बतौर प्रोड्यूसर उनकी पहली फिल्म 'डिस्को डांसर' ने मिथुन चक्रवर्ती को रातोंरात स्टार बना दिया था। उनकी इस फिल्म को आज भी देश में ही नहीं, विदेशों में भी खूब देखा जाता है। 38 साल बाद भी इस फिल्म के गाने देश-विदेश के कई प्रोग्राम्स में धूम मचाते हैं।
उनके नाम भारत के पहले ऐसे फिल्म निर्माता का रिकॉर्ड है, जिन्होंने अमेरिकन आर्टिस्ट के साथ इंग्लिश फिल्म बनाई। हम बात कर रहे हैं दिग्गज निर्माता-निर्देशक सुभाष बब्बर की, जिन्हें बी.सुभाष के नाम से पूरी दुनिया जानती है। अपने 75वें जन्मदिन पर बी.सुभाष ने दैनिक भास्कर के साथ अपनी जर्नी शेयर की। उनसे हुई बातचीत के अंश:
सुभाष बब्बर से बी. सुभाष बनने की कहानी
मैंने अपने काम की शुरुआत मुंबई में ही की थी। लेकिन एस.एस. वासन की फिल्म 'शतरंज' (1969) के शूट के लिए मुझे मद्रास (अब चेन्नई) जाना पड़ा, जिसमें मैं असिस्टेंट डायरेक्टर था। इसके साथ ही मुझे एक अन्य डायरेक्टर वीरेंद्र सिन्हा मिल गए, जिनके साथ मैंने 'गंगा तेरा पानी अमृत' की।
वीरेंद्र ने मुझे बतौर डायरेक्टर शत्रुघ्न सिन्हा और राकेश रोशन स्टारर 'बुनियाद' में मौका दिया। इसके बाद लगा कि मुझे मद्रास में ही रहना है। वहां के नामों का चलन देखकर मैंने भी अपने नाम को बी.सुभाष लिखना शुरू कर दिया। हालांकि, कुछ समय बाद जब मद्रास में ठीक नहीं लगा तो मुंबई लौट आया। लेकिन मेरा नाम वही चलता रहा।
एनडीए में नहीं जा पाए तो फिल्ममेकर बन गए
मेरे दिमाग में दो ही प्रोफेशन थे। एनडीए (नेशनल डिफेन्स एकेडमी) या फिर फिल्म डायरेक्टर। मैं एयरफोर्स में जाना चाहता था। मैंने एनडीए का एग्जाम दिया और क्रैक भी कर लिया। लेकिन मेडिकल टेस्ट में सफल नहीं हो पाया। इसके बाद मैंने डायरेक्शन की ओर कदम बढ़ाया।
1963-64 में के. आसिफ साहब 'लव एंड गॉड' बना रहे थे। इसमें 11 असिस्टेंट डायरेक्टर थे, जिनमें मैं भी शामिल था। उस वक्त मेरी उम्र 18 साल रही होगी। के. आसिफ स्टूडियो में एक राइटर ने मुझसे कहा कि अगर डायरेक्टर बनना है तो किसी छोटी यूनिट में जाओ। वहां काम सीखने को मिलेगा। यहां तो सालों साल लग जाते हैं।
मैं किसी को जानता नहीं था तो उन्होंने मुझे पंजाबी फिल्म 'सात सालियां' में लगवा दिया, जिसके डायरेक्टर करुणेश ठाकुर थे। वहां काम सीखने को मिला। उसके बाद मुझे 'दूर का राही' में किशोर दा (किशोर कुमार) के साथ काम करने का मौका मिला। इस प्रोसेस में सीखने को बहुत मिला। वीरेंद्र सिन्हा ने मुझे बतौर डायरेक्टर काम दिया और मेरी पहली फिल्म 'बुनियाद' आई।
फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था। एक दिन प्यारे भाई ने मुझसे कहा कि वे अपने सेक्रेटरी के लिए एक फिल्म बनाना चाहते हैं और उन्हें मेरी स्टाइल बहुत पसंद आई है। उन्होंने मुझे अपनी फिल्म 'जालिम' के लिए बतौर डायरेक्टर साइन किया।
फिर इस फिल्म के एक प्रोड्यूसर एस.के. कपूर ने मुझे हेमा मालिनी, शशि कपूर स्टारर 'अपना खून' के लिए चुना। यह फिल्म भी चल निकली। फिर प्रोड्यूसर रामदयाल के साथ 'तकदीर का बादशाह' प्लान की, जिसमें मिथुन चक्रवर्ती हीरो थे।
संतुष्टि नहीं मिली तो खुद प्रोडक्शन शुरू किया
कई प्रोड्यूसर्स के साथ काम करने के बावजूद कुछ न कुछ कमी रह जाती थी। क्योंकि कई चीजों के लिए प्रोड्यूसर तैयार नहीं होते थे। तब मुझे लगा कि मुझे अपनी फिल्म करनी चाहिए। ताकि मैं जो करना चाहता हूं, वह कर सकूं। इस तरह मेरे दिमाग में 'डिस्को डांसर' का आइडिया आया। डिस्को उस समय पॉपुलर होना शुरू हुआ था।
वह दौर एक्शन और सोशल ड्रामा टाइप की फिल्मों का था। लेकिन मैं कुछ अलग बनाना चाहता था। उस समय तक बमुश्किल ही किसी ने म्यूजिकल और डांस ड्रामा फिल्म की होगी। मिथुन तब कुछ परेशान चल रहे थे। काफी कोशिश के बाद भी वे जिस तरह के स्टार बनना चाहते थे, वह नहीं बन पा रहे थे। उन्होंने मुझे अपना दर्द बताया।
तब मैंने उन्हें कहा कि मैं तुम्हारे साथ फिल्म 'डिस्को डांसर' बनाऊंगा और मुझे यकीन है कि तुम बहुत बड़े स्टार बन जाओगे। इसके बाद मैंने वह फिल्म बतौर डायरेक्टर, राइटर और प्रोड्यूसर बनाई। हमने इस फिल्म पर बहुत मेहनत की थी और हमें इसकी सफलता की उम्मीद भी थी। लेकिन यह कभी नहीं सोचा था कि यह फिल्म इस तरह का इतिहास रच देगी।
मिथुन के साथ कनेक्शन कैसे बैठा?
मैं एक प्रोड्यूसर की फिल्म कर रहा था, जो बन नहीं पाई। उनका और मिथुन का घर पास ही था। एक कनेक्शन यह था कि मिथुन की पत्नी योगिता बाली मेरे साथ 'गंगा तेरा पानी अमृत' और 'बुनियाद' में काम कर चुकी थीं। 'तकदीर का बादशाह' के प्रोड्यूसर किसी और को फिल्म में लेना चाहते थे। लेकिन मिथुन के चेहरे में मुझे एक स्टाइल और अलग सी कशिश देखी और प्रोड्यूसर पर उन्हें फिल्म में लेने का दबाव बनाया। फिर इस फिल्म के सेट पर हमारी अंडरस्टैंडिंग बनती गई।
'एडवेंचर ऑफ टार्जन' के पीछे की कहानी
'कसम पैदा करने वाले की' हमने घोषणा के तुरंत बाद शुरू कर दी थी। इस फिल्म के पूरा होने के बाद मैंने 'डांस-डांस' प्लान की थी। इस पर मिथुन बोले- 'गुरु आपने मुझे स्टार बनाया है। लेकिन मैंने काफी फिल्में साइन कर ली हैं तो मुझे 6-8 महीने का समय दीजिए। उसके बाद आप जो डेट चाहेंगे, वह मैं आपको दे दूंगा।'
मैंने कहा ठीक है। फिर मैंने सोचा कि ये 6-8 महीने क्या किया जाए? इस खाली समय का इस्तेमाल मैंने 'एडवेंचर ऑफ टार्जन' बनाने में किया। पहले लोग इसे सी-ग्रेड में बना चुके थे। लेकिन मैंने इसे अच्छे से A-ग्रेड में बनाने का फैसला लिया। मैंने इसे बहुत बड़े स्केल पर बनाया था, जो हिट भी हुई।
अमिताभ बच्चन के साथ क्यों नहीं कर सके काम
मैंने जिनके साथ भी काम किया, फिर चाहे शत्रुघ्न सिन्हा हों, विनोद खन्ना हों, हेमा मालिनी हों या फिर मिथुन चक्रवर्ती, वो लगभग सभी एक्टर्स आगे जाकर सांसद बनें। जिस वक्त मैंने अपनी फिल्में बनानी शुरू की, उस वक्त अमिताभ बच्चन राजनीति में चले गए थे। जब 1990 के बाद उन्होंने वापसी की तो बतौर एक्टर उनके साथ दिक्कत चल रही थी। इस गैप के चलते हमारा कॉम्बिनेशन नहीं बन पाया। हालांकि, मेरी बड़ी इच्छा थी और अभी है। अगर भगवान ने चाहा तो हम आगे साथ काम करेंगे।
आमिर की दखलंदाजी पसंद नहीं आई थी
आमिर के साथ मैंने 'लव लव लव' की थी। अगर उनका ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो वे ज्यादातर एक डायरेक्टर के साथ एक ही फिल्म करते हैं। उनके साथ दिक्कत यह थी कि वे दखलंदाजी बहुत करते थे। वह मुझे पसंद नहीं थी।
फिल्म की एक सीक्वेंस के मुताबिक, आमिर को शादी करनी थी और अपनी बीवी के लिए लड़ाई लड़नी थी। हमने इसे शूट भी कर लिया था। लेकिन आमिर इस बात के पीछे पड़ गए कि वे नए-नए हैं और उनकी इमेज लवर ब्वॉय की है। ऐसे में फिल्म में उन्हें शादीशुदा दिखाना सही नहीं है।
खैर, उनका अपना नजरिया था और इसकी वजह से फिल्म को कुछ नुकसान भी हुआ था। हालांकि, वे मेरी इज्जत बहुत करते हैं। जब हम चाइना में थे, जहां आमिर 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तां' को रिलीज करने गए थे। वहां डायरेक्टर्स की फोरम में मैं भी था। तब आमिर ने मेरे बारे में कहा था कि जब मुझे काम की बहुत जरूरत थी, तब सर ने मुझे तुरंत काम दे दिया था।
आगे की क्या प्लानिंग है
मेरे दिमाग में 'टार्जन' की रीमेक है। 'डिफेंडर' फिल्म मेरा बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है, जिस पर मैं काम कर रहा हूं। 'टार्जन' पर काम कर रहा हूं। इन्हें आने में अभी एक से दो साल का वक्त लग सकता है।
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