पुणे की बारामती तहसील के मलड गांव के किसानों ने चुनौतियों को अवसर में बदल दिया। लॉकडाउन में जब हर तरह का व्यापार ठप था, तब यहां के किसानों ने सस्ती सब्जी और दूध के बिजनेस का नया मॉडल खड़ा कर कमाई दोगुनी कर ली।
इस इलाके के किसानों ने प्रशासन की मदद से ‘घर सेवा’ नाम से ऐप बनवाया, जिससे वे सीधे ग्राहकों तक सब्जी, दूध, अंडे पहुंचा रहे हैं। सिर्फ एक महीने में इनके साथ दस गांवों के 1500 किसान जुड़ चुके हैं।
'हमने तय किया कि सब्जियां कम दाम पर बेचेंगे, पर फेकेंगे नहीं'
किसान प्रशांत शिंदे बताते हैं कि बिचौलियों ने दूध-सब्जी के लिए आना बंद कर दिया था।ऐसे में हमने तय किया कि सब्जियां कम दाम पर बेचेंगे, पर फेकेंगे नहीं। हममें से कुछ लोग आसपास के अपार्टमेंट्स में गए और लोगों से पूछा कि क्या वे सब्जी लेंगे? शुरू में कम ऑर्डर मिले। जाे लोग तैयार हुए उन्हें हमने सब्जी की बास्केट देना शुरू की।
धीरे-धीरे लोग अनाज और दूध भी मांगने लगे। हमारे और ग्राहकों के बीच से बिचौलियों और व्यापारियों के हटने से हमारा मुनाफा दोगुना हो गया। अब यहां कुछ किसान एक दिन में 1 हजार से 4 हजार रुपए तक कमा रहे हैं। इतना ही नहीं बेहतरीन क्वालिटी की ऑर्गेनिक सब्जियों के चलते यहां के किसानों ने 1.6 टन सब्जियां ब्रिटेन भी भेजी हैं।इनमें भिंडी, हल्दी और ड्रम स्टिक (सहजन) है।
'सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद ब्रिटेन से ऑर्डर मिला'
इसके लिए पहले एक एक्सपोर्ट कंपनी के जरिए सैंपल ब्रिटेन भेजे थे। सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद ब्रिटेन से ऑर्डर मिला। बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. शाकिर अली बताते हैं, ‘हमने किसानों को सब्जी के 3 लाख पौधे दिए।हम सफल रहे, क्योंकि हमने पहले से तैयारी कर रखी थी।
गांव पहले से ही कई प्रयोग कर रहा है। यहां वनराजा नाम की देसी मुर्गी पाली जाती है, जो सामान्य मुर्गी से ज्यादा अंडे देती है। यहां कई देशों की तकनीकी मदद से इस पर रिसर्च प्रोजेक्ट्स भी चल रहे हैं। दुनिया की कई नामी कंपनियां यहां की उपज से बायोप्रोडक्ट्स तैयार करती हैं।
हर साल 15 हजार पर्यटक सब्जी उगाने की ट्रेनिंग लेने आते हैं। केवीके एग्रो एजुकेशन टूरिज्म प्रोग्राम शुरू करने जा रहा है, जिससे किसानों की कमाई बढ़ाई जा सके।
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