गंगा नदी फरक्का में खतरे के निशान को पार कर गई है। शनिवार की रात नदी का जलस्तर वहां खतरे के निशान से 12 सेंटीमीटर ऊपर था। मात्र 24 घंटे पहले यह चार सेंटीमीटर ऊपर था। ऐसा तब है जबकि बिहार में गंगा का ट्रेंड अधिसंख्य स्थानों पर घटता दिख रहा था। लेकिन फरक्का में इसके लाल निशान के ऊपर आने के बाद अब बिहार में भी बक्सर से भागलपुर तक इसके जलस्तर में बढ़ोतरी की आशंका है। कहलगांव में इसके जलस्तर में वृद्धि होने लगी जबकि भागलपुर में इसका घटता जलस्तर ठहर गया।
3 घंटे की बारिश से दिल्ली बेहाल, एक की मौत
दिल्ली और एनसीआर में रविवार सुबह तीन घंटे मूसलाधार बारिश हुई, जो राहत के साथ आफत साबित हुई। पानी जमा हो जाने से मिंटो रोड पर अंडर ब्रिज के नीचे से गुजर रही डीटीसी की बस पानी में डूब गई। गनीमत रही कि बस में यात्री नहीं थे। इसी ब्रिज के पास 60 साल के एक टैम्पो ड्राइवर की डूबने से मौत हो गई। उधर, आईटीओ के पास अन्ना नगर में भारी बारिश के कारण जमीन धंसने से आठ से दस घर नाले में बह गए।
27.64 लाख लोग प्रभावित, राहत शिविरों में 18 हजार लोग रह रहे
तस्वीर असम के मोरीगांव जिले के खोलाबाेइया गांव की है।असम के 33 में से 26 जिले भारी बारिश, भीषण बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में हैं। इससे अब तक यहां 105 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 27.64 लोग प्रभावित हैं। राहत शिविरों में करीब 18 हजार लोग हैं। संक्रमण के डर से लोग अब शिविरों से घर को लौट रहे हैं।
कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा
मध्यप्रदेश केरायसेन जिले में खेत सूखे पड़े हैं और जमीन में दरार पड़ने लगी है। जिले में 2 लाख 28 हजार हेक्टर क्षेत्र में धान लगाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन बारिश के अभाव में 1 लाख 45 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ही अब तक रोपा लग पाया है।
प्रकृति का उत्सवहरियाली अमावस्या आज
आज हरियाली अमावस्या है, यानी प्रकृति का उत्सव मनाने और इसके संरक्षण का संकल्प लेने का दिन। 10 साल पहले लिए गए ऐसे ही एक संकल्प से खाेयरी पहाड़ी पर हरेभरे पेड़ों का जंगल दिखाई देने लगा है। 10 साल में पहाड़ी पर 50 हजार पाैधे राेपकर उन्हें संरक्षित किया गया। इसके सुखद परिणाम सामने हैंं। अब विभाग टिटोड़ी की पहाड़ी पर 48 हजार पाैधे राेपकर इसे भी हराभरा करने की तैयारी कर चुका है।
देश का पहला शिवालय, जहां शिवलिंग नहीं, लकड़ी के घाेड़े की पूजा
आमतौर पर शिवालयाेंमें मां पार्वती, नंदी, गणेश, कार्तिकेय के साथ शिवलिंग के दर्शन हाेते हैं। लेकिन राजस्थान में पाली के गुडालास गांव स्थित काठवेश्वर महादेव मंदिर में ये सब मूर्तियां नदारद हैं। यहां सिर्फ काठ यानी लकड़ी के अश्व (घाेड़े) की महादेव के रूप में पूजा की जाती है। 475 साल पुराने इस मंदिर काे ‘पृथ्वीरा धणी अलखजी’ (धरती के मालिक) के नाम से भी जाना जाता है। भाद्रपद और माघ शुक्ल पक्ष द्वितीय काे मेला भरता है। यहां प्रदेश से हजाराें श्रद्धालु पहुंचते हैं।
रोशनी से जगमगा उठा 700 साल पुराना सिद्धेश्वर मंदिर
20 जुलाई यानी आज सावन का तीसरा सोमवार है। लेकिन मराठी कैलेंडर के मुताबिक मंगलवार से सावन का महीना शुरू हो रहा है। इसके तहत महाराष्ट्र के सोलापुर स्थित 700 साल पुराने सिद्धेश्वर मंदिर को सजा दिया गया है, जो रविवार रात रोशनी से जगमग हो उठा। मंदिर के चारों ओर तालाब है।स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर 36 एकड़ में फैले सिद्धेश्वर मंदिर को विकसित किया जा रहा है। कोरोनामें महाराष्ट्र में मंदिर खोलने की अनुमति नहीं है।
स्थानीय किसानों की मुश्किलें बढ़ीं
मध्यप्रदेश केशाजापुर जिले की गुलाना तहसील के जंगलों में हिरणों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हिरणों के झुंड जंगल से निकलकर खेतों में भी धमाचौकड़ी मचा रहे हैं। हालांकि हिरणों की मस्ती ने स्थानीय किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इनका झुंड जिस खेत में घुसता है, उसे पूरी तरह चौपट कर देता है। यह फोटोसिमरौल के पास की है।
कीचड़: गुस्साए लोगों ने ट्रैक्टर से खुदाई कर धान रोपी
यह फोटोअमर शहीद वीर बुधु भगत की जन्मस्थली रांची के सिलागाईं की है। कहने को तो यह आदर्श गांव है, पर सरकार ने घोषणाओं के बावजूद यहां पक्की सड़क नहीं बनाई। गड्ढे ही गड्ढे हैं। यह सड़क गुमला, लोहरदगा जिला को भी जोड़ती है। इन दिनों बारिश से हालत और खराब हो गई है। विरोध स्वरूप गुस्साए ग्रामीणों ने रविवार को सड़क पर ट्रैक्टर से खुदाई की और धानरोपनी की।
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