अब तक हमने महिलाओं को पानी भरते हुए यानी वाटर कैरियर के रूप में देखा है, लेकिन अब महिलाएं वाटर कैरियर से वाटर एंटरप्रैन्योर बन रही हैं। वे लोगों को पीने के लिए साफ पानी भी मुहैया करा रही हैं और खुद आत्मनिर्भर भी बन रहीं हैं। महाराष्ट्र, तेलंगाना और यूपी के शहरी और ग्रामीण इलाकों में जहां पीने के लिए साफ पानी की सुविधा नहीं है, वहां वाटर एटीएम की शुरुआत हुई है। जिससे बड़ी संख्या में महिलाएं भी जुड़ी हैं। कई गांवों में वाटर एटीएम का संचालन महिलाएं कर रही हैं।
35 साल की नेमुरी रानी हैदराबाद के विनायक नगर में रहती हैं। पहले वह हाउस वाइफ थीं, घर का काम करती थीं, लेकिन वे अब हर महीने 6-7 हजार रुपए बचा लेती हैं। उनके पति भी अब इस काम से जुड़ गए हैं। वे बाल नगर और उसके आसपास के इलाकों में पानी पहुंचाने का काम करते हैं। अब दोनों का गुजारा भी ठीक से होता है और बच्चों की पढ़ाई के लिए भी पैसे की कमी नहीं होती।
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के मधेली गांव की रहने वाली प्रांजलि अपने गांव में वाटर एटीएम चलाती हैं। वे बताती हैं कि पहले उनके गांव में पानी की बहुत दिक्कत थी। कई किलोमीटर दूर से पीने के लिए पानी लाना पड़ता था। दूषित पानी की वजह से गांव में कई लोग बीमार हो जाते थे। डायरिया और जॉन्डिस जैसी बीमारियां कॉमन थी, लेकिन जब से वाटर एटीएम की शुरुआत हुई है तब से यहां के लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है।
प्रांजलि के साथ कुछ और भी महिलाएं काम करती हैं। वे अपना काम शिफ्ट में बांटकर करती हैं। जिसकी शिफ्ट में जितना पानी बिकता है उसके हिसाब से वे पैसे शेयर कर लेती हैं। प्रांजलि इसी पैसे से अपनी बेटी को पढ़ा रही हैं।
5 रुपए में 20 लीटर पानी
इस वाटर एटीएम से पांच रुपए में 20 लीटर साफ और शुद्ध पानी मिलता है। एक एटीएम से हर दिन करीब 250 केन पानी बिकता है। दिनभर में जितने रुपए की कमाई होती हैउसका 50 फीसदी एटीएम ऑपरेटर को मिलता है और बाकी का 50 फीसदी मेंटेनेंस पर खर्च होता है।
फसलवाडी की रहने वाली पी लक्ष्मी रोज वाटर एटीएम से पानी भरती हैं। कहती हैं कि पहले हमें पीने के लिए साफ पानी खरीदने पर भी मुश्किल से मिलता था। एक केन पानी के लिए 20 से 25 रुपए देने होते थे। पानी पहुंचाने वाले के आने का भी कोई टाइम फिक्स नहीं होता था। अक्सर वह देर से आता था, लेकिन अब तो अपने गांव में ही सस्ता और शुद्ध पानी मिल रहा है।
एक हजार लोगों को मिला रोजगार
वाटर एटीएम यानी आई जलशक्ति स्टेशन की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 2016 में तेलंगाना में हुई थी। तेलंगाना के मेदक जिले में सेव वाटर नेटवर्क नाम की एक संस्था ने सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) मॉडल के आधार पहला वाटर एटीएम इंस्टॉल किया गया। उसके कुछ ही महीने बाद उस जिले में 49 जगहों पर भी यह मशीन लगाई गई। उसके बाद धीरे-धीरे दूसरे राज्यों में भी इसका विस्तार हुआ।
अभी महाराष्ट्र, तेलंगाना, यूपी सहित देश के 11 राज्यों में इसकी शुरुआत हो गई है। 10 लाख से ज्यादा लोगों तक शुद्ध पानी पहुंच रहा है। अभी देशभर में 1000 लोग इससे जुड़े हैं, जिनमें करीब 30 फीसदी महिलाएं काम करती हैं।
सेव वाटर नेटवर्क की वाइस प्रेसिडेंट पूनम सेवक के मुताबिक, इस मुहिम से लोगों को पीने के लिए शुद्ध और साफ पानी तो मिलता ही है, साथ ही महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। इससे उनका जीवन स्तर सुधर रहा है। उनके बच्चों को अब बेहतर एजुकेशन मिल रही है।
जिन महिलाओं को पानी भरने के लिए कई किलोमीटर जाना होता था आज उनके गांव में ही साफ पानी मिल रहा है। कोरोना संक्रमण में भी यह एटीएम बंद नहीं हुआ। हर सेंटर पर सैनिटाइजर रखे गए थे, लोग लाइन में लगकर पानी भरते थे।
कैसे काम करता है वाटर एटीएम
इसके लिए लोकल सोर्स यानी गांव के आसपास के तालाब और नदियों से पानी लिया जाता है और उसे अलग-अलग लेवल पर प्यूरीफाई किया जाता है। कुल छह चरणों में पानी को साफ किया जाता है। इसके बाद उसे एटीएम मशीन में भरा जाता हैं। हर सेंटर पर इससे जुड़े कुछ लोग होते हैं, जो वाटर ट्रीटमेंट का काम करते हैं। उन्हें इसके लिए विशेष ट्रेनिंग दी गई है।
इतना ही नहीं गांव वालों को भी पानी के स्टोरेज और साफ सफाई के लिए जागरूक किया जाता है। कई जगहों पर उनसे पानी भी खरीदा जाता है, जिसे प्यूरीफाई कर शुद्ध पानी सप्लाई किया जाता है।
वर्ल्ड वाटर डेवलपमेंट रिपोर्ट 2019 के मुताबिक भारत में 10 करोड़ लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पाता है। वहीं वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 21 फीसदी बीमारियां दूषित पानी की वजह से होती हैं।
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