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सोमवार, 27 जुलाई 2020
जहां मुस्लिम पक्ष को जमीन मिली है, वहां धान की फसल लगी है; लोग चाहते हैं कि मस्जिद के बजाए स्कूल या अस्पताल बने
साहब हम तो चाहते हैं कि यहां मस्जिद के बदले हॉस्पिटल या कोई कॉलेज बने। आसपास तो बहुत सारी मस्जिदें हैं लेकिन कोई बढ़िया हॉस्पिटल या बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं है। हालांकि, हमारी राय का क्या मतलब, कौन सा जिम्मेदार लोग मान लेंगे।" यह कहना है धन्नीपुर गांव के मोहम्मद इस्लाम का।
60 साल के मोहम्मद इस्लाम कहते हैं कि जब 1992 में अयोध्या समेत पूरे देश मे दंगा-फसाद हुआ, तब इस गांव में शांति थी। यहां मुस्लिम भाई और हिन्दू भाई तब भी मिलकर रह रहे थे, आज भी मिलकर रह रहे हैं। धन्नीपुर गांव में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित की है। अयोध्या से गोरखपुर हाइवे की तरफ लगभग 28 किमी जाने पर रौनाही थाने के पीछे ही जमीन है।
क्या हो रहा है मस्जिद के लिए आवंटित जमीन पर
रौनाही थाने से पहले ही गांव की तरफ जाने वाली रोड पर बैरिकेडिंग लगी है। पूछने पर पता चला कि गांव में एक ही परिवार के 4 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। दूसरा रास्ता थाने के आगे ही था। उस रास्ते पर बढ़ने पर 100 मीटर चलकर ही बाएं हाथ पर कृषि विभाग का फॉर्म हाउस बना हुआ है।
उसी फॉर्म हाउस में सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन आवंटित की गई है। हालांकि, जमीन पर इस वक्त धान की फसल लहलहा रही है। कृषि फॉर्म हाउस में कुछ मजदूर है जो खेतों में खाद डाल रहे बात करने पर पता चला वह यहां मजदूरी करते हैं। खेतों में खाद डाल रहे बेचूराम कहते है कि कृषि फॉर्म हाउस में पूरब में 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। जब जमीन पर फैसला हुआ था तब अधिकारी आये थे।
उसके बाद से यहां कोई नहीं आया। 28 सालों से इसी जमीन पर मजदूरी करने वाले बेचूराम कहते है कि अभी जुलाई में धान की रोपाई की गई है। हालांकि, इस फसल पर मालिकाना हक किसका होगा?, इस सवाल पर वह कहते है कि अभी तो कृषि विभाग ही फसल का मालिक है।
कैसा है गांव का माहौल
कृषि फॉर्म हाउस में ही हमारी मुलाकात धन्नीपुर गांव के प्रधान राकेश यादव से हुई। उन्होंने बताया कि कभी-कभी अधिकारी आते रहते है, लेकिन कोई काम यहां अभी शुरू होने की नौबत नही आई। राकेश कहते है कि जब मस्जिद के लिए यहां जमीन आवंटित हुई। तब पहली बार हमारा गांव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना गया।
हम लोग चाहते है कि यहां हॉस्पिटल या कॉलेज के साथ साथ मस्जिद भी बने ताकि उसकी वजह से यहां पर्यटक आएंगे और हमारे गांव का विकास भी होगा। राकेश कहते है कि मस्जिद को लेकर अभी कोई काम नही शुरू हुआ है लेकिन, राममंदिर को लेकर लोगों में उत्साह जरूर है।
1992 में कुछ नहीं हुआ तो अब भी कुछ नहीं होगा
धन्नीपुर गांव में अंदर जाने पर सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान पर कुछ युवा और बुजुर्ग दिखाई पड़े तो उनसे हमारी बात हुई। 80 दशक गुजार चुके अतिउल्ला कहते हैं कि हमारे पुरखे यहां खेती करते थे हम भी यही काम कर रहे हैं। यहां मंदिर बने मस्जिद बने हमें कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि उसके बाद भी हमें आखिर करनी तो मजूरी ही है। 1992 के दंगों के बारे में बात करने वह कहते है कि जब अयोध्या जल रही थी तो हमारा गांव शांत था।
यहां हिन्दू मुसलमानों ने आपस मे भाईचारा बनाये रखा और कुछ भी गलत नही हो पाया। उस वक्त को याद कर 80 साल की शकुंतला भी कहती हैं कि जब हम लोगों को खबर मिली कि अयोध्या में दंगा हो गया है तो यही पर गांव के जवान और बुजुर्ग इकट्ठा हुए और सब लोगों ने तय किया कि हम सब एक रहेंगे और किसी भी बाहरी को गांव में आने नही देंगे। जैसे आज गांव में कोरोना की वजह से बाहरी लोगों को नहीं आने देते है, वैसे ही उस समय रोक लगा दी थी। पुलिस की गश्त चलती रहती थी, लेकिन चाहे हिन्दू हो या मुसलमान सब आराम से रह रहे थे।
गांव के बुजुर्ग खेती से जुड़े तो ज्यादातर युवा है प्रवासी मजदूर
सरकारी गल्ले की दुकान पर ही कई युवा भी मिले। बातचीत में पता चला कि ज्यादातर लोग लॉकडाउन दिल्ली, मुंबई से गांव में लौटकर आये हुए है। सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले अरविंद ने बताया कि यहां ज्यादातर लोग खेती से जुड़े हैं। बुजुर्ग गांव में खेती करते है तो युवा प्रवासी मजदूर है।
दूसरे राज्यों से अभी लौटे है तो गांव में चहल पहल दिख रही है। इन लड़कों का मानना है कि कुछ ऐसा बने ताकि युवाओं को यहीं रोजगार मिल जाये। जिससे उन्हें बाहर न जाना पड़े। बहरहाल, जमीन पर कुछ काम न होने से लोग निराश भी है।
मस्जिद के लिए आवंटित जमीन से सटा है शाहगदा शाह बाबा की मजार
कृषि फॉर्म में मस्जिद के लिए आवंटित जमीन से ही सटी हुई शाहगदा शाह बाबा की मजार है। गांव वाले बताते है कि यहां हर साल अप्रैल के अंत मे उर्स होता है, जहां देशभर से जायरीन आते हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से अबकी यहां उर्स नही मनाया गया। यहां हर गुरुवार भी मेला लगता है लेकिन कोरोना की वजह से वह भी बन्द है। कोई इक्का-दुक्का आ गया तो आ गया। प्रधान राकेश बताते है कि जब गांव में जमीन आवंटित हुई थी, तब हम सबको उम्मीद थी कि उर्स के बहाने ही सही लोग जमीन देखने के लिए उमड़ेंगे। लेकिन, कोरोना की वजह से सब मामला खराब हो गया।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार बोले-जमीन वक्फ बोर्ड को मिली हमसे मतलब नहीं
अयोध्या में मीडिया वालों से घिरे बाबरी मस्जिद के एक पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने बातचीत में कहा कि धन्नीपुर में जमीन का सुन्नी वक्फ बोर्ड क्या करता है क्या नहीं करता है, हम इसके जिम्मेदार नहीं है। जब तक अयोध्या का मसला था, तब तक हम मामले में शामिल रहे। तब हमारी कौम का मसला था।
हालांकि, उन्होंने कहा कि हम पहले भी मांग कर चुके है कि वहां हॉस्पिटल या कॉलेज बनाया जाए क्योंकि वहां आसपास लगभग 22 मस्जिदें हैं। लेकिन, अब अयोध्या में सब सही है। फैसला आ चुका है। सबको मंजूर है। हम चाहेंगे कि हमें भूमिपूजन के लिए आ रहे पीएम का स्वागत का मौका दिया जाए।
अयोध्या में भूमिपूजन की तैयारी में जुटा ट्रस्ट
शनिवार को सीएम योगी के अयोध्या दौरे के बाद राममंदिर के लिए पीएम द्वारा आगामी 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन की तैयारियां शुरू हो गयी है। श्री रामजन्म भूमि ट्रस्ट द्वारा अपील की गई है कि 5 अगस्त को भारत और अन्य देशों में रहने वाले सभी रामभक्त सुबह 11.30 बजे से 12.30 बजे भजन - कीर्तन करें, आरती करें। अपने घर ,मोहल्ले ,बाज़ार, मठ मन्दिर,आश्रम में दीप जलायें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार मन्दिर निर्माण के लिए दान का संकल्प करें ।
प्रशासन ने भी शुरू की तैयारियां
शनिवार को सीएम योगी के दौरे के बाद अयोध्या में भी पीएम मोदी के आगमन को लेकर प्रशासन एक्शन में आ गया है। कमिश्नर एमपी अग्रवाल ने बताया कि 5 अगस्त को पीएम के आगमन को लेकर हम तैयारी कर रहे हैं। अभी तय हुआ है कि पीएम के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण दूरदर्शन के द्वारा किया जाएगा।
कार्यक्रम स्थल पर संतों को और वीआईपी मेहमानों को ले जाने के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। कार्यक्रम स्थल पर वाटरप्रूफ टेंट लगाए जाएंगे। साथ ही उम्मीद है कि हेलीपैड साकेत कॉलेज में बनाया जाएगा। ऐसे में साकेत डिग्री कॉलेज से 2 किमी दूरी का रास्ता पीएम गाड़ी द्वारा तय कर सकते हैं। ऐसे में इस 2 किमी रोड पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहेंगे।
बीते 31 मार्च को खत्म हो चुका है सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल
बीते 31 मार्च को सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल खत्म हो चुका है। बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी के पास चार्ज है। उन्होंने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि जमीन की पैमाइश हो चुकी है। जैसा कि पहले बताया गया था कि मस्जिद बनाने के लिए ट्रस्ट का गठन होगा तो यह काम भी पूरा हो चुका है। जल्द ही ट्रस्ट में कौन-कौन होगा इसका भी ऐलान होगा। जल्द ही धन्नीपुर में भी मस्जिद के साथ-साथ इंडो इस्लामिक सेंटर और लाइब्रेरी बनाने का काम शुरू किया जाएगा।
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