निसर्ग ने प्रदेश में प्री मानसून बारिश का भी तूफानी रिकॉर्ड बना डाला। भाेपाल में 6 जून तक 63.9 मिमी बारिश हाे चुकी है। यह अब तक की सामान्य बारिश 7.7 मिमी से 730 फीसदी ज्यादा है।
इंदौर में 2012 में मानसून घोषित के बाद पारा 43 डिग्री तक गया था। इस बार गर्मी में तापमान का अधिकतम स्तर 42.7 डिग्री ही रहा। 2019 के जून की ही बात करें तो शुरुआती चार दिन पारा 43 डिग्री से भी ज्यादा रहा। 15 जून तक तापमान का स्तर 40 से 41 डिग्री के बीच रहा था। इसके बाद प्री-मानसून की गतिविधि शुरू हुई थी। आमतौर पर जून के शुरुआती 10 दिन गर्म रहते हैं। पारा 40 डिग्री या उससे अधिक भी रहता है। इसके बाद मानसूनी गतिविधि शुरू होती है और तापमान गिरता है। 1991 में जून सबसे ज्यादा 45.8 डिग्री तापमान दर्ज हुआ था।
मार्च-अप्रैल में भी कम रहा पारा
मौसम विशेषज्ञ अजय कुमार शुक्ला के मुताबिक, इस बार मार्च में पांच बार पश्चिमी विक्षोभ का असर रहा। इस वजह से मार्च में तापमान 36.4 डिग्री से अधिक नहीं गया जबकि मार्च में पारा 39 तक चला जाता है। इसी तरह अप्रैल में पारे का उच्चतम स्तर 39.7 डिग्री तक रहा जबकि पिछले सालों में पारा 40 डिग्री के स्तर तक चला गया। पिछले 10 सालके मई पर गौर करें तो पारा 42 डिग्री पर पांच से छह बार गया हैै पर इस बार के मई में पारा 3 बार 42 डिग्री पर गया।
मानसून जैसा महसूस हो रहा प्री-मानसून
प्री-मानसून इस बार मानसून के दिनों जैसा ही महसूस हो रहा है। जून के इन पांच दिनों में लगातार बादल छाए हुए हैं। चार दिन से पानी भी गिर रहा है। शुक्रवार रात को भी 5 मिमी बारिश हुई। वहीं शनिवार को सुबह से शाम तक भी कई बार हल्की बारिश हुई, लेकिन यह आंकड़ों में दर्ज नहीं हुई। अब तक 68.9 मिमी (2.7इंच) बारिश हो गई है। तेज बारिश का दौर वैसे 9, 10 जून को शुरू होगा, लेकिन इसके पहले चार दिनों में भी बादल रहेंगे।
भाेपाल:52 में से 50 जिलाें में सामान्य से ज्यादा बारिश
चक्रवाती तूफान निसर्ग के असर से प्री मानसून बारिश का रिकॉर्ड बन गया। भाेपाल में अब तक 63.9 मिमी बारिश हाे चुकी है। यह सामान्य बारिशसे 730 फीसदी ज्यादा है। प्रदेश के 52 में से 50 जिलाें में सामान्य से ज्यादा बारिश हाे चुकी है। सिंगराैली इसमें सबसे अव्वल है। वहां अब तक 40.6 मिमी पानी बरसा। जाे वहां की अब तक की सामान्य बारिश 0.9 से 4409 प्रतिशत अधिक है। प्रदेश के 52 में से सिर्फ दाे जिलाें आगर और झाबुआ में ही सामान्य से कम बारिश हुई। बाकी 50 जिलाें में अभी तक सामान्य से ज्यादा पानी बरस चुका।
कहां कितनी बारिश- 6 जून सुबह 8:30 बजे तक दर्ज
जिला | कितनी हाेनी | ज्यादा हुई | कितनी थी (%में) |
सतना | 98.5 | 3.4 | 2796 |
रीवा | 106.8 | 4.3 | 2385 |
खंडवा | 86.5 | 3.9 | 2118 |
शाजापुर | 65.9 | 3.7 | 1682 |
हरदा | 51.5 | 3 | 1617 |
देवास | 110.6 | 7.7 | 1336 |
विदिशा | 81.5 | 5.9 | 1281 |
गुना | 43.8 | 3.4 | 1187 |
बड़वानी | 95.5 | 7.5 | 1173 |
(आंकड़ाें का स्त्राेत- माैसम केंद्र द्वारा जारी रेनफाल डिस्ट्रब्यूशन यानी वर्षा के वितरण के अनुसार)
पंजाब:कई जिलों में 5 घंटे तक बारिश, पारा 110 तक गिरा
लुधियाना में शनिवार को अमृतसर, जालंधर, रोपड़, होशियारपुर, कपूरथला समेत कई इलाकों इलाकों में जोरदार बारिश हुई। शुक्रवार रात से शुरू हुई बारिश शनिवार सुबह तक जारी रही। होशियारपुर में पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा 42 मिमीबारिश हुई। अमृतसर में 5 घंटे के दौरान 18.4 मिमीबरसात हुई। सूबे में औसत तापमान सामान्य से करीब 11 डिग्री कम रहा। मौसम विभाग के मुताबिक 10 जून तक सूबे में मौसम साफ रहेगा। हालाकि कई जगह तेज हवा चल सकती है, जिससे पार बढ़ सकता है।
राजस्थान: मानसून तय समय से करीब 4 दिन की देरी संभव
माैसम विभाग के अनुसार राजस्थान में अब तय समय से 4-5 दिन लेट यानि 29 जून तक मानसून की एंट्री हाे सकती है, जबकि जयपुर में यह 4-5 जुलाई काे आ सकता है। राजस्थान में पिछले साल मानसून तय समय से करीब 4 दिन की देरी यानी 2 जुलाई तथा जयपुर में 8 जुलाई काे आया था। विभाग ने इसी साल राजस्थान में मानसून एंट्री के नए कैलेंडर में सामान्य तिथि 24 जून घाेषित की थी, जबकि इससे पहले इसके प्रवेश की तिथि 17 जून थी। मानसून के 10 जुलाई तक पूरे प्रदेश काे कवर करने का अनुमान है।
गर्मी में सुकून देता झरना...
बांसवाड़ा मेंगर्मी में एक तरफ जहां पानी की किल्लत हैं, वहीं शहर से मात्र तीन किमी दूर बाईतालाब पर इन दिनों झरना शुरू हो गया है। जो गर्मी में खासी सुकून दे रहा है। दरअसल ये झरना बिजली बनने के बाद छोड़े जाने वाले पानी के कारण बनता है। पांच नंबर बिजलीघर से पानी बनाने के बाद छोड़ा गया पानी कागदीपिक अप में आता है। जहां से नहरों के जरिए किसानों के लिए और शहर में पेयजल के लिए सप्लाई किया जाता है।
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