मंगलवार, 16 जून 2020

किसी ने बेटे की शादी के लिए जमा किए 20 लाख रु. सैनिटाइजेशन में खर्च कर दिए तो कोई मजदूरों को घर भेजने में जुट गया 

कोरोनावायरस महामारी के बीच तपती सड़क पर कभी नंगे पांव चलते श्रमिक तो कभी बेटे को सूटकेस पर औंधे मुंह लिटाए एक मां की दिल को झकझोरने वालीतस्वीरसामने आई। इनकी मदद के लिए तमाम लोगों ने अपने कदम भी बढ़ाए। उनमें से अंबेडकरनगर के रहने वाले धर्मवीर सिंह बग्गा और गोंडा के हाफिज मलिक भी एक हैं। दोनों अपने स्तर से लोगों की मदद कर रहे हैं। एक रिपोर्ट...

कहानी-01:पति के जुनून में पत्नी ने दिया साथ, बेटे की शादी के लिए बचाए पैसों से गरीबों की मददकी

अंबेडकरनगर जिले में किछौछा शरीफ दरगाह कौमी एकता के लिए मशहूर है। लेकिन इन दिनों यहां रहने वाले धर्मवीर सिंह बग्गा की हर जुबान पर चर्चाहै। बग्गा काफी दिनों से समाजसेवा करते आ रहे हैं। लेकिन, कोरोना काल में धर्मवीर ने खुद की जमा पूंजी से सरकारी गाड़ियों को सैनिटाइज करना शुरू किया।

धर्मवीर का हौसला देख उनकी पत्नी भी उनके मिशन में शामिल हो गईं। उन्होंने बेटे की शादी के लिए बचाए 22 लाख रुपये धर्मवीर बग्गा को दे दिए। बग्गा अभी तक 520 गांव में 1 लाख 10 हजार से ज्यादा हैंड सैनिटाइजर की बोतल बांट चुके हैं। अभी तक इस मिशन में उनके 30 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।

अपने परिवार के साथ धर्मवीर सिंह बग्गा।

धर्मवीर बग्गा बताते हैं कि मेरे पास ऊपर वाले का दिया सब कुछ है। हमारा एक पेट्रोल पंप है और भी छोटा मोटा बिजनेस है। इसे अब मेरा बेटा अंकित संभालता है। धर्मवीर की 2 बेटियां भी हैं। वह बताते हैं कि 2003 में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे विशाल वर्मा का मैं चुनाव प्रभारी था। इस दौरान वोट के लिए गांव-गांव भटकना पड़ता था। एक बार मैं एक गांव के प्रधान के साथ था तो सामने के घर से एक दंपत्ति के लड़ाई झगड़े की आवाजें आ रही थी। जब रहा न गया तो मैं घर में गया और लड़ाई का कारण पूछा तो पता चला कि उनकी बेटी है और उसकी शादी के पैसे नही थे उनके पास।

धर्मवीरअब तक 900 गरीब बेटियों की शादी कर चुके

मैंने उनसे पूछा कितना लगेगा तो उन्होंने बताया कि 3500 में शादी हो जाएगी। तब मैंने सोचा क्या इतनी गरीबी है कि इतने रुपए भी लोग नहीं जुटा पा रहे हैं। मैंने उन्हें 3500 रुपए दिए और घर चला आया। पत्नी हरनीत कौर से बात की फिर हमने गरीब बच्चियों की शादी कराने का निर्णय लिया। अब तक सामूहिक विवाह कार्यक्रम के तहत अपने खर्च पर हमने 900 बेटियों की शादी की है।

सैनिटाइजेशन टीम के साथ धर्मवीर सिंह बग्गा (लाल पीपीई किट में)।

धर्मवीर बताते हैं कि 2007 में पैसे का अभाव था, इसलिए सामूहिक विवाह में कुछ अड़चनें आ रही थी तो पत्नी ने मुझसे पूछा क्या है? आज आप मायूस हैं तो मैंने कहा कुछ नहीं। कई बार जोर देने के बाद बताया कि इस बार शादी में पैसे की दिक्कत आ रही है तो पत्नी बोली मैं खाना ला रही हूं। आप खाना खा लीजिए उससे दूर हो जाएगी।

खाने के साथ मेरी पत्नी मेरी बेटियों की 60-60 हजार की दो एफडीआर लेकर आईं और बोली कि इसे तुड़वाकर शादी कराइए।उन्होंने बताया कि मेरे मना करने के बावजूद वह नहीं मानी और बोला कि वह भी तो किसी की बेटी हैं। कभी अपने ऊपर भी परेशानी आ सकती है।

कोरोना संकट में दो लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया

बग्गा ने बताया कि वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार भी करते हैं। कोरोना संकट के बीच भी उन्होंने 2 शवों का अंतिम संस्कार किया है। जबकि उनके परिवार के लोग नदारद रहे। यही नही बग्गा फूड बैंक भी चलाते हैं।

लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते धर्मवीर सिंह बग्गा।

कहानी-02: भाई के कहने पर मुंबई से ट्रेन से भेज रहे हैं प्रवासी मजदूरों को, अब तक 6000 की हुई मदद

देश भर में जब लॉकडाउन हुआ तो किसी ने नही सोचा था कि प्रवासी मजदूरों के इतने बुरे हालात होंगे। ऐसे में संवेदनशील व्यक्ति भी मदद के लिए सामने आए। मुंबई से सबसे ज्यादा चर्चा एक्टर सोनू सूद की रही। वहीं, ऐसे भी कुछ लोग रहे जो बगैर चर्चा ही मजदूरों को उनके घर भेजते रहे। उन्ही लोगों में शामिल हैं, यूपी के गोंडा के रहने वाले हाफिज मलिक।

हाफिज मलिक ने मजदूरों को राशन और सैनिटाइजर भी उपलब्ध कराए।

हाफिज बताते हैं कि मेरे बड़े भाई अब्दुल कलाम मलिक गोंडा के गौरा विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं। हम लोग वहीं के रहने वाले भी हैं। जब मजदूरों को समस्या आई तो स्थानीय लोगों ने भाई से संपर्क किया। मैं मुंबई में ही अपना बिजनेस करता हूं। भाई ने मुझे कहा कि आसपास रहने वाले मजदूरों का ध्यान रखो। कोई भूखा न रहे।

मैंने मजदूरों को खाना खिलाना, राशन किट, सैनिटाइजर और मास्क बांटना शुरू किया। फिर मैंने फेसबुक पर मैसेज डाला कि जो कोई गोंडा या आसपास के इलाकों में अपने घर जाना चाहता है तो वह मुझसे संपर्क कर सकता है। मैंने अपना नम्बर भी डाला। लोगों ने मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनका आधार कार्ड लेकर उनको भेजने की व्यवस्था की।

अपनी टीम के साथ हाफिज मलिक (नीले कुर्ते में)।

हफीज के मुताबिक जब ट्रेन चलनी शुरू हुई तो जितने लोगों की व्यवस्था बनती गई उन्हें भेजता गया।23 मई को तकरीबन 800 लोगों को भेजा। इसी तरह 26 मई की ट्रेन से भी बड़ी संख्या में मजदूरों को भेजा। इसके अलावा प्राइवेट बसों से भी लोगों को यूपी पहुंचाया। हालांकि घर भेजने में मैंने किसी से कोई भेदभाव नही किया।

गोंडा, संतकबीरनगर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, लखनऊ और वाराणसी तक के लोग मेरे द्वारा भेजे गए हैं। हालांकि बीते 6 जून से अब लोगों को भेजना बन्द कर दिया है लेकिन कोई जरूरतमंद आता है तो उसे टिकट खरीदकर जरूरदेता हूं। फिलहाल भूखों को खाना खिलाने के काम चल रहा है।

मुंबई में हाफिज मलिक (नीले कुर्ते में)।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
ये फोटो अंबेडकरनगर की है। धर्मवीर सिंह बग्गा (काले रंग की टीशर्ट में) ने कोरोना संकट में सैनिटाइजेशन के लिए मुहिम छेड़ रखी है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2YwqZaA
https://ift.tt/2AwZTIK

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt, please let me know.

Popular Post