सोमवार, 8 जून 2020

आपकी हर सोच सही होगी, व्यवहार सही होगा और आप जो कर रहे हैं, उससे लोगों की शक्ति बढ़ेगी तो यह भी सेवा होगी

हम आत्मा को एक बैटरी की तरह देखते हैं। जब यह बैटरी पूरी चार्ज होती है तो शांति, प्रेम, खुशी, ये सब नॉर्मल होता है। इसे हम स्प्रीचुअल हेल्थ यानी आध्यात्मिक स्वास्थ्य कहते हैं। लेकिन, जब ये बैटरी डिस्चार्ज होती है तो तनाव, चिंता, अस्वीकार होने, दुखी या निराश होने, जलन आदि जैसी भावनाएं आती हैं। हम सब समझते हैं कि कुछ चीजें हासिल करने या बाहरी दुनिया में कोई सफलता पाने से हमें खुशी, संतुष्टी मिलेगी।

हम जीवन को देखें तो लॉकडाउन से पहले हम सब भाग रहे थे, अधिक से अधिक प्राप्त करने के लिए। जीवन जीने के लिए जो चाहिए था वो पा ही लिया था। अभी हम और पाने के सफर पर थे। इतना कुछ पा लिया, फिर भी संतोष, स्थिरता, वो अनुभूति नहीं हो रही थी। बाहर इतना कुछ पाने के बावजूद आत्मा की शक्ति नहीं बढ़ी थी। क्योंकि बाहर की चीजों का आंतरिक शक्ति से कनेक्शन नहीं है।

लेकिन पिछले दो महीने से न किसी बच्चे ने परीक्षा दी, न कोई पास हुआ, न किसी की सैलरी बढ़ी, न प्रमोशन मिला, न नया मकान, नई गाड़ी खरीदी, नई ड्रेस तक नहीं ली। यानी पिछले दो महीने में हमने बाहर से कुछ भी हासिल नहीं किया। लेकिन इन दो महीनों में हम सबने अपनी-अपनी तरह से सेवा की है। मतलब पिछले दो महीने से हम प्राप्त करने की दिशा में नहीं, देने की दिशा में हैंं।

सेवा मतलब शक्ति देना। हरेक ने कहा कि सेवा करते हुए मुझे बड़ा सुकून और सुख मिला है। इन दो महीनों में हमने कुछ नहीं पाया, सिर्फ दिया है, वह भी अपने सीमित साधनों से। जितना धन था उसमें से दिया। घर में जितना भोजन था उसमें से दिया। जितना समय था उसमें सिर्फ अपने घर-परिवार का ध्यान नहीं रखा बल्कि औरों के लिए भी समय निकालकर उनके लिए खाना बनाया।

डॉक्टर, नर्सेस, पुलिस, एडमिनिस्ट्रेटर हैं, वे तो अपना जीवन ही दाव पर लगाकर सेवा कर रहे हैं। देते हुए सबको सुकून, शांति और शक्ति महसूस हो रही है। क्योंकि देने से आत्मा की आंतरिक शक्ति बढ़ रही है। जब हम देना शुरू करते हैं तो हम अपने नैचुरल स्वभाव में आ जाते हैं। इसी तरह जब हम देवी-देवताओं की मूर्ति देखते हैं, उनके चित्र देखते हैं तो उनके दोनों हाथ हमेशा देते हुए दिखाई देते हैं।

वे आशीर्वाद दे रहे हैं, कोई देवी विद्या दे रही हैं, कोई धन दे रही हैं, कोई शक्ति दे रही हैं। इसीलिए उनको देवी-देवता कहते हैं। देवी-देवताओं के लिए कहते हैं- सोलह कला सम्पूर्ण मतलब आत्मा की बैटरी पूरी तरह से चार्ज है। ये लॉकडाउन और कोरोना ने हमें एक बात तो सिखाई है किसेवा करने से बड़ा सुकून मिलता है।

सेवा से आत्मा की शक्ति बढ़ती है। लोग पहले भी सेवा करते थे लेकिन इस समय हम मिलकर सेवा कर रहे हैं। तन, मन, धन से सेवा कर रहे हैं। सेवा मतलब देना। इससे एक-दूसरे के प्रति प्यार बढ़ गया है। सब एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। कितना कुछ हमने सीख लिया पिछले दो महीने मेंं। अब जब हम वापस अपनी नॉर्मल लाइफ में जाएंगे तो सिर्फ इन शब्दों को साथ लेकर जाएंगे कि लेने में नहीं बल्कि देने में शक्ति है।

देने में प्यार है, एकता है, सहयोग है। इससे जीवन जीने का तरीका बिल्कुल बदल जाएगा। सेवा एक शक्ति है मतलब जितना हम सेवा करते जाएंगे, हम उतना देंगे। इसका मतलब ये नहीं है कि हम जॉब करेंगे, बिजनेस करेंगे। वो तो हम कमाने के लिए जा रहे हैं। कमाने के लिए जाना है लेकिन हमारा उद्देश्य देने की दिशा में होना चाहिए कि हम सुख देने के लिए ऑफिस जाते हैं, हम समाज को सुख, आराम देने के लिए बिजनेस करते हैं।

यह सेवा कैसे होगी? अगर आपकी हर सोच सही होगी, सभी से व्यवहार सही होगा और आप जो काम कर रहे हैं, उससे लोगों की शक्ति बढ़ेगी, तो यह सेवा होगी। आप जो प्रोडक्ट बना रहे हैं, जो चीज आप समाज को दे रहे हैं, वह समाज के लिए एक उपहार होना चाहिए। वह प्रोडक्ट चाहे एक फिल्म हो, एक विज्ञापन, एक गीत हो, सर्विस हो या फिर कोई और प्रोडक्ट हो, जब वह समाज को मिले तो उससे समाज की उन्नति होनी चाहिए। उन्नति मतलब उनकी आत्मा की शक्ति बढ़नी चाहिए।

कोई ऐसा प्रोडक्ट नहीं बनाना जिससे समाज की शक्ति घटती हो। फिर उसको सेवा कैसे कहेंगे। इस समय हम जो सेवा कर रहे हैं उससे समाज संभाल रहा है। कुछ ऐसा तो नहीं ही करेंगे जिससे सेहत का, सुख का, एकता का उल्टा हो जाए। यह सेवा नहीं है। सेवा का मतलब है देने की शक्ति। हमें देना है। देना तो हमारा स्वाभाविक स्वरूप है। सिर्फ ध्यान रखना है कि मन से भी हम दे रहे हैं, मतलब हर एक के लिए हमारी हर सोच बहुत शुभ है। हमारा हर शब्द सभी को सुख देता है।

हमारा हर कर्म हर एक का कल्याण करता है। फिर हम थोड़े दिन के लिए सेवा करने वाले नहीं हैं। हम जीवन के हर क्षण में सेवा पर ही हैं। हम जितनी ज्यादा सेवा करेंगे, उतनी हमारी आत्मा की भी शक्ति बढ़ती जाएगी और हमारे कर्मों से औरों की भी शक्ति बढ़ती जाएगी। इसीलिए सेवा को शक्ति और आध्यात्निक शक्ति कहा जाता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Our good thinking for all is also a service that increases the power of the soul


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2YebS5t
https://ift.tt/3gYnDWx

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt, please let me know.

Popular Post