लद्दाख से चीन के साथ बढ़ते विवाद के बाद उत्तराखंड के सरहदी इलाकों में तनाव बढ़ गया है। आमतौर पर शांत रहने वाली घाटियों में भारतीय सेना ने सक्रियता और तैयारी बढ़ा दी है। 1962 के युद्ध में चीन ने इन इलाकों को भी निशाना बनाया था। हमारा पहला पड़ाव उत्तरकाशी जिले का 70 किमी दूर इलाका हर्षिल और 78 किमी दूर नेलांग घाटी है। यहां के लोग दबी जुबान में कहते हैं, ‘सीमा पार सैन्य हलचल तेज है। बीते तीन दिनों में कई बार चीन की ओर से हेलीकॉप्टरों की गड़गड़ाहट सुनी है। हालांकि, किसी हेलीकॉप्टर को देखा नहीं है।’
बगोरी गांव
यहां घाटियों में चरवाहों के समूह भेड़-बकरियां चरा रहे हैं। यहीं से सड़क चीन सरहद तक जाती है। नेलांग घाटी के रास्ते में बीआरओ के जवान तेजी से सड़क बना रहे हैं। बहुत कुरेदने पर बुजुर्ग गीता देवी कहती हैं, ‘इलाके में चीन ने अब तक कोई हरकत नहीं की है। हमारी सेना सतर्क है।’
सुरेश रमोला बताते हैं कि अक्टूबर में बर्फबारी के बीच लोग निचले इलाकों में चले जाते हैं, जो मई अंत तक लौटते हैं। इस बार लॉकडाउन में रास्ते बंद थे, लेकिन जैसे ही इन्हें सीमा पर तनाव की जानकारी हुई तो ये लौट आए।
इलाके के एक सीनियर पत्रकार बताते हैं कि भारत-चीन सीमा पर नेलांग घाटी का बगोरी अंतिम गांव है। बगोरी के पूर्व प्रधान भवान सिंह राणा बताते हैं कि लाेग सीमा की गतिविधियों पर भी निगाह रखते हैं। असामान्य हाेने पर आईटीबीपी को सूचना देते हैं।
मुनस्यारी के लोगों को भरोसा, देर-सवेर नेपाल रास्ते पर आ जाएगा
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का यह सीमांत क्षेत्र एक तरफ तिब्बत और दूसरी ओर नेपाल सीमा से लगा है। चारों गांव के ठीक सामने विशाल हिमालय पर्वत श्रंखलाका विश्व प्रसिद्ध पंचचूली पर्वत (हिमालय की पांच चोटियां) है। कृषि में व्यस्त यहां के लोगों के लिए चीन या नेपाल से तनाव कोई मुद्दा नहीं है।
स्थानीय पं. दीनानाथ कहते हैं, ‘चीन को लेकर चिंता क्यों करें। बीच में हिमालय और इन पर देवी-देवताओं के मंदिर हमारे रक्षक हैं।’ सुरेश पुनेठा कहते हैं, ‘नेपाल जिस बात को मुद्दा बना रहा है, उसके पीछे चीन का उकसावा है।’ पुनेठा की बात से बाकी लोग भी सहमत हैं।
बुजुर्ग राजू तर्क देते हैं कि जबसे लॉकडाउन लगा है, सीमा पर आवागमन बंद है और इसी में नेपाल के सीमावर्ती इलाकों की हालत खराब है। यहां अधिकांश लोग मानते हैं कि देर-सवेर नेपाल रास्ते पर आ जाएगा।
जौहर घाटी में हेलीकॉप्टर से भारी मशीनें भेजीं, तेज बनेगी सड़क
चीन से लगी सीमा पर भारत ने रणनीतिक रूप से अहम सड़क बनाने का काम तेज कर दिया है। इस दिशा में उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के जौहर घाटी के हिमालय के कठिन इलाके में हेलीकॉप्टर से भारी मशीनें उतारी गई हैं। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के चीफ इंजीनियर बिमल गोस्वामी ने कहा कि बीते साल कई बार प्रयास के बाद भी भारी मशीनें पहुंचाने में सफलता नहीं मिली थी।
गोस्वामी के मुताबिक, लासपा में पहाड़ काटने के उपकरणों की कमी थी, जिससे 65 किमी लंबे इस मार्ग का काम बाधित था। यहां पर 22 किमी के हिस्से में पहाड़ सीधा है। अब भारी उपकरणों के हेलीकॉप्टर से पहुंचने के बाद अब भारत-चीन सीमा पर मिलम से मुनस्यारी सड़क बनाने के काम में तेजी आएगी।
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