ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल्स के दौरान एक वॉलेंटियर की तबियत खराब होने की जांच एक्सपर्ट्स के एक ग्रुप ने शुरू कर दी है। भले ही इस घटनाक्रम ने वैक्सीन की स्पीड को धीमा कर दिया हो, वैज्ञानिक इसे अच्छा मान रहे हैं।
हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि इस घटना से हताश या निराश होने की जरूरत नहीं है। वैक्सीन के ट्रायल्स में ऐसा होता रहता है। इस बीच, ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन के भारत में चल रहे ट्रायल्स सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने रोक दिए हैं।
भारत में अब तक 100 वॉलेंटियर्स को लगाया वैक्सीन
- ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की ओर से विकसित वैक्सीन कोवीशील्ड का भारत में फेज-2 और फेज-3 का कम्बाइंड ट्रायल्स चल रहा है। यह करने वाली सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत में भी ट्रायल्स रोक दिए हैं।
- भारत में अब तक 100 वॉलेंटियर्स को ट्रायल्स के तहत यह वैक्सीन लगाया गया है। यह ट्रायल पूरा करने के लिए करीब 1,600 वॉलेंटियर्स को एनरोल करने की योजना है। इस बीच, भारत के ड्रग रेगुलेटर ने सीरम इंस्टिट्यूट को कारण बताओ नोटिस भेजा है।
WHO ने कहा- यह कोई झटका नहीं
- जेनेवा में WHO की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन के ट्रायल्स पर ब्रेक लगना कोई झटका नहीं है। यह बताता है कि वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया हमेशा "फास्ट और स्ट्रेट रोड' जैसी नहीं रहती।
- स्वामीनाथन ने कहा कि यह अच्छा है। इसे हम वेक-अप कॉल भी मान सकते हैं। सभी के लिए यह एक सबक है कि रिसर्च में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। क्लिनिकल डेवलपमेंट में भी ऐसा ही होता है। हमें उसके लिए तैयार रहना होगा।
- वहीं, एस्ट्राजेनेका के सीईओ ने दावा किया है कि जिस वॉलेंटियर को न्यूरोलॉजिकल समस्या आई थी, उसे वास्तविक वैक्सीन दिया गया। डमी नहीं। अब तक यह नहीं समझ आया है कि जो स्पाइन कॉड को प्रभावित करने वाले न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण वैक्सीन है या नहीं।
- एस्ट्राजेनेका के सीईओ पास्कल सोरियोट ने कहा कि जो हुआ, उसके बाद भी उनका वैक्सीन इसी साल के अंत तक मार्केट में आ सकता है। उन्होंने कंपनी के निवेशकों को भरोसा दिलाया कि यह ब्रेक टेम्पररी है। जल्द ही ट्रायल्स गति पकड़ेंगे।
चीन में होंगे नैजल स्प्रे वैक्सीन के ट्रायल्स
- चीन ने अपने पहले नैजल स्प्रे वैक्सीन को ट्रायल्स की मंजूरी दे दी है। इसके फेज-1 के क्लिनिकल ट्रायल्स नवंबर में शुरू होंगे। इसमें 100 वॉलेंटियर्स पर यह नैजल स्प्रे वैक्सीन आजमाया जाएगा।
- चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह नैजल वैक्सीन हांगकांग और चीन का संयुक्त प्रयास है। इसमें यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग, शियामेन यूनिवर्सिटी और बीजिंग वांटई बायोलॉजिकल फार्मेसी के रिसर्चर शामिल हैं।
- नैजल स्प्रे वैक्सीन में यदि इनफ्लूएंजा वायरस यानी H1N1, H3N2 और B शामिल हो तो यह इनफ्लूएंजा और नोवल कोरोनावायरस से डबल प्रोटेक्शन दे सकता है। इसके ट्रायल्स पूरे होने में एक साल का वक्त लग सकता है।
चीनी कंपनी का दावा हमारा वैक्सीन सेफ
- इस बीच, चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप कंपनी ने कहा कि उसके वैक्सीन के दो शॉट्स के बाद भी किसी भी वॉलेंटियर में कोई साइड-इफेक्ट या प्रतिकूल रिएक्शन नहीं आई है। अब तक सैकड़ों लोगों को यह वैक्सीन लगाया गया है।
- सिनोफार्म ग्रुप कंपनी की सब्सिडियरी चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप कंपनी के वैक्सीन को चीन में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अप्रूवल दिया गया है। फेज-3 ट्रायल्स पूरा होने से पहले ही इस वैक्सीन को फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगाया गया है।
कोविड-19 वैक्सीन अपडेट
- दुनियाभर में कोविड-19 के लिए 180 वैक्सीन बन रहे हैं
- 35 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स के स्टेज में है। यानी इनके ह्यूमन ट्रायल्स चल रहे हैं।
- 9 वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं। यानी यह सभी वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल्स के अंतिम फेज में रहै।
- इन 9 वैक्सीन में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका (ब्रिटेन), मॉडर्ना (अमेरिका), गामालेया (रूस), जानसेन फार्मा कंपनीज (अमेरिका), सिनोवेक (चीन), वुहान इंस्टिट्यूट (चीन), बीजिंग इंस्टिट्यूट (चीन), कैनसिनो बायोलॉजिक्स (चीन) और फाइजर (अमेरिका) के वैक्सीन शामिल हैं।
- 145 वैक्सीन प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स स्टेज में है। यानी लैब्स में इनकी टेस्टिंग चल रही है।
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