वेस्टइंडीज के कप्तान जेसन होल्डर ने कहा कि जिस तरह से डोपिंग और फिक्सिंग में शामिल खिलाड़ियों को सजा मिलती है, वैसी ही सजा नस्लीय टिप्पणी करने वाले खिलाड़ियों को मिलनी चाहिए। आईसीसी के एंटी रेसिज्म कोड में मैदान पर तीन बार नस्लीय टिप्पणी करने वाले खिलाड़ी पर आजीवन बैन का प्रावधान है।
इस बीच इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) अश्वेत क्रिकेटरों की कमी को दूर करने के लिए जल्द अभियान शुरू करने जा रहा है। देश में 25 साल में अश्वेत क्रिकेटरों की संख्या में 75% की कमी आई है। ईसीबी के साथ काम करने वाले अफ्रीकन कैरेबियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन (एसीसीए) ने मामले में अश्वेत की अध्यक्षता में स्वतंत्र जांच कराने की बात कही है।
1990 से अश्वेत खिलाड़ियों को जानबूझकर बाहर किया जा रहाः पूर्व खिलाड़ी
एसीसीए के चेयरमैन और सरे के पूर्व खिलाड़ी लोंसडेले स्किनर ने कहा कि 1990 से अश्वेत खिलाड़ियों को जानबूझकर बाहर किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्यों ईसीबी में कोई अश्वेत एडमिनिस्ट्रेटर नहीं है। हम यहां की संस्कृति से जुड़े हैं और खेल से प्यार भी करते हैं।इस पर ईसीबी के प्रवक्ता ने कहा कि अश्वेत खिलाड़ियों को लेकर कुछ दिक्कतें अभी भी हैं। इस कारण कुछ ही अश्वेत खेल पा रहे हैं। हम इनकी कम्युनिटी से बात करके इसमें बदलाव लाने की कोशिश करेंगे।
लीड्स बेकेट यूनिवर्सिटी की पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार 25 साल में इंग्लिश काउंटी में अश्वेत खिलाड़ियों की संख्या में 75% की कमी आई है। 1995 में जहां 33 अश्वेत थे, अब सिर्फ 9 रह गए हैं। इतना ही नहीं 18 काउंटी टीमों में 118 सपोर्ट स्टाफ में सिर्फ दो ही अश्वेत हैं।
तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर बारबाडोस में खेलने के बाद इंग्लैंड टीम में आए
इंग्लैंड टेस्ट टीम में शामिल तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर ईसीबी के सिस्टम से टीम में नहीं आए। मूलत: वे बारबाडोस के हैं। उनके पिता इंग्लिश थे। आर्चर 2015 में इंग्लैंड आ गए। लेकिन, नियम के अनुसार वे 2022 तक इंग्लैंड की ओर से नहीं खेल सकते थे। नवंबर 2018 में ईसीबी के नियम में बदलाव हुआ और आर्चर को इंग्लैंड टीम से खेलने के लिए पात्रता मिली। 3 मई 2019 को उन्होंने इंटरनेशनल डेब्यू किया। वे 8 जुलाई से विंडीज के खिलाफ शुरू हो रही सीरीज के कैंप में भी हैं।
रग्बी में 5-6 इंटरनेशनल हो सकते हैं तो क्रिकेट में क्यों नहीं: स्किनर
स्किनर ने कहा कि इस मामले की जांच जरूरी है। मेरे हिसाब से अश्वेतों को जानबूझकर बाहर किया गया और ईसीबी अब तक कुछ नहीं कर सका है। यदि रग्बी में 5-6 इंटरनेशनल खिलाड़ी हो सकते हैं तो क्रिकेट में क्यों नहीं। यानी कुछ गड़बड़ है।
ईसीबी ने कहा कि हम मानते हैं कि क्रिकेट में अश्वेत खिलाड़ियों की कम संख्या के पीछे कोई समस्या है। इस बारे में जल्द से जल्द जानकारी जरूरी है। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। पिछले साल काउंटी क्रिकेटर्स एकेडमी (जहां अंडर-15 और अंडर-18 के अच्छे खिलाड़ियों को जगह दी जाती है) से 23% खिलाड़ी अश्वेत, एशिया और अल्पसंख्यक कम्यूनिटी के थे। एडवांस लेवल-3 कोचिंग में भी इनकी हिस्सेदारी 15% तक की है।
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