डॉन मैक्केन. कॉफी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है। हम अपनी डेली लाइफ में कई बार कॉफी पीते हैं। एक अध्ययन में यह पाया गया है कि आमतौर कॉफी पसंद करने वाले लोग एक दिन में 3 से 5 कप कॉफी पी जाते हैं यानी एक दिन में एक व्यक्ति 400 मिलीग्राम कॉफी पीता है।
अमेरिकी नेशनल कैंसर स्कूल में रिसर्चर एरिका लॉफ्टफील्ड के मुताबिक, स्टडी के दौरान यह लगातार पाया गया कि कॉफी से मृत्यु का कोई लेना-देना नहीं है। यानी कॉफी ऐसी चीज नहीं है, जिसके नॉर्मल यूज से किसी की जिंदगी खतरे में आ जाए।
2015 में कॉफी को हेल्दी डाइट का हिस्सा माना गया
- सालों से लोग यह मानते आए हैं कि कॉफी कैंसर का कारण बन सकती है। लेकिन, 2015 में अमेरिकी एडवाइजरी कमेटी की डाइट को लेकर जारी की गई गाइडलाइन ने कॉफी के बारे में लोगों की सोच को बदल दिया। पहली बार ऐसा हुआ कि इस कमेटी ने कॉफी के नॉर्मल यूज को हेल्दी डाइट का हिस्सा माना।
- उसके बाद 2017 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने लिखा कि कॉफी का नॉर्मल यूज फायदेमंद ज्यादा है और नुकसानदेह कम। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के लेखकों ने 200 अध्ययनों का रिव्यू करके लिखा कि सामान्य तौर पर कॉफी पीने वालों को हृदय से जुड़े रोग कम होते हैं।
- डॉक्टर गियुस्पे ग्रॉसो के मुताबिक, एक दिन में तीन से पांच कप कॉफी पीने से टाइप-2 डाइबिटीज का रिस्क कम हो जाता है। कॉफी का सबसे ज्यादा फायदेमंद पक्ष यह है कि इसके इस्तेमाल से शरीर में पॉलीफेनल बन सकता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए ठीक नहीं कॉफी
- कॉफी को लेकर बहुत सारे लोग एडिक्ट हो जाते हैं, जिसको लेकर हमेशा चिंता जाहिर की जाती रही है। अमेरिकी संस्थाएं कॉफी को लेकर होने वाले नुकसान पर अध्ययन कर रही हैं। अभी तक इसके नुकसान को लेकर जो कुछ भी कहा जाता रहा है, वह बस एक तरह का अनुमान ही होता है। ज्यादा कॉफी पीने से क्या नुकसान है, यह अभी तक भी साफ नहीं हो सका है।
- जो महिलाएं मां बनने वाली होती हैं, उनके लिए कॉफी नुकसानदेह हो सकती है, यह बात कई अध्ययन में सामने आ चुकी है। कॉफी के इस्तेमाल से शरीर में कैफीन की मात्रा बढ़ जाती है, जो गर्भ में बच्चे के लिए सही नहीं माना जाता।
- इडनबर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जॉनथन फॉलोफील्ड कहते हैं, “कॉफी से हमें हेल्थ बेनीफिट मिल सकता है, लेकिन मैं इस बात को लेकर अभी पूरी तरह से श्योर नहीं हूं।”
कहीं आपके कॉफी बनाने का तरीका गलत तो नहीं
- आप किस तरह की कॉफी बनाते हैं, डार्क या हल्की? कॉफी बीन्स को ग्राइंड करके या नॉर्मल? इन तरीकों से कॉफी के टेस्ट पर फर्क पड़ता है। लेकिन, अमेरिकी नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में सीनियर रिसर्चर नियल फ्रीडमैन कहती हैं कि कॉफी से होने वाले फायदों पर भी फर्क पड़ता है। कितना फर्क पड़ता है, अभी इस पर अध्ययन जारी ही है।
- एक्सपर्ट नियल फ्रीडमैन उदाहरण देते हुए बताती हैं कि बहुत से लोग कॉफी बीन्स को रोस्ट करके कॉफी बनाते हैं, जो कॉफी से क्लोरोजेनिक एसिड की मात्रा को कम कर देता है। एस्प्रेसो कॉफी में पानी का बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उसमें कॉफी के कंपाउंड्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।
- जामा इंटर्नल मेडिसिन ने ब्रिटेन में 5 लाख लोगों की कॉफी हैबिट पर किए गए अध्ययन में पाया कि सभी तरीकों से कॉफी बनाकर पीने से लोगों में कोई बहुत बड़ा फर्क नहीं पड़ा, लेकिन तेजी से कॉफी बनाकर पीने (क्विक कॉफी) से लोगों में ज्यादा एसिड बनता दिखा। जामा इंटर्नल मेडिसिन में असिस्टेंट प्रोफेसर सी. कोर्नेलिस के मुताबिक, अलग-अलग तरीकों से कॉफी बना कर पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल ऊपर-नीचे हो सकता है।
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