दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने 9 जून को कोरोनावायरस को लेकर एक डराने वाला बयान दिया था। उन्होंने उस समय कहा था कि दिल्ली में जुलाई के आखिर तक कोरोनावायरस के 5.5 लाख से ज्यादा केस होंगे। उस समय दिल्ली में 17.3 दिन में केस डबल हो रहे थे।
पिछले कुछ हफ्तों से दिल्ली में कोरोना के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है। दिल्ली ने कोरोना पर जिस तरह से काबू पाया, उसकी तारीफ भी हो रही है। ये वही दिल्ली है, जिसे कभी देश का सबसे बड़ा हॉट-स्पॉट कहा जा रहा था। लेकिन, दिल्ली में अब आखिर कैसे कोरोना काबू में आ रहा है?
एक तरफ दिल्ली में रोज होने वाले टेस्ट तीन गुना तक बढ़ गए हैं, लेकिन मामले कम होते जा रहे हैं। ऐसा क्यों? तो इसका कारण एंटीजन टेस्ट हो सकता है।
By 15 June, there'll be 44,000 cases & 6,600 beds will be needed. By 30 June we'll reach 1 lakh cases & 15,000 beds will be required. By 15 July there'll be 2.25 lakh cases & 33,000 beds will be needed. By 31 July, 5.5 lakh cases expected & 80,000 beds will be needed: Delhi Dy CM pic.twitter.com/F5iXDlgO7R
— ANI (@ANI) June 9, 2020
जून का महीना दिल्ली के लिए बेहद खराब बीता। दिल्ली में पहली बार 28 मई को एक दिन में 1 हजार से ज्यादा मामले आए थे। उसके बाद जून के महीने में तो लगभग रोज ही हजार से ज्यादा मामले आने लगे। उसके बाद आंकड़ा 2 हजार और फिर 3 हजार के पार भी जाने लगा। हालात बिगड़ने के बाद केंद्र सरकार भी साथ आई। उसके बाद दिल्ली सरकार ने रणनीति बदली। इस रणनीति का एक हिस्सा एंटीजन टेस्ट करना भी था।
पहले समझते हैं कोरोना के लिए कौन से टेस्ट होते हैं?
हमारे देश में कोरोना की जांच के लिए 4 तरह के टेस्ट हो रहे हैं। पहला- आरटी-पीसीआर टेस्ट। दूसरा- ट्रूनेट या सीबीनैट टेस्ट। तीसरा- एंटीजन टेस्ट और चौथा एंटीबॉडी टेस्ट।
- आरटी-पीसीआर टेस्ट भारत ही नहीं दुनियाभर के कई देशों में हो रहा है। कोरोना की जांच के लिए यही टेस्ट जरूरी है।
- 19 मई को आईसीएमआर ने कोरोना की जांच के लिए ट्रूनेट या सीबीनैट टेस्ट की मंजूरी दी। ये टेस्ट आमतौर पर टीबी की जांच के लिए होता है।
- इसके बाद 14 जून को आईसीएआर ने कोरोना मरीजों की पहचान के लिए सिर्फ कंटेनमेंट जोन और हॉट-स्पॉट इलाकों में कोरोना मरीजों की पहचान के लिए एंटीजन टेस्ट को मंजूरी दी।
- आखिर में एंटीबॉडी टेस्ट, जिससे किसी शख्स के खून से पता लगाया जाता है कि इसे कभी कोरोना हुआ था या नहीं? हालांकि, ये टेस्ट सिर्फ सीरो सर्वे के लिए ही होता है।
दिल्ली में 18 जून से एंटीजन टेस्ट, इसी वजह से टेस्टिंग की संख्या बढ़ी
दिल्ली में 18 जून तक कभी भी एक दिन में टेस्ट की संख्या 10 हजार के पार नहीं गई। लेकिन, 19 जून को यहां 13 हजार 74 टेस्ट हुए थे। कारण था- एंटीजन टेस्ट।
दरअसल, एंटीजन टेस्ट बाकी टेस्ट की तुलना में न सिर्फ ज्यादा जल्दी रिजल्ट देता है, बल्कि इसमें खर्चा भी कम है। एंटीजन टेस्ट से सिर्फ आधे घंटे में ही रिजल्ट मिल जाता है। खास बात ये है कि इसके लिए लैब की जरूरत भी नहीं पड़ती। एंटीजन की टेस्ट किट सिर्फ 450 रुपए की है। इसे साउथ कोरिया की एसडी बायो-सेंसर कंपनी ने तैयार किया था। भारत में हरियाणा के मानेसर में मौजूद कंपनी के प्लांट ने ये किट तैयार होती हैं।
इस टेस्ट में नाक या गले से स्वाब लेते है। फिर उस सैम्पल को टेस्ट किट पर डालते हैं। महज आधे घंटे में ये बता देता है कि उस व्यक्ति को कोरोनावायरस है या नहीं।
दिल्ली में टेस्टिंग बढ़ने का सबसे बड़ा कारण यही है। जबकि, आरटी-पीसीआर टेस्ट या ट्रूनेट टेस्ट में रिजल्ट आने में समय लगता है। ये महंगा भी होता है। और इसकी जांच लैब में होती है। यही वजह है कि 30 जून तक दिल्ली में हर 10 लाख आबादी में से 27 हजार 986 लोगों का टेस्ट हुआ था, जिसकी संख्या 22 जुलाई तक बढ़कर 45 हजार 861 पहुंच गई।
एंटीजन टेस्ट से कैसे गिरा पॉजिटिव रेट?
एंटीजन टेस्ट से पहले तक दिल्ली का पॉजिटिव रेट औसत 25% तक रहता था। पॉजिटिव रेट यानी हर दिन जितने टेस्ट हो रहे, उसमें से कितने लोग पॉजिटिव मिल रहे। लेकिन, एंटीजन टेस्ट के बाद पॉजिटिव रेट भी गिरता गया।
उदाहरण के लिए दिल्ली में 13 जून को 5 हजार 776 टेस्ट हुए थे, उसमें से 2 हजार 134 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इस दिन दिल्ली का पॉजिटिव रेट 36.9% था। लेकिन, 1 जुलाई से लेकर 21 जुलाई के बीच एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब पॉजिटिव रेट 12.2% से ऊपर गया हो। सबसे ज्यादा 12.2% पॉजिटिव रेट 1 जुलाई के दिन ही था।
एंटीजन में निगेटिव, तो आरटी-पीसीआर टेस्ट होगा
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने 20 जून को एडवाइजरी जारी की। इसमें साफ लिखा कि अगर एंटीजन टेस्ट में कोई व्यक्ति पॉजिटिव आता है, तो उसका कोरोना का इलाज होगा। लेकिन, अगर किसी व्यक्ति की रिपोर्ट निगेटिव आई, तो उसकी कन्फर्मेशन के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट होगा।
ऐसा इसलिए क्योंकि, एंटीजन टेस्ट वायरल प्रोटीन को तलाशता है। अगर इसकी मौजूदगी है तो व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है। लेकिन, अगर प्रोटीन नहीं है, तो इसका मतलब ये भी नहीं है कि व्यक्ति को कोरोना नहीं है। जबकि, आरटी-पीसीआर टेस्ट में वायरस के आरएनए की तलाश होती है, जिससे पुख्ता जानकारी मिल जाती है कि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या नहीं।
एंटीजन टेस्ट किट की जब आईसीएमआर और दिल्ली एम्स की लैब में जांच की गई। इसमें पता चला कि अगर कोई व्यक्ति निगेटिव है, तो एंटीजन टेस्ट में उसका रिजल्ट 99.3% से 100% तक आ जाएगा। लेकिन, किसी व्यक्ति में कोरोनावायरस है या नहीं, इसका रिजल्ट 50% से 84.6% तक सही होगा।
आसान भाषा में कहें तो अगर किसी व्यक्ति में कोरोनावायरस का असर ज्यादा है, तो एंटीजन टेस्ट पकड़ लेगा। लेकिन, असर कम है तो उसे नहीं पकड़ पाता। इन्हीं वजहों से निगेटिव रिपोर्ट होने पर भी आरटी-पीसीआर टेस्ट जरूरी है।
लेकिन, क्या ऐसा हो रहा है?
तो इसका जवाब शायद ‘ना’ है। इसका जवाब भी खुद दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ही दिया है। पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से बताया गया था कि दिल्ली में 18 जून से लेकर 15 जुलाई के बीच 2 लाख 81 हजार 555 लोगों की जांच एंटीजन टेस्ट से की गई। इसमें से सिर्फ 19 हजार 480 लोग पॉजिटिव निकले थे। यानी एंटीजन टेस्ट का पॉजिटिव रेट 6.92%।
जबकि, इसी दौरान दिल्ली में 1 लाख 33 हजार 579 आरटी-पीसीआर, ट्रूनेट या सीबीनैट टेस्ट हुए थे। इन टेस्ट में 47 हजार 534 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। यानी इन टेस्ट में पॉजिटिव रेट हुआ 35.5%।
अब प्रोटोकॉल ये है कि एंटीजन टेस्ट में अगर कोई निगेटिव आता है, तो उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट होना जरूरी है। दिल्ली सरकार के मुताबिक, 18 जून से 15 जुलाई के बीच एंटीजन टेस्ट में 2 लाख 62 हजार 75 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। लेकिन, इनमें से सिर्फ 0.5% यानी 1 हजार 365 लोगों का ही आरटी-पीसीआर टेस्ट हुआ था।इन लोगों में से 18% यानी 243 लोगों की रिपोर्ट आरटी-पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव आई थी।
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