मद्रास वेस्ट एक्सचेंज देश का पहला ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो कूड़े-कचरे और कबाड़ के कारोबार के लिए शुरू किया गया है। 6 महीने पहले बने मद्रास वेस्ट एक्सचेंज (एमडब्ल्यूई) ने अब तक करीब 700 टन कचरे का कारोबार किया है। हाल ही में चेन्नई नगर निगम ने इसी एक्सचेंज से शहरी कूड़ा बेचकर तीन लाख रुपए की कमाई की है।
अब इसी मॉडल पर इंडिया वेस्ट एक्सचेंज लॉन्च करने की तैयारी है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय में स्मार्ट सिटी मिशन के निदेशक कुणाल कुमार ने बताया कि इसी मॉडल को विकसित करके वेस्ट एक्सचेंज का स्टेट और नेशनल प्लेटफॉर्म बनाने की तैयारी शुरू हो गई है।
स्मार्ट सिटी मिशन के फैलोशिप प्रोग्राम के तहत एक्सचेंज कोतैयार किया
इस एक्सचेंज को स्मार्ट सिटी मिशन के फैलोशिप प्रोग्राम के तहत अजगु पंडिया राजा व उनके साथी जिस्मी वर्गीज और पिंकी तनेजा ने तैयार किया है। अजगु बताते हैं, 'कबाड़ और कचरे की खरीद-फरोख्त के लिए वेबसाइट और मोबाइल ऐप तैयार किया गया है, जिसमें कोई भी व्यक्ति, संस्था, स्कूल, अस्पताल, मंदिर या कंपनी मुफ्त रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।'
एक्सचेंज को उम्मीद है कि सबकुछ सामान्य होने पर रजिस्ट्रेशन बढ़ेंगे
चेन्नई में अब तक 1100 से अधिक खरीदार और 900 विक्रेता जुड़ चुके हैं। एक्सचेंज को उम्मीद है कि सबकुछ सामान्य होने पर रजिस्ट्रेशन बढ़ेंगे। फिलहाल चेन्नई नगर निगम के मुताबिक, महानगर में करीब 4 हजार से अधिक कबाड़ी हैं। इनमें से करीब दो हजार ने रजिस्ट्रेशन में रुचि दिखाई है।
ईमेल के जरिए लोग विदेश से ऑर्डर कर सकते हैं: अजगु
अजगु ने कहा कि कबाड़ की कीमत क्या होगी, यह खरीदार व विक्रेता के बीच सौदेबाजी पर निर्भर करता है। ईमेल के जरिए लोग विदेश से ऑर्डर कर सकते हैं। रिसाइक्लिंग का धंधा करने वाले सुसाई कैनेडी बताते हैं कि मद्रास वेस्ट एक्सचेंज से हमारा काम काफी आसान हो गया है।
मद्रास वेस्ट एक्सचेंज के पहले काम का कचरा हासिल करने के लिए निगम के अंदर सही व्यक्ति को ढूढ़ना ही बेहद मुश्किल बात थी। हमें बस एक क्लिक पर पता चल जाता है कि कहां किस किस्म का कचरा कितनी दूरी पर और कितनी कीमत में उपलब्ध है।
मंदिरों से सूखे फूल ले रहे हैं
अजगु बताते हैं, 'मलेशिया की एक कंपनी सेे 100 टन नारियल के खोल की मांग आई। ओडिशा से भी 70 टन प्लास्टिक कचरे का ऑर्डर मिला। इसी तरह अगरबत्ती बनाने वाले कारोबारियों ने भी फूलों के कचरे की मांग की है। इसके लिए हम मंदिरों से बात कर रहे हैं ताकि वे रजिस्ट्रेशन कराएं और मंदिरों से निकला कचरा बेचकर पैसे कमाएं।'
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