गुरुवार, 8 अक्टूबर 2020

सब त एक ही रंग में रंगे हैं, चुनाव बाद न रंग उतरता है, हर बार आजमाते हैं, लेकिन सब त वादा खिलाफ ही निकलते हैं

जगहः पटना
समयः सुबह 6 बजे

यह जगदेव पथ है। पटना का नव विकसित इलाका। शहर का नया विस्तार इसी इलाके में ज्यादा हो रहा है। यही रास्ता आगे दानापुर भी जाता है। यूपी की ओर भी यही ले जाता है।

ऊपर-ऊपर जितनी तेजी से फ्लाई ओवर आपको ले जाता है, आम दिनों में फ्लाई ओवर के नीचे की रफ्तार उतनी ही कम हो जाती है। ये शहर के जाम का नया पॉइंट भी तो है। हालांकि, इन दिनों कोरोना के भय ने भीड़ थोड़ा थाम रखी है। जू या हवाई अड्डे की ओर से आएंगे तो फ्लाई ओवर जहां उतरता है, उससे वापस चार पिलर बाद सुबोध और चन्दन की चाय का स्टाल है। यहां सुबह-सुबह ही रौनक आ जाती है। पुल का मुहाना तो है ही, बगल में सब्जी मंडी, दूसरी तरफ मजदूरों की मंडी और ऑटो-टेम्पो-टैक्सी वालों का अस्थाई ठहराव होने के कारण इन चाय दुकानों का भगोना कभी ठंडा नहीं पड़ता, न यहां की चर्चाएं।

मंगलवार की सुबह 6 बजे भी यह दुकानें पूरे रंग में थीं।

ये एक बुजुर्ग हैं। शायद दिहाड़ी मजदूर। उम्र 60 के आसपास। नेताओं की वादा-खिलाफी से काफी नाराज लगे। बोले- 'सब त एक ही रंग में रंग जाते हैं। हम लोग हर बार आजमाते हैं, लेकिन सब वादा-खिलाफ ही निकल जाता है।' पास में चुपचाप उनकी बात सुन रहा एक युवक बोला- ‘आप त बहुत चुनाव देखे हैं। आपका अनुभव सही ही है। युवक के कंधे पर बैग देखकर यही लग रहा कि वह किसी मार्केटिंग कंपनी में काम करता होगा। शायद राजेश नाम है। बोला- 'पटना राजधानी है और इससे पूरे बिहार के विकास का अंदाजा लगा लीजिए। अब आप कैसे देखते हैं, ये आप पर निर्भर है।'

रात में हुई बारिश के कारण मौसम में घुली हल्की ठंडक में चाय की चुस्की के साथ चली बतकही गर्मी भर रही है। कई चुपचाप सिर्फ सुन रहे, तो कई बहस का हिस्सा बने हुए हैं।

चाय के ठेले पर हाथ से टेक लगाकर खड़ा युवक बोला - ‘चुनाव आते ही राजनीति की बात होने लगती है। इस पर तो हमेशा चर्चा होनी चाहिए। अगर हम नेताओं के काम की चर्चा हर दिन ऐसे ही करते रहें तो शायद चुनाव में फैसला करना आसान हो जाएगा।’ पास में बैठे युवक ने चाय का गिलास हाथ से रखते हुए बातचीत में एंट्री मारी- ‘क्या खाक साल भर चर्चा होगी! सरकार तो ध्यान भटकाए रखती है। इस कारण से किसी का ध्यान काम और विकास पर जाता ही नहीं है।’ युवक की बातों ने मानो वहां चाय पी रहे युवाओं की दुखती रग पर ही हाथ रख दिया हो। बगल वाली चाय दुकान की बेंच से एक आवाज आई- ‘जब कोरोना, छंटनी और बेरोजगारी पर बात होनी चाहिए तो सब थाली और शंख बजाता है। जनता ही बुड़बक है। कोई पूछा कि अब कोई काहे नहीं भाषण देता कोरोना पर...सबको मंदिर और चुनाव की पड़ी है। आदमी मर रहा है तो मरे।’

लोगों की बतकही सुन चायवाला बोलता है- आप लोग त दुकाने विधानसभा बना दिए हैं।

तभी एक एम्बुलेंस आकर रुकती है और चालक उतरकर दुकानदार से चाय मांगता है। चेहरे से थका-थका सा दिख रहा एम्बुलेंस चालक चाय वाले का पुराना परिचित है। चायवाले ने सवाल किया 'रोशन, कहां से सुबह-सुबह।' रोशन का जवाब था... 'जाने तो एक मरीज को लेकर दो घंटे से घूम रहा हूं। कहीं भर्ती नहीं हो पाया। कोरोना के डर से कोई प्राइवेट अस्पताल भर्ती नहीं कर रहा था। परिवार वालों ने जुगाड़ लगाया तो आईजीआईएमएस में भर्ती हो सका।' स्वास्थ्य सेवा के बहाने वह चुनाव की चर्चा में जुड़ गया। बोला, बिहार में स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल है। कोरोना का नाम सुन कुछ लोगों ने दूरी बनानी चाही तो बोला- 'घबराइए नहीं, पूरा सैनिटाइज हो के आ रहे हैं!'

रोशन की बातों से उत्साहित बाकी मजदूर भी बोल पड़े...‘साहब इ कोरोना त गरीबों को मार रहा है...।’ लगभग 50 साल का दिखने वाला एक मजदूर बोला, 'रोजी-रोटी से लेकर सब कुछ चौपट हो गया है। कोरोना का ऐसा डर है कि कोई हम लोगों से काम तक नहीं कराता। घर में जाने तक नहीं देता है। अब चुनाव क फेरा लग गया है। अउरो काम नहीं निकलेगा। सरकार कहती है कोरोना कंट्रोल में है, सब कहते हैं अभी और बुरा हाल होगा। अब आप ही लोग बताइए क्या किया जाए। अभी तो हम पेट की आग से मर रहे हैं। जब बीमारी होगी तो कहां जाएंगे भगवान ही मालिक है।'

मैली लुंगी और पीली कुर्ती पहने एक बुजुर्ग शायद दुलारे नाम है, बोले- 'सब आफत गरीबों पर ही फूटती है। चाहे वह कोरोना हो या फिर गरीबी या बेरोजगारी हो।'

दुकान पर बढ़ती भीड़ के बीच बहुत देर से यह सब सुन रहा दुकानदार सुबोध बोला- ‘आप लोग त दुकाने विधानसभा बना दिए हैं। यहां चुनाव की बात में धंधा ही खराब हो जाता है।’ इतना बोलते हुए उसने दो बेंच नए ग्राहकों के लिए खाली करा ली हैं। मुस्कराते हुए बोला- ‘चुनाव के दिन मुहर लगाइए और ऐसे प्रत्याशी को जिताइए जो वादा करके पूरा करने वाला हो।’ बगल वाली टपरी से आवाज आई है, ‘अब मुहर नहीं लगती बटन दबता है भाई...’ इस टिप्पणी पर सब हंस देते हैं। कुछ लोग उठ जाते हैं। बेंचों पर कुछ नए चेहरे काबिज हो चुके हैं। बतकही का यह राउंड पूरा हो चुका है।



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Bihar Election 2020; Patna Locals Political Decision On Coronavirus And Nitish Kumar Govt Work | Know What Patna Voters Of Have To Say


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