गुरुवार, 23 जुलाई 2020

पिछले 23 साल में दुनिया में 1928 और भारत में 74 पत्रकारों की हत्या हुई, लैटिन अमेरिका में हर महीने 12 पत्रकार मार डाले जाते हैं

गाजियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी की इलाज के दौरान बुधवार को मौत हो गई। विक्रम को सोमवार को बदमाशों ने गोली मार दी थी। विक्रम को गंभीर हालात मेंगाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। विक्रम के साथ उस समय उनकी बेटियां भी मौजूद थीं। जानकारी के मुताबिक, विक्रम ने कुछ बदमाशों के खिलाफ पुलिस में छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था।

सोमवार की रात वे अपनीबेटियों के साथ बाइक पर जा रहे थे, तभी रास्ते में बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया।इस मामले में पुलिस ने अब तक 9 आरोपियों को अरेस्ट किया है। इससे पहले यूपी में ही इसी साल जून में एक पत्रकार की हत्या कर दी गई थी। 19 जून को उन्नाव में पत्रकार की हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप रेत खनन माफिया पर लगा था।

अक्टूबर 2019 में कुशीनगर जिले के स्थानीय पत्रकार राधेश्याम शर्मा की हत्या कर दी गई थी। वहीं, अगस्त 2019 में सहारनपुर में एक पत्रकार और उसके भाई को बदमाशों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी।

इस साल अब तक 26 पत्रकारों की हत्या

इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) के मुताबिक, इस साल अब तक दुनियाभर में 26 पत्रकारों की हत्या हुई है। भारत की बात करें तो दो पत्रकारों की हत्या हुई है। वहीं, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्सकीरिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में 248 पत्रकारों को कैद किया गया। 2020 में अब तक 64 पत्रकार लापता हुए हैं। भारत की बात करें तो 2014 से 2019 के बीच 11 पत्रकार गिरफ्तार किए गए हैं।

पिछले 20 साल में 1928 पत्रकार मारे गए

आईपीआई के मुताबिक, 1997 से लेकर 2020 के बीच इन 23 साल में 1928 पत्रकारों की हत्या हुई है। इसमें भारत में 1997 से 2020 के बीच कुल 74 पत्रकारों की हत्या हुई है। वहीं, भारत में 2014 से 2020 के बीच 27 पत्रकार मारे गए। जबकि 2009 से 2013 के बीच 22 पत्रकारों की हत्या हुई है। हालांकि, 2019 में भारत में किसी पत्रकार की हत्या की बात नहीं है रिपोर्ट में।

आईपीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, लैटिन अमेरिका ऐसी जगह है जहां पत्रकारों की सबसे अधिक हत्याएं होती हैं।यहां हर महीने 12 पत्रकारों से अधिक की हत्या होती है और इसमें सबसे ज्यादा हत्याएं मैक्सिको में होती है।इन जगहों पर अधिकतर पत्रकार नशीली दवाओं की तस्करी और राजनीतिक भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग करते हैं।

आईपीआई की रिपोर्ट में हत्या की जांचों पर भी सवाल उठाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन मामलों में पत्रकारों की हत्या हुईं हैं, उनकी जांच बेहद धीमी है। कई जगह तो सालों से मामला लंबित है।



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In the last 23 years 1928 journalists were killed in the world and in India, 12 journalists are killed every month in Latin America.


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