कोरोना संक्रमण से बचाव के चलते लॉकडाउन लगने के बाद इंटरनेट के इस्तेमाल में तेजी आई। वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन एजुकेशन से लेकर यूट्यूब-वेब सीरीज के लिए इंटरनेट का काफी उपयोग हुआ। यहडेटा इंफोसिस लिमिटेड की रिसर्च ने जारी किया है। इसके अनुसार,राज्य के ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट का इस्तेमाल पहले के मुकाबले दोगुना रहा, जबकि शहरों में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं दूसरी तरफ आईआईएम इंदौरके दो प्रोफेसर ने लॉकडाउन की अवधि को लेकर भी एक सर्वे किया है। इस सर्वे में लॉकडाउन के दौरान विभिन्न कारणों से पनपे तनाव को शामिल किया गया है।पढ़ें दोनों रिपोर्ट....
रिपोर्ट 1: लॉकडाउन में रोज 18 हजार टीबी डेटा की खपत, ऑनलाइन स्टडी-वेबिनार का ट्रेंड
यह रिसर्च डेटा इंफोसिस लिमिटेड की है। कोरोना संक्रमण से बचाव के चलते लॉकडाउन लगने के बाद इंटरनेट के इस्तेमाल में बढ़ोतरी की बात सामने आई है।वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन एजुकेशन से लेकर यूट्यूब-वेब सीरीज के लिए इंटरनेट का काफी उपयोग हुआ। इस दौरान राज्य के ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट का इस्तेमाल पहले के मुकाबले दोगुना रहा, जबकि शहरों में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस दौरान लोगों ने इंटरनेट पर सबसे ज्यादा डेटा खर्च वेबिनार और वेब सीरीज के लिए किया। इंटरनेट पर कोरोना से जुड़े वीडियो भी काफी ट्रेंड में रहे। रिसर्च के मुताबिक अधिकतम 15 से 18 हजार टीबी डेटा प्रतिदिन लॉकडाउन के दौरान उपयोग किया।
राजस्थान में सब्स्क्राइबर की संख्या में औसतन 60 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई
कंपनी के फाउंडर अजय डाटा का कहना है कि देश भर में अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स के सब्स्क्राइबर की संख्या बढ़ी है। वहीं, राजस्थान में सब्स्क्राइबर की संख्या में औसतन 60 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई। इस दौरान आम दिनों के मुकाबले मोबाइल इंटरनेट का 10 फीसदी ज्यादा डेटा का उपयोग किया गया। जबकि घरों में रहने के चलते लोगों ने ब्रॉडबैंड कनेक्शन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया। प्रदेश भर में इंटरनेट की खपत में औसतन 50-60 फीसदी ब्रॉडबैंड और 40 फीसदी तक मोबाइल इंटरनेट उपयोग में लिया गया।
वर्क फ्रॉम होम और वर्चुअल मीटिंग्स के लिएज्यादा नेट का इस्तेमाल
वर्क फ्रॉम होम के चलते ऑफिस मीटिंग की जगह वर्चुअल मीटिंग्स ने ली। इसके चलते भी इंटरनेट में इस्तेमाल में काफी इजाफा हुआ। रिसर्च बताती है कि वर्क फ्रॉम होम के चलते ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल भी काफी बढ़ा है। स्कूल-कॉलेज बन्द होने से भी स्टूडेंट्स अब ऑनलाइन एजुकेशन में डेटा का इस्तेमाल तेजी से कर रहे हैं। ऑनलाइन स्टडी, लाइव क्लासेज, यू ट्यूब लेक्चर और ई-कंटेंट के जरिए पढ़ाई होने से भी आम दिनों की तुलना में लॉकडाउन के बाद से भी काफी इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट-2:लॉकडाउन में एकल के मुकाबले संयुक्त परिवारों में तनाव कम
आईआईएम इंदौर के प्रोफेसर जतिन पांडे और कर्नल गुरुराज गोपिनाथ पामिड़ी ने लॉकडाउन की अवधि में कई लोगों पर एक सर्वे किया। विभिन्न पहलुओं पर हुए इस सर्वे में लॉकडाउन के कारण हुए तनाव को भी शामिल किया। सर्वे की रिपोर्ट में पाया गया है कि लॉकडाउन का समय जिन परिवारों ने साथ रहकर गुजारा। दादा-दादी, बेटा-बेटी, पोता-पोती ने आपस में हंसने और खुश रहने की भावनाओं को साझा किया, उनमें एकल परिवारों के मुकाबले तनाव का स्तर कम था।
ऐसे परिवारों में माता-पिता द्वारा महसूस किए तनाव का असर बच्चों पर नहीं दिखा। एक से अधिक बच्चों वाले माता-पिता भी एक बच्चों वाले माता-पिता के मुकाबले कम तनावग्रस्त पाए गए। जिन दंपतियों में आपसी तालमेल बेहतर था उनमें महिला या पुरुष किसी को भी लॉकडाउन का तनाव नहीं हुआ। हर उम्र के जोड़ों पर यह बात लागू हुई।
देशभर में 150 करोड़ की हुई ऑनलाइन एजुकेशन इंडस्ट्री, 95 लाख छात्र जुड़े
साल की शुरुआत से अब तक देश में ऑनलाइन एजुकेशन का टर्नओवर 150 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। जनवरी से जून तक देश में कुल 95 लाख नए छात्र ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़े हैं। ऑनलाइन शिक्षा में आई इस तेजी का बड़ा कारण लॉकडाउन है, जिसने शिक्षा क्षेत्र को बुरी तरह से प्रभावित किया है। आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय और प्रो. प्रशांत सालवान की रिसर्च में ये आंकड़े सामने आए हैं।
रिसर्च में आईआईटी, एनआईटी के साथ टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम (टीईक्यूआईपी) से जुड़े एमएचआरडी के इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेज भी शामिल थे। रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन एजुकेशन और बढ़ेगी। इससे देश में ग्रेजुएट्स की संख्या और उच्च शिक्षा में नामांकन करवाने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा होगा।
रिसर्च में शामिल देश के 82% इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट संस्थानों का मानना है ऑनलाइन पढ़ाई से छात्रों को सरकारी कॉलेज में 33% और निजी कॉलेजों में 16% तक कम फीस चुकाना होगी। प्रोग्राम फीस भी 15 से 22% तक कम होगी। पढ़ाई के साथ इंटर्नशिप से छात्रों को दोगुना फायदा होगा। रिसर्च के दौरान 82% संस्थानों ने ई-लर्निंग को किफायती बताया। वहीं 78% के कहा सकल नामांकन अनुपात बढ़ेगा। 58% ने माना कि छात्र पढ़ाई के साथ पार्टटाइम जॉब या इंडस्ट्रियल असाइनमेंट ले सकते हैं।
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