शनिवार, 5 सितंबर 2020

ग्लोबल टीचर अवॉर्ड की दौड़ में शामिल भारत के 2 शिक्षकों ने कहा- टीचर्स के लिए इनोवेशन बैंक बने, लड़कियां भी कम्प्यूटर कोडिंग सीखें

(अमित निरंजन/रमेश पवार). शिक्षा का नोबेल कहे जाने वाले ग्लोबल टीचर अवॉर्ड 2020 के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए 50 शिक्षकों में 3 भारतीय हैं। इनमें सोलापुर, महाराष्ट्र में सरकारी स्कूल टीचर रणजीत सिंह दिसाले, दिल्ली की कम्प्यूटर टीचर विनीता गर्ग और अजमेर के शुभोजीत पायने शामिल हैं। भास्कर ने रणजीत और विनीता से बातचीत की।

दिसाले चाहते हैं कि शिक्षकों के लिए इनोवेशन बैंक बने। वहीं, विनीता कहती हैं कि कोविड के बाद माता-पिता को पढ़ने-पढ़ाने के नए तरीके सीखने होंगे। बातचीत के प्रमुख अंश...

रणजीत सिंह दिसाले: इनकी बनाई क्यूआर कोड किताबों से लॉकडाउन में भी पढ़े बच्चे
महाराष्ट्र में सोलापुर के जिला परिषद परितेवाडी स्कूल में टीचर रणजीत सिंह दिसाले ने 2014 में किताबों के लिए क्यूआर कोड बनाया, जो आज एनसीईआरटी इस्तेमाल करता है। इन क्यूआर कोड वाली किताबों को बच्चे मोबाइल पर भी आसानी से पढ़ सकते हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने भी टीचर का आइडिया अपनाया

दिसाले का यह आइडिया 2015 में महाराष्ट्र सरकार ने भी अपनाया। इस सिस्टम की अहमियत लॉकडाउन में दिखाई दे रही है। उनका नया प्रोजेक्ट ग्रीन प्लैनेट है, जिसमें पेड़ों को बचाने के लिए वे सेंसर लगा रहे हैं। उनके लेट्स क्रॉस द बॉर्डर प्रोजेक्ट में 8 देशों के 16 हजार बच्चे मिलकर ‘पी कॉलम’ तैयार कर रहे हैं।

दिसाले टीचरों के लिए एक इनोवेशन बैंक की मांग करते हैं। उनका कहना है कि अगर किसी स्कूल में कोई इनोवेशन हो रहा हो, तो वह सिर्फ वहीं तक सीमित न रहे। इनोवेशन बैंक में उस मॉडल की डिटेल दर्ज हो, ताकि दूसरे भी सीख सकें।

विनीता गर्ग: संगीत से कम्प्यूटर कोडिंग सिखा रहीं हैं
दिल्ली के एसआर डीएवी पब्लिक स्कूल की टीचर विनीता गर्ग ने कम्प्यूटर कोडिंग जैसे जटिल विषय को भी सुर, लय और ताल से बांध दिया है। आधा दर्जन जिंगल्स और रैप के जरिए वे बच्चों को कोडिंग सिखाती हैं।

भास्कर से बातचीत में विनीता कहती हैं कि मैं चाहती हूं कि ऐसे प्रावधान हों, जिसमें लड़कियां भी कोडिंग सीखने आएं। फिलहाल मैं अपने घर के आसपास कई लड़कियों को कम्प्यूटर की कोडिंग सिखाती हूं। लेकिन क्लास में उनकी संख्या काफी कम है।

पेरेंट्स को पढ़ाने के नए तरीके सीखने होंगे

कोरोना काल में पढ़ाई के बदले तरीके पर वे कहती हैं कि ये बच्चों के लिहाज से सबसे कठिन समय है। इस वक्त सबसे ज्यादा अहम रोल माता-पिता का है। उन्हें पढ़ने, पढ़ाने और समझाने के नए तरीके सीखने होंगे। इसी से बच्चों की पढ़ाई सही ट्रैक पर चल सकती है। वे कहती हैं कि कोडिंग को समझाने का मेरा तरीका पूरी तरह प्रायोगिक और व्यवहारिक हैं। इन्हें नई शिक्षा नीति में शामिल करना आसान है।



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महाराष्ट्र में सोलापुर के जिला परिषद परितेवाड़ी स्कूल में टीचर रणजीत सिंह दिसाले ने 2014 में किताबों के लिए क्यूआर कोड बनाया था, जिसे एनसीआरटी इस्तेमाल करता है।


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