मंगलवार, 16 जून 2020

ओयो फाउंडर रितेश अग्रवाल बोले- कोविड-19 ने जिन्दगी का सबसे बुरा दिन दिखाया, किसी दुश्मन के साथ भी ऐसा न हो

19 साल की उम्र में कारोबार शुरू किया और 26 साल की उम्र में ग्लोबल आइकन बन गए। हम बात कर रहे हैं ओयो के फाउंडर रितेश अग्रवाल की। हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट 2020 के मुताबिक, वे विश्व के दूसरे सबसे युवा सेल्फ मेड बिलिनेयर हैं। रितेश कॉलेज ड्रॉपआउट हैं।

1 लाख डॉलर का पीटर थाइल फेलोशिप मिलने के बाद 2013 में उन्होंने ओयो की शुरुआत की थी। कोविड-19 और मंदी के बीच ओयो का कारोबार कैसा चल रहा है?और ओयो आगे क्या रणनीति अपनाएगी?इस पर दैनिक भास्कर ने रितेश अग्रवाल से बात की।

ओयो का बिजनेस क्या है? इसकी शुरुआत के समय आपके दिमाग में क्या विचार थे?

हमने देखा दुनियाभर में हजारों छोटे-छोटे होटल्स लंबे समय से हैं। समस्याएं कई थीं। कीमत ऐसी होती है,जहां पर कंज्यूमर को बजट में सर्विस नहीं मिल पाती हैऔर यदि सर्विस है तो सेवाएं काफी खराब होती हैं। हमारे देश में भी ऐसे कई होटल्स हैं। इसी को लेकर हमने ओयो को बनाया, जिससे छोटे-छोटे होटल हमारे साथ जुड़ें, उनकोज्यादाकाम लाकर दे सकें। हमने होटल बुकिंग को एकदम आसान बना दिया, अगर आप ओयो की ऐप देखेंगे तो सिर्फ दो बटन दबाने से आपकी होटल बुक हो जाती है।

ओयो को आगे बढ़ाने और दूसरों से अलग करने के लिए आपने क्या रणनीति अपनाई थी?

जब हम अपना काम शुरू कर रहे थे, तब हमने सोचा की मार्केटिंग के लिए बजट तो है नहीं। ऐसे में टॉप-5 होटल में आने के लिए हम क्या करें। तो हमने सबसे पहली चीज सीखी कि होटल की फोटो हाई क्वालिटी की होनी चाहिए और मार्केटिंग सही हो। सबसे पहले हमने छोटे होटल में 4 से 5 हजार रुपए प्रति रूम का खर्च कर उनको बेहतर किया। हमने लाइट बदले, कार्पेट बिछाए, साथ ही होटल के स्टाफ की 30 प्रतिशत सैलेरी को कस्टमर की रेटिंग से जोड़ दिया।

रेटिंग अच्छी आती है तो कस्टमर्स ज्यादा आते हैं। हमारे पार्टनर हमसे कई चीजीं की उम्मीद करते हैं। पहला, हम उन्हें काम लाकर दें। दूसरा, जो थर्ड पार्टी ऐप जैसे गोआईबीबो या अन्य ऐप पर भी कैसे काम को बढ़ा सकें? तीसरा, पार्टनर को हमारी तकनीक पर भरोसा होता है, क्योंकि इससे वो अपनी चेक इन और चेक आउट प्रोसेस को आसानी से कर सकता है।

ओयो अपनी बिजनेस रणनीति कैसे बनाती है? किन लोगों को ध्यान में रखा जाता है?

आपने देखा होगा कि ओयो के बारे में अधिकतर डिस्कशन इनवेस्टमेंटऔर बिजनेस के बारे में होता है। हमारे बिजनेस का बहुत बड़ा हिस्सा हमारे कस्टमर, पार्टनर, एम्पलाई से जुड़ा हुआ है। कस्टमर एक्सपीरियंस बेहतर बनाने के लिए 2019 में ओयो ने दुनियाभर में लगभग 4.5 से 5 करोड़ कस्टमर्स को सर्व किया। भारत में 18 हजार होटल और छोटे-छोटे ओयो होम्स के पार्टनर्स का सर्वे किया। हमने कई चीजें बेहतर की और कई चीजें अभी भी इम्प्रूव करने लायक है, उन पर हम लगातार काम कर रहे हैं।

ओयो अच्छी जगहों पर सेंकेड होम्स को कस्टमर्स तक आसानी से लाता है। इस कारण, पिछले 1 साल में ओयो के साथ करीब 4.5 करोड़ कस्टमर्स जुड़े। मौजूदा समय में हमारे साथ 43 हजार होटल, 50 हजार होम जुड़े हुए हैं। इतनी तेजी से हम आगे बढ़ने में सफल हुए हैं तो उसके पीछे केवल हमारे इनवेस्टर्स, मैनेजमेंट, बिजनेस ही नहीं है, बल्कि कंज्यूमर्स और पार्टनर्स ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हाल के समय में होटल और एसोसिएशन की तरफ से पेमेंट को लेकर विवाद हुए हैं,इस पर आपका क्या कहना है?

कस्टमर को अच्छी सर्विस देने के लिए ओयो ने पॉलिसी बनाई है, जो हर एक पार्टनर को मुहैया कराई जाती है। ऐसे में यदि किसी होटल वाले ने पॉलिसी पढ़ी नहीं या फिर उसे समझ नहीं आई, तो उनका कहना होता है कि आपने फाइन के जो पैसे काटे हैं वो अनफेयर है। ऐसे में वो दोनों तरफ से विवाद बन जाता है।

इसके लिए हमने तीन चीजें बेहतर की हैं। डील से जुड़ी चीजों को सरल बनाया गया। अपने पार्टनर्स से पॉलिसी को समझाने के लिए अकाउंट मैनेजर्स की एक टीम बनाई गई है।पहले हम किसी पॉलिसी में 30 से 45 दिन की गाइडलाइन देते थे। अब किसी किसी पार्टनर को कोई आपत्ति हो तो वो अपने नोटिस पीरियड पर छोड़ सकता है। यानी नई पॉलिसी उसके लिए इम्पीमेंट नहीं होगी।

होटल में आने वाले कस्टमर्स को अच्छी सुविधाएं देने के लिए ओयो अपने पार्टनर्स को कैसे तैयार कर रही है?

कोविड के वक्त में हमने अपने पार्टनर्स को फीस में 24 करोड़ की छूट दी है, ताकि वे उससे वे अपने होटल को कोविड के हिसाब से तैयार कर सकें। बस इसमें एक ही कंडीशन है कि आपका होटल खुलना चाहिए, यानी पैसे कंज्यूमर के ऊपर खर्च करें अपने ऊपर नहीं। ट्रेनिंग और सैनिटाइजेशन पर खास ध्यान दे रहे हैं।

कोविड-19 से ग्राहकों के बचाव के लिए ओयो ने क्या तैयारी की है?

कंज्यूमर्स का सेफ्टी व सुरक्षा के लिए हमने 'सैनिटाइज्ड स्टे' की पहल शुरू की है। दुनियाभर में हमने फिर चाहे वह अमेरिका हो, चीन हो, ब्राजील हो, मैक्सिको हो या यूरोप हर जगह हमने 'सैनिटाइज्ड स्टे' को लेकर काम किया है। इसमें हमने कई प्वाइंट पर काम किया है-

  • सुरक्षा योजना पर काम कर रहे हैं, ताकि कंज्यूमर का ओयो पर ट्रस्ट बना रहे।
  • होटल के अंदर एंट्री करने पर बैग सैनिटाइज होतेहैं।
  • होटल के बाहर सिक्योरिटी गार्ड द्वारा तापमान जांचना अनिवार्य।
  • सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करने के लिए सर्कल बनाएगए हैं।
  • डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • एलिवेटर का बटन और रूम डोर लाॅक को हर दो घंटे में सैनिटाइज किया जा रहा है।
  • बेडरूम के अंदर टचेबल प्लेस पर छोटे-छोटे स्टीकर्स लगाए जा रहे हैं, जो कि यह सुनिश्चित करता है कि इसे सैनिटाइज किया जा चुका है।
  • कैंसिलेशन प्रोसेस को फ्लेक्सिबल किया जा रहा है। ताकि बुकिंग से पहले कंज्यूमर को होटल व रूम के बारे में पूरी जानकारी मिल सके।

होटलों में कई बार ग्राहकों को बुरे अनुभव से गुजरना पड़ता है। इसको सुधारने के लिए ओयो क्या कर रही है?

ग्राहकों को परेशानी से बचाने के लिए पार्टनर्स को लगातार ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा भी कदम उठाए जाते हैं।कंज्यूमर को चेक-इन के समय बुरेअनुभव से न गुजरना पड़े इसके लिए कदम उठाए हैं। पहला, कस्टमर को जिस होटल में दो बार से ज्यादा बुरा अनुभव से गुजरना पड़ा है, उसे हम अपने लिस्ट से हटा देंगे। वापस लिस्ट में शामिल होने के लिए होटल को कठिन प्रक्रिया से गुजरना होगा।

कंज्यूमर को एप पर एक नई सुविधा मिलने वाली है। चेक-इन एक्पीरियंस कोड को शामिल किया जा रहा है। इसमें वे देख पाएंगे कि पिछले छह माह में होटल का हिस्ट्री कैसा रहा है। हम 400-450 शहरों में ही काम करेंगे, लेकिन क्वालिटी के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं।

कोविड-19 और मंदी ने बहुत बुरे दिन ला दिए हैं। अधिकतर कंपनियां कर्मचारियों को निकाल रही हैं। ओयो में क्या स्थिति है?

यह समय मेरे अब तक के करियर में सबसे मुश्किल रहा है। यहां मेरे पास सारे ही बैड च्वाइसेस ही थे और उनमें से ही किसी एक को सिलेक्ट करना था। मैं किसी भी कर्मचारी को नौकरी से हटाने के पक्ष में नहीं रहता हूं। मैंने मौजूदा संकट के समय भी कर्मचारी की छंटनी नहीं बल्कि furlough (थोड़े दिन की छुट्टी) पर भेजा गया है। यानी सैलरी में कुछ फीसदी की कटौती और कर्मचारियों को लिमिटेड बेनिफिट्स के साथ छुट्टी पर भी भेजने का फैसला लिया।

छुट्टी पर जाने वाले कर्मचारी को मेडिकल इंश्योरेंस और पैटर्नल इंश्योरेंस, स्कूल फीस रिम्बर्समेंट की सुविधा दी गई है। फरलाॅकर्मचारी के साथ जुड़ा हुआ है, लगातार उनसे बात होती रहती है।

ऐसे कर्मचारियों की मदद के लिए कंपनी और क्या कर रही है?

ओयो में हम कुछ furlough कर्मचारियों को बिजनेस शुरू करने में मदद कर रहे हैं। कुछकर्मचारी ऐसे भी हैं जो कि अपना खुद का बिजनेस/स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए हमने खुद एंटरप्रिन्योरशिप एक्सक्लेरेशन शुरू किया है। जिसमें furloughed OYOpreneurs कोवेंचर कैपिटल के जरिए मेंटर कर सकें।कुछ ऐसे भी कर्मचारी हैं जो कि अब हाॅस्पिटैलिटी सेक्टर में नहीं रहना चाहते हैं, वे अन्य सेक्टर में जाॅब करना चाहते हैं, उनके लिए हमने अपनी एचआर टीम में प्लेसमेंट सपोर्ट को तैयार किया है, ताकि उन्हें फुल टाइम जाॅब में मदद मिल सकें।

हाल ही में प्रधाममंत्री ने 'आत्मनिर्भर भारत' की बात कही थी, इस दिशा में ओयो क्या कोई काम कर रही है?

आत्मनिर्भर भारत हो या वोकल टू लोकल। आने वाले समय में हरजगह भारतीय ब्रैंड का दबदबा रहेगा। जैसे आज हम स्वच्छता तो लेकर सचेत हो गए हैं, इधर-उधर कचरा देख कर आज हमारा दिल कचोटता है। वैसे ही, आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर भारत और लोकल टू वोकल का भी ऐसा ही असर देखने को मिलेगा।

मेरे एक जानकार बताते हैं कि भारत में अगर आप 30वें पायदान वाले शहर में जाते हैं तो वहां आपको स्विट्जरलैंड या किसी बड़े देश की कोई न कोई कैंडी या चाॅकलेट जरूर मिलेगी। वहीं अगर आप स्विट्जरलैंड के तीसरे पायदान वाले शहर में जाएंगे तो शायद एक एक भी भारतीय ब्रांड आपको नहीं मलेगा। लेकिन आपको वहां ओयो उपस्थित मिलेगा।

मुझे याद है तीन साल पहले जब मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ 'स्टार्टअप इंडिया' कार्यक्रम में था और उन्होंने कहा था जब भी मैं रितेश को सुनता हूं तो सोचता हूं एक चायवाले ने होटल चेन का बिजनेस क्यों नहीं शुरू किया। मैंने उसी दिन कहा था कि मेरा यह लाॅन्ग टर्म गोल है कि हम "डिजाइन इन इंडिया, मेड फॉर वर्ल्ड'' की तरह बिजनेस को क्रिएट करें। शुरूआत में हम सीमित थे, धीरे-धीरे हम ग्लोबल ब्रांड बनते गए। हमारी कोशिश रहेगी कि हम इसी रास्ते पर आगे बढ़ते रहें।

ओयो ने अपने डायरेक्टर्स लेवल में बड़ा बदलाव किया है,हाॅस्पिटैलिटी सेक्टर से बाहर के लोगों को हायर किया है। इसके पीछे क्या वजह है?

इसे दो तरह से देखना चाहिए। फॉर्चून 500 या दुनिया की किसी भी बड़ी कंपनी की बात करें तो आप देखेंगे कि उन सारी बड़ी कंपनियों का बोर्ड बहुत ही अच्छा होता है। हाई क्वालिटी ग्लोबल बोर्ड होता है साथ ही कंपनी मैनेजमेंट को काफी कुछ सीखने को मिलता है।

कंपनी और बेहतर होगी तो लाॅन्ग टर्म में फाफी फायदा मिलेगा। कोविड-19 के कारण आईपीओ पर अभी कुछ भी कह पाना संभव नहीं है। लेकिन हां अगर ऐसा कुछ प्लान होता है तो हम जरूर शेयर करेंगे।

कोविड-19 के कारण हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे?

कोविड-19 के कारण बिजनेस हाउसों को अपने व्यापार के बारे में फिर से सोचना होगा। बिजनेस आगे कैसे बढ़ेगा, इस पर टीम को रणनीति बनानी होगी। कम कीमतें सबसे बड़ा मुद्दा होगा। हाइजीन चिंता का विषय बना रहेगा। ह्यूमन टच मिनिमम हो जाएगा। ग्राहक प्लान में लचीलापन चाहेंगे। घरेलू टूरिस्ट की संख्या में ज्यादा इजाफा होगा।

कोविड-19 और ऐसे मंदी के समय क्या स्टार्टअप शुरू करना ठीक रहेगा?

बिल्कुल,मेरे हिसाब से यह सबसे अच्छा समय है। स्टार्टअप शुरू करने के लिए इससे अच्छा मौका नहीं होगा। इस समय पूरी दुनिया में एक बदलाव देखा जा रहा है। आप देखते होंगे इंटरनेट ट्रैफिक में भारी इजाफा हुआ है। वीडियो के लाइक्स व व्यूज बढ़ गए हैं। होटल इंडस्ट्री की बात की जाए तो अभी वेकेशन होम की तरफ ज्यादा फोकस है। हमारा मानना है कि जब सब कुछ बदल रहा है तो पुरानी कंपनी को अडॉप्ट करने का च्वाॅइस रहेगा या फिर नई कंपनियों के पास अडोप्टेशन शुरू करने का च्वाॅइस रहेगा।

रितेश अग्रवाल कौन है? ...

(आपने यह बहुत मुश्किल सवाल किया है) जब भी मैं अपने बारे में सोचता हूं। मैं अपने आपको बरसाती की तरह देखता हूं। मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुकरखता हूं और हमारा परिवार तब ओडिशा के छोटे से शहर में रहता था। मैं लोगों के प्यार, सपोर्ट और एनर्जी से यहां पहुंचा हूं।

जिस समय मैं दिल्ली में रहा था। मैंने रेलवे स्टेशन के पास ऐसे लोगों को देखा था, जिन्हें मजबूरी में अधिक किराया देकर होटल का रूम लेना पड़ता था। मैंने कई होटल देखें और फिर सोचा क्यों न होटल इंडस्ट्री के अंदर बदलाव लाया जाए। मैं भविष्य में जितना हो सकते अपने ग्राहक की सुविधा के लिए काम करूंगा।

भास्कर के बारे में...?

हमने बचपन से भास्कर की पब्लिकेशन देखी है। एक हाथ में चाय का कप और एक हाथ में पब्लिकेशन देखा है। उसे इन्फॉर्मेशन का रिलायबल सोर्स माना है। आपको हमारी शुभकामनाएं।



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