रविवार, 6 दिसंबर 2020

कड़ाके की सर्दी के बीच सड़कों पर गुजर रही रात, डॉक्टर्स मुफ्त कर रहे जांच और स्टूडेंट्स बांट रहे दवाइयां

सड़क पर चूल्हा जल रहा है, रोटी पक रही है, लोग पंगत में खा रहे हैं। बगल में दूध और चाय भी उबल रही है। नहाने के लिए पानी के टैंकर लगे हैं। मुफ्त में दवाइयां बांटी जा रही। इस बीच डॉक्टरों की टीम लगातार हेल्थ चेकअप भी करती जा रही है। ऊपर से स्कूली बच्चे और युवाओं की फौज, बुजुर्गों में जोश भर रही है...

ये दिल्ली की सड़कें हैं। और ये नजारा वहीं का है, जहां 10 दिन से किसान डेरा डाले हैं। उनकी तैयारी भी पूरी है और देश-दुनिया से हर तबके का समर्थन भी मिल रहा है। देखना ये है कि यह लड़ाई खत्म कब और किस मुहाने पर होती है। बहरहाल देखते हैं इसे तस्वीरों के सहारे...

आंदोलन सुलग रहा रोटी पक रही: किसान 10 दिनों से दिल्ली की सड़कों पर हैं। वे अपने साथ राशन लेकर आए हैं और यही खाना पका रहे हैं।
सड़क पर लंगर: किसान पीछे हटने के मूड में नहीं हैं, वे पूरी तैयारी के साथ आए हैं। सड़क पर बैठकर खाना खा रहे हैं और साथियों को खिला रहे हैं।
नो टेंशन, हम हैं न: किसानों की मदद के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां डॉक्टर्स आए हैं। वे किसानों का रेगुलर मुफ्त हेल्थ चेकअप कर रहे हैं।
अब तो यही घर है: किसानों की पूरी दिनचर्या सड़कों पर ही हो रही है। उन्होंने खुद के नहाने और कपड़े साफ करने की व्यवस्था भी सड़कों पर ही की है।
हैलो! हम साथ-साथ हैं: देश के दूसरे हिस्सों से भी किसानों को सपोर्ट मिल रहा है। NRI किसानों को फोन कर रहे हैं, उन्हें मदद का भरोसा दिला रहे हैं।
तुम प्रोटेस्ट करो, हम प्रमोट करेंगे: दिल्ली से आए भगत सिंह छात्र एकता मंच के युवा। ये किसानों के लिए बैनर-पोस्टर बनाने का काम कर रहे हैं।
सड़क पे डाला डेरा: आंदोलन में शामिल किसान सर्दी के बीच पूरी रात सड़कों पर ही गुजार रहे हैं। उन्होंने अपनी गाड़ियों को ही बिस्तर बना लिया है।
यहां हर चीज का इंतजाम है: दर्जन भर से ज्यादा हेल्थ कैंप हैं, जिनमें फार्मासिस्ट से लेकर डॉक्टर तक मौजूद हैं, यहां मुफ्त में दवाइयां बांटी जा रही हैं।
चलो प्यास बुझा लो: किसानों की प्यास बुझाने के लिए लोग मुफ्त में पानी की बॉटल बांट रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में युवा और छात्र शामिल हैं।
चलो कुछ खाते हैं: किसान आंदोलन में हर उम्र के लोग शामिल हैं। खासकर के स्कूली बच्चों की मौजूदगी किसानों में जोश भरने का काम कर रही है।
लो दर्द छू मंतर: आंदोलन करने वाले किसानों की तबीयत खराब होती है या उन्हें चोट लगती है तो तत्काल डॉक्टर उनकी मदद के लिए पहुंचते हैं।
सफाई भी जरूरी है: आंदोलन करने वाले किसान साफ-सफाई को लेकर भी सजग हैं। वे अपने घर की तरह ही सड़कों को साफ रख रहे हैं।

दूध पीते रहो, धरने पर डटे रहो: आंदोलन करने वाले किसानों के लिए दूध की भी व्यवस्था की गई है। इसके लिए कई संगठनों ने मदद की है।

चाय पे चर्चा और सेल्फी: आंदोलन में युवा और यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स भी शामिल हैं। वे सोशल मीडिया पर आंदोलन की तस्वीरों को पोस्ट करते हैं।


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किसानों के इस आंदोलन में बड़ी संख्या में छोटे बच्चे भी शामिल हैं, जो दिन में आंदोलन में रहते हैं और रात को पढ़ाई करते हैं।


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