(समीर राजपूत/सूर्यकांत तिवारी) कोरोनाकाल के 8 महीने में गुजरात में 43 हजार प्रसव हुए, जिसमें 1600 प्रसूताएं डिलीवरी के दौरान कोरोना पॉजिटिव थीं। इसमें से केवल 54 नवजात संक्रमित थे। हालांकि, पॉजिटिव मिले शिशुओं के कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे। सभी शिशु पांच से दस दिन में निगेटिव भी हो गए। कोरोना के कारण एक भी बच्चे को एनआईसीयू में नहीं रखा गया।
जब कोरोना तेजी से फैल रहा था और लोगों की जानें जा रही थी, तब संक्रमित माताओं के गर्भ में पल रहे इस वायरस से कैसे बच गए? जन्म के बाद मां का दूध पीने के बाद बच्चे कोरोना से कैसे सुरक्षित रहे? इन सवालों का जवाब संभवत: दुनिया में पहली बार अहमदाबाद में खोजने का प्रयास किया गया।
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के गायनेकोलॉजिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट विभाग में 105 कोरोना-ग्रस्त मां और संक्रमित मां के 50 शिशुओं पर शोध किया गया। डॉक्टरों के अनुसार संक्रमित मां से जन्म लेने के बाद बच्चों को मां का दूध पिलाया गया।
शोध में पता चला कि दूध से वे संक्रमित नहीं हुए। इससे बच्चों में वायरस से लड़ने की इम्युनिटी और बढ़ गई। किसी भी संक्रमित मां को बच्चों को दूध पिलाने से नहीं रोका गया। हां, सतर्कता जरूर रखी गई। स्मीमेर अस्पताल के गायनिक विभाग के एचओडी डॉ. अश्विन वाछाणी ने बताया कि कोरोनाकाल में माता-पिता आशंकित रहते थे।
मां के 100 एमएल दूध में क्या होता है?
अमरेली, एक साथ तीन बच्चों का जन्म, तीनों कोरोना निगेटिव
अमरोली के जेसिंगपरा की एक 22 वर्षीय रेखाबेन कालूभाई गोहिल ने काेरोनाग्रस्त हालत में तीन बच्चों को जन्म दिया। बच्चों का भावनगर में इलाज चल रहा है। तीनों बच्चों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। मां के कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद तीनों बच्चों में वायरस के कोई लक्षण नहीं पाए गए। अमरेली के सिविल अस्पताल के फिजीशियन डॉ. विजय वाला ने बताया कि महिला की हालत स्थिर है। सामान्य तौर पर जन्म के बाद अधिक संपर्क में आने से नवजात के पॉजिटिव होने का खतरा है।
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