केरल के कोझीकोड एयरपोर्ट पर हुए विमान हादसे में दोनों पायलटों समेत 18 लोगों की जान चली गई। सेफ्टी एडवाइजरी कमेटी के एक सदस्य ने एयरपोर्ट के रनवे को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन इस पर ध्यान ही नहीं दिया गया। इस कमेटी का गठन नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने किया था।
एक अंग्रेजी अखबार के साथ बातचीत में कमेटी के सदस्य कैप्टन मोहन रंगनाथन ने कहा, ‘‘करिपुर एयरपोर्ट सुरक्षित नहीं है। यहां लैंडिंग नहीं होनी चाहिए, खासकर तब जब बारिश हो रही हो।’’ रंगनाथन ने यह भी कहा कि मैंगलोर क्रैश के बाद ही मैंने वॉर्निंग दी थी, लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। करिपुर एयरपोर्ट में टेबलटॉप रनवे है, जिसमें ढलान है। रनवे के अंत में जो बफर जोन है, वह भी छोटा है।
रनवे के बाद बफर जोन बड़ा होना चाहिए
रंगनाथन के मुताबिक टोपोग्राफी के हिसाब से रनवे के बाद 240 मीटर का बफर जोन होना चाहिए, पर करिपुर में 90 मीटर ही है। हालांकि, इसे डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने ही परमीशन दी थी। इसके अलावा रनवे की साइड में भी 75 मीटर की जगह थी, जबकि इसमें 100 मीटर की अनिवार्यता होती है।
गाइडलाइन पर भी सवाल
रंगनाथन के मुताबिक जब बारिश हो रही हो तो टेबलटॉप रनवे पर लैंडिंग होगी या नहीं, इसको लेकर भी कोई गाइडलाइन नहीं आई। मैंने 17 जून 2011 को सिविल एविएशन सेफ्टी एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन को चिट्ठी लिखी थी। इसकी कॉपी सिविल एविएशन सेक्रेटरी और डीजीसीए को भी भेजी थी। इसमें कहा था कि रनवे एंड सेफ्टी एरिया (RESA) को तुरंत 240 मीटर का करना चाहिए। साथ ही सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रनवे को छोटा करना चाहिए।
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