गुरुवार, 23 जुलाई 2020

स्वदेशी टेक्नोलॉजी से निर्मित रिएक्टर ने बनाया रिकॉर्ड, 700 मेगावॉट बिजली पैदा होगी, उत्पादन 3 माह बाद होगा

देश की पहली स्वदेशी 700 मेगावॉट परमाणु बिजलीघर इकाई काकरापार यूनिट-3 में बुधवार को सुबह 9.36 बजे रिएक्टर के अंदर चेन रिएक्शन की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई। यानी परमाणु रिएक्टर के हृदय की धड़कन शुरू हुई। इसे क्रिटिकलटी कहा जाता है। हालांकि उत्पादन शुरू होने में अभी तीन माह का समय लगेगा। निगम के सीएमडी एसके शर्मा ने इस बारे में बताया कि यह एक बड़ी उपलब्धि है। इस रिएक्टर के पार्ट, उपकरण पूरी तरह से भारतीय हैं।

700 मेगावाॅट पीएचडब्ल्यू आर में सुरक्षा के आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। काकरापार परमाणु रिएक्टर-3 देश का 23वां परमाणु रिएक्टर है। ज्ञातव्य है कि मार्च-2020 में रिएक्टर में यूरेनियम फ्यूल बंड लगाने का काम पूरा किया गया था। लॉकडाउन के दौरान अन्य प्रक्रिया पूरी की गई। काकरापार परमाणु बिजलीघर में क्रिटकलटी में सफलता मिलने के बाद कुछ परीक्षण और जांच की जाएगी। इसके बाद इसे सिंक्रोनाइज यानी कि ग्रिड से जोड़ा जाएगा। इस प्रक्रिया में 3 महीने का समय लगेगा। इसके बाद यहां 700 मेगावाॅट बिजली पैदा होगी।

पीएम मोदी ने ट्वीट करके बधाई दी, गृहमंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट करके खुशी जताई

पीएम मोदी ने काकरापार परमााणु पावर प्लांट के वैज्ञानिकों को अभिनंदन भेजा। पीएम मोदी ने कहा कि पावर प्लांट-3 में महत्वपूर्ण मुकाम हासिल करना बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने प्लांट के सामान्य परिचालन स्थित में आने पर आनंद व्यक्त किया। घरेलू डिजाइन पर आधारित 700 मेगावॉट का यह रिएक्टर मेड इन इंडिया का सबसे बड़ा उदाहरण है। यह भविष्य की उपलब्धियों की शुरुआत है।

द. गुजरात का प्लांट प्रदेश को देगा 50% बिजली
काकरापार परमाणु केंद्र से गुजरात को 50 प्रतिशत बिजली मिलेगी। शेष हिस्सा आसपास के प्रदेशों और नेशनल ग्रिड में बिजली वितरण योजना में दिया जाएगा।

  • कुल खर्च: तकरीबन 16500 करोड़ रु.
  • निर्माण कार्य: नवंबर 2010 से शुरू
  • कॉन्क्रीट-सरिया: 8 लाख क्यूबिक मीटर
  • बिजली उत्पादन: काकरापार करीब 90 लाख लोगों की दैनिक बिजली की जरूरत पूरा करेगी
  • मौजूदा उत्पादन: पहले से 220-220 मेगावॉट की 2 यूनिट बिजली का उत्पादन कर रही हैं।
  • खासियत: देश का एकमात्रसबसे बड़ा रिएक्टर है। 700-700 मेगावॉट का।दोनों इकाइयों के डोम का वजन 570 टन है। यानी कि अमेरिका के स्टेच्चू ऑफ यूनिटी से ढाई गुना अधिक है। यह मिसाइल के हमले से भी सुरक्षित है।4 कूलिंग टावर। इसके लिए 2.50 लाख क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट की जरूरत होगी। यानी थ्री बीएचके के 50 हजार मकान का निर्माण हो सके इतने कॉन्क्रीट।


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निगम के सीएमडी एसके शर्मा ने इस बारे में बताया कि यह एक बड़ी उपलब्धि है। इस रिएक्टर के पार्ट, उपकरण पूरी तरह से भारतीय हैं।


from Dainik Bhaskar /national/news/reactor-built-with-indigenous-technology-set-a-record-700-mw-will-be-generated-generation-will-be-after-3-months-127542764.html
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