कोरोनाकाल में पुलिसकर्मी कई मोर्चों पर डटे हुए हैं। लॉकडाउन के समय पुलिसकर्मी सख्ती से लॉकडाउन का पालन करवाने में जुटे थे। कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान का काम भी यही कर रहे हैं। चेकपॉइंट्स पर लोगों की चेकिंग के साथ-साथ अस्पताल, क्वारैंटाइन सेंटर और कंटेनमेंट जोन जैसी जोखिम वाली जगहों पर भी पुलिसकर्मी सुरक्षा में खड़े हैं।
कोरोनाकाल में पुलिस की छवि पूरी तरह बदल गई। लेकिन, यही पुलिस जो हमारी सुरक्षा में लगी है, वो भी कोरोना का शिकार हो रही है। इंडियन पुलिस फाउंडेशन के डेटा के मुताबिक, 12 जुलाई तक देशभर में 12 हजार 887 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं। इनमें से 105 पुलिसकर्मियों की जान भी जा चुकी है।
पुलिसकर्मियों में संक्रमण फैलने का कारण क्या है? इसके जवाब में इंडियन पुलिस फाउंडेशन के प्रेसिडेंट और रिटायर्ड आईपीएस एन. रामाचंद्रन बताते हैं कि पुलिस की ड्यूटी ऐसी होती है, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग नाम की चीज तो रहती ही नहीं है। उन्हें लगातार लोगों की मदद के लिए उनसे जुड़े रहना पड़ता है। इसके अलावा पुलिस की ड्यूटी भी कंटेनमेंट जोन और अस्पताल जैसी जगहों पर रहती है, जहां संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
महाराष्ट्र में करीब 6 हजार पुलिसकर्मी पॉजिटिव, सबसे ज्यादा मौतें भी यहीं
कोरोनावायरस की सबसे बुरी मार महाराष्ट्र झेल रहा है। महाराष्ट्र में कोरोना का पहला मामला 9 मार्च को आया था। 12 जुलाई तक यहां संक्रमितों का आंकड़ा 2.5 लाख के ऊपर पहुंच गया। मरने वालों की संख्या भी 10 हजार के ऊपर है। इसी राज्य में सबसे ज्यादा पुलिसकर्मी भी कोरोना की चपेट में आए हैं।
यहां अब तक 5 हजार 935 पुलिसकर्मियों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है। जबकि, 74 की जान जा चुकी है। इतना ही नहीं 600 पुलिसकर्मी फिलहाल क्वारैंटाइन भी हैं। महाराष्ट्र के बाद दूसरा नंबर दिल्ली का है, जहां 2 हजार 800 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं। इनमें से 13 की मौत भी हो चुकी है।
फिर भी लोग ऐसे कि पुलिस पर ही हमले कर रहे
कई ऐसे मामले भी सामने आए, जब पुलिसकर्मियों पर हमले की खबरें आईं। उनके साथ कई इलाकों में बदसलूकी की गई। इंडियन पुलिस फाउंडेशन के आंकड़े बताते हैं कि देशभर में जगह-जगह पर पुलिसकर्मियों पर हुए हमलों में 275 जवान घायल हुए हैं। सबसे ज्यादा 86 पुलिस वाले महाराष्ट्र में घायल हुए हैं।
कोरोनाकाल में पुलिस की इंसानियत बताती 2 कहानियां
1. दो साल की बच्ची के बर्थडे पर केक लेकर आई पुलिस
दो साल की सौभाग्या वाराणसी में अपनी नानी के घर आई थी। लेकिन, लॉकडाउन में फंस गई। उसके पिता दिल्ली एम्स में डॉक्टर हैं। मई में सौभाग्या का जन्मदिन था। लेकिन, जन्मदिन मनाने के लिए उसके साथ पिता नहीं थे। न केक था। न कोई गिफ्ट देने वाला। तब वाराणसी की पुलिस सौभाग्या के घर पहुंची और न सिर्फ केक कटवाया, बल्कि गिफ्ट भी दिए।
2. एंबुलेंस नहीं आई, तो पुलिस की जिप्सी में ही हुई डिलिवरी
ये मामला अप्रैल का है। दिल्ली के कोटला इलाके में लेबर कैम्प में रह रही एक महिला को लेबर पेन हुआ। घर वालों ने फोन करके एंबुलेंस बुलाई, लेकिन वो नहीं आ सकी। ऐसे में पुलिसकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर महिला की मदद की। पुलिस ने ही अगल-बगल की महिलाओं को बुलाया और जिप्सी में ही महिला की डिलिवरी कराई।
पैरा-मिलिट्री फोर्स के 5 हजार से ज्यादा जवान संक्रमित, सबसे ज्यादा बीएसएफ के
कोरोना का संक्रमण सिर्फ पुलिसकर्मियों तक ही नहीं, बल्कि पैरामिलिट्री फोर्सेस तक भी पहुंच गया है। इंडियन पुलिस फाउंडेशन के मुताबिक अब तक पैरा-मिलिट्री फोर्सेस के 5 हजार 202 जवान कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। जबकि, 27 जवानों की जान जा चुकी है।
कोरोना का संक्रमण सबसे ज्यादा बीएसएफ के जवानों में पहुंचा है। अब तक बीएसएफ के 1 हजार 659 जवान संक्रमित हो चुके हैं। 5 की जान भी जा चुकी है। उसके बाद सीआरपीएफ है, जिसके 1 हजार 594 जवान संक्रमित हैं और 9 की जान गई है।
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